आलेख/ विचारभोपालमध्यप्रदेश

पेट्रोल-डीजल के दाम पर फंसी शिवराज सरकार!

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प्रधानमंत्री मोदी को शिवराज सरकार ने दी गलत जानकारी, मंच से मोदी ने मध्यप्रदेश में पेट्रोल-डीजल के गलत दाम बताये

पार्टी के आयोजन, सभा और रैलियों में शासन द्वारा खर्च उठाये जाने की बात पर गरमाई सियासत
विजया पाठक, 
भोपाल। पिछले दिनों मध्‍यप्रदेश की राजधानी भोपाल में प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी का बड़ा कार्यक्रम था। इस कार्यक्रम में देश भर के लगभग 10 लाख बीजेपी के कार्यकर्ता वर्चुअली जुड़े थे। इस कार्यक्रम के माध्‍यम से मोदी ने बीजेपी की उप‍लब्धियों को खूब गिनाया। साथ ही बीजेपी शासित राज्‍यों की सरकारों का भी खूब गुणगान किया। लेकिन इसी बीच एक वाक्‍या ऐसा भी आया जिसमें प्रधानमंत्री मोदी को धोखे में रखते हुए मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उनसे गलत जानकारी मंच से बुलवा दी। दरअसल देश भर में पेट्रोल डीजल की कीमतों की बात करते हुए मोदी अपने बयान में कह गए कि बीजेपी शासित राज्‍यों में पेट्रोल डीजल की की‍मतें 100 रूपये से कम हैं। कहा जा रहा है कि मोदी को यही कीमत बताई होगी। जबकि हकीकत में तो कांग्रेस शासित राज्‍यों से भी ज्‍यादा कीमतें बीजेपी राज्‍यों में है। अब लोग कह कर रहे हैं कि मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को धोखे में रखते हुए उनसे गलत बयान मंच से दिलवा दिया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब भाजपा सरकार की उपलब्धियां गिनवा रहे थे उस समय उन्होंने यह कहा था कि देश में बढ़ती पेट्रोल-डीजल की कीमतों को रोकने के लिये सरकार ने दो प्रतिशित टैक्स की छूट दी। जिसके बाद तमाम भाजपा शासित राज्यों में पेट्रोल के दाम 100 रुपये से अधिक नहीं पहुंचे। जबकि जिस शहर में मोदी यह बात कह रहे थे उसी शहर में पेट्रोल की कीमत के दाम 109-110 रूपये है। यानि मध्यप्रदेश के ऐसे कई जिले हैं जहां पेट्रोल के दाम 120 रूपये तक हैं। ऐसे में शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने प्रधानमंत्री मोदी के मुख से सबसे बड़ा सफेद झूठ बुलवाने का काम किया है। मोदी के इस बयान के बाद ही सोशल मीडिया पर उनकी खिल्लियां उड़ने लगी और लोगों ने उनके बयान के साथ पेट्रोल पंप की मशीन पर लिखे हुए दामों की फोटो खींचकर पोस्ट की।

जीत के लिये कुछ भी करने को तैयार शिवराज ?
जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सत्ता में वापसी के लिये कुछ भी करने को तैयार हैं। ? यही कारण है उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जरिये पेट्रोल डीजल की गलत कीमतों को जनता के सामने बोलने से रोका नहीं। जबकि चाहते तो शिवराज सिंह चौहान और वीडी शर्मा उसी समय मोदी को यह जानकारी देकर उन्हें अपना बयान सुधारने के लिये कह सकते थे, लेकिन जनता को लुभावने वायदे करने की इस लहर में शिवराज सिंह चौहान और वीडी शर्मा चुप्पी साधे बैठे रहे हैं और उन्होंने मोदी को एक के बाद एक झूठ बोलने पर मजबूर कर दिया। कुल मिलाकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपनी सत्ता में वापसी को लेकर कुछ भी करने को तैयार हैं।

