आज का इंसान पुतना से भी बढ़कर है क्योंकि कि इंसान के इस तन में जहर है,कब उगल दे पता नहीं चलता – पं भीमाशंकर जी शास्त्री

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सीतामऊ। भगवान श्री कृष्ण को पुतना ने अपने जहर भरें स्तन से स्तन पान कराकर मारना चाहा पर बाल गोपाल ने स्तनों से जहर पीकर जहर मुक्त कर पुतना को मां का दर्जा प्रदान किया। उक्त ज्ञानामृत पं भीमाशंकर जी शास्त्री ने लदुना में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिन श्रवण कराते हुए कहें।
शास्त्री जी ने कहा कि पुतना के स्तन में जहर था पर आज के इंसान पुतना से भी बढ़कर है क्योंकि कि इंसान के इस तन में जहर है। सांप काटने के बाद पलटता है पर इंसान पहले पलटता है फिर काटता है। शास्त्री जी ने कहा कि इंसान के रग- रग में जहर है कब उगल दे पता नहीं चलता है। चलते चलते सगाई छुड़वा दें पता नहीं चलता है।
शास्त्री जी ने आगे कहा कि अपने इष्ट भगवान हनुमान जी पर भरोसा करने वाले का कोई टोना टोटका करने वाला कुछ नहीं बिगाड़ सकता है। गोमती चक्र उंगली में धारण करने से कोई भी टोना टोटका का असर नहीं पड़ता हैं। शास्त्री जी ने कहा कि हमारे संस्था द्वारा गत वर्ष दो लाख गोमती चक्र निशुल्क वितरण किए। अगले वर्ष मंदसौर में आयोजन किया जा कर पांच लाख गोमती चक्र निशुल्क वितरण किए जाएंगे। पुतना का भय चार कोस तक था मृत्यु होने के बाद चार कोस तक भय मुक्त हो गया।जब पुतना लल्ला को ले गई तो सब हतप्रभ रह गए। पुतना का वध के बाद सबने देखा कि पुतना कि मृत्यु हो गई और लल्ला खेल रहे। यशोदा माता ने लल्ला को गोद में उठा कर घर लेकर आई। हर माता ममता मयी होती है अपने बेटे का जब तक जीवित रहती ख्याल रखती है ऐसे ही माता यशोदा कि ममता ने अपने लल्ला कि नजर उतारी।
शास्त्री जी ने भारतीय संस्कृति और संस्कारों को अपनाने का संदेश देते हुए कहा कि पहले वेश परिधान सबके तन को ढकने और लाज शर्म वाले होते हैं पर अब जो माताएं बहनें कम कपड़े या भारतीय वेश परिधान को छोड़कर सलवार जींस पेंट पहती है उनको राक्षसों से हानि हो सकती है। शास्त्री जी ने भगवान शिव पार्वती और बाल गोपाल के मिलन का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि भगवान शिव देवों में देव महादेव हैं इसके बाद भी माता पार्वती के साथ भगवान शिव भगवान श्री कृष्ण के बाल स्वरूप का दर्शन करने के लिए वृंदावन पहुंचे।
शास्त्री जी ने कहा कि जीवन में किसी भी व्यक्ति को अपने आप में बड़ा नहीं समझना चाहिए जिस व्यक्ति ने अपने आप को बड़ा समझ लिया घमंड अहंकार आ गया उसका पतन निश्चित होता है और जो छोटे-बड़े सभी को बंधु बांधवों मित्रों प्रेम भाव रखते हुए रिश्तों को जोड़कर चलते हैं उसके उपर निश्चिंत ही मेरे सांवरिया कि मेहरबानी होती है।
शास्त्रीजी ने भगवान श्री कृष्ण के बाल स्वरूप का वर्णन के साथ देश के वीर सैनिकों को सम्मान प्रदान करते हुए कहा कि बाल कृष्ण ने भी अपने मिट्टी खा कर भारत माता को प्रणाम किया। और कहा कि आज हमारा देश और हम सुरक्षित है तो उन वीर सपूतों कि वजह से है जो सीमा पर हर मौसम में सुरक्षा के लिए खड़े हैं। उन्हें व्यास पीठ से वंदन अभिनंदन करता हूं और लंबी आयु कि प्रार्थना करता हूं।लाला के मिट्टी खाने को देखकर यशोदा माता ने मुह खोला देखा तो मुह में पूरा ब्रह्मांड देखा और कहा कि जिसे मैं भगवान बेटा मान रही ये तो भगवान है जैसे ही भगवान कृष्