सत्‍ता बचाने और कितना फिजूलखर्ची करेंगे शिवराज
मध्यप्रदेश में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव की तारीखें नजदीक आती जा रही हैं, वैसे-वैसे राजनैतिक पार्टियां भी सक्रियता के साथ जनसमर्थन जुटाने में लग गई हैं। बीता सप्ताह शिवराज सिंह चौहान और भारतीय जनता पार्टी की उपलब्धियों के नाम रहा। भले ही इस सप्ताह में प्रदेश सरकार और भाजपा ने प्रदेश में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नडडा और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की रैलियां करवाकर चुनावी तैयारियों का बिगुल फूंक दिया हो। लेकिन इसके परिणाम क्या होंगे अब यह तो आने वाला समय बतायेगा। लेकिन एक बात तो तय है कि इस तरह की चुनावी रैलियों के माध्यम से प्रदेश भाजपा प्रदेश में एक नई परंपरा को शुरु करने जा रही है। यह परंपरा यह है कि राजनैतिक रैलियों की तैयारी और उस पर होने वाले खर्चे को जनता के टैक्स से वसूले गये पैसों से पूरा करना। आज इस बात पर चर्चा इसलिये भी महत्वपूर्ण है कि बीते सप्ताह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दो कार्यक्रम मध्यप्रदेश में प्रस्तावित थे। एक कार्यक्रम भोपाल में और दूसरा कार्यक्रम शहडोल में। लेकिन भारी बारिश के कारण शहडोल का कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया था। बारिश के बावजूद भाजपा ने पार्टी के कार्यकर्ताओं के लिये आयोजित विशेष कार्यक्रम मेरा बूथ सबसे मजबूत कार्यक्रम आयोजित किया। इस कार्यक्रम में देश भर के 10 लाख से अधिक भाजपा कार्यकर्ताओं के जुड़ने का अनुमान लगाया गया है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि आखिर प्रदेश भाजपा के कार्यक्रमों का खर्चा शासकीय स्तर से करवाये जाने का क्या औचित्य है। आखिर क्यों भाजपा प्रदेश में एक नई परंपरा की शुरुआत कर रही है। जनता के टैक्स का पैसा जनता के हितों में खर्च करने के बजाय पार्टी के कार्यक्रमों में खर्च करना कहां का नियम है।

लगभग 100 करोड़ से अधिक खर्च
सूत्रों के अनुसार भाजपा ने राजधानी भोपाल में आयोजित इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में लगभग 100 करोड़ रूपये का चूना प्रदेश सरकार के जरिये जनता को लगाया है। एक तरफ जहां प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान लगातार प्रदेश की सुचारू व्यवस्था के लिये आरबीआई से ब्याज पर कर्जा ले रहे हैं। वहीं, भाजपा पार्टी के दबाव में आकर वे इस पैसे का दुरूपयोग चुनावी रैली और पार्टी कार्यक्रमों में खर्च कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि कार्यक्रम में भाजपा की ब्रांडिंग, प्रचार आदि से जुड़े सभी महत्वपूर्ण कार्यों पर 50 लाख रुपये से ज्यादा का खर्च किया गया है।

गलत परंपरा की हो रही शुरुआत

प्रदेश में भाजपा द्वारा एक गलत परंपरा की शुरुआत की जा रही है। पार्टी के आयोजन, रैलियां, सभाएं आदि का खर्चे की जिम्मेदारी पार्टी की होती है, जबकि भाजपा और उसके नेता इसे जनता की जेब से वसूलने का काम कर रहे हैं। अगर ऐसा ही चलता रहा तो निश्चित ही वह दिन दूर नहीं जब कांग्रेस पार्टी सत्ता में आते ही इसी तरह की सभाएं और रैलियां जनता के टैक्स के पैसे से वसूले पैसे से करने लगेगी। देखा जाये तो सिर्फ कांग्रेस ही नहीं जो भी राजनैतिक दल सत्ता में आयेगा वह इसी तरह से अपनी शक्ति का गलत उपयोग कर जनता को नुकसान पहुंचाने का काम करेगा। इससे न सिर्फ जनता को नुकसान होगा, बल्कि प्रदेश की आर्थिक, सामाजिक और अधोसरंचनात्मक गतिविधियों पर भी असर पड़ेगा और विकास के सभी काम ठप्प पड़ जायेंगे।

चुनाव आयुक्त को करना चाहिए हस्तक्षेप
चुनावी माहौल के बीच राजनीतिक पार्टियों द्वारा किये जा रहे इस तरह के अवैध खर्चे को रोकने की जिम्मेदारी चुनाव आयुक्त की होती है। आयुक्त को देश के तमाम पार्टियों को निर्देश जारी करना चाहिए कि किसी भी तरह से चुनावी रैली, सभा और कार्यक्रमों में प्रदेश सरकार द्वारा जनता के विकास के लिये जोड़े गये बजट का दुरपयोग न हो, अगर कोई ऐसा करते दिखाई देता है तो उन पर सख्त कार्यवाही करते हुए उन पर भारी जुर्माना लगाया जाये। पूर्व चुनाव आयुक्‍त टीएन शेषन जैसा चुनाव आयुक्‍त की मांग देश कर रहा है। उन्‍होंने कैसे सख्‍त रवैये से देश की राजनीतिक पार्टियों को कठघरे में खड़ा कर दिया था। पार्टियां अपनी मनमर्जी करने में कतराती थी। आज देश को ऐसे ही सख्‍त और निडर चुनाव आयुक्‍त की जरूरत है, जो सत्‍ताधारी पार्टी या किसी अन्‍य पार्टी से डरता नही हो।

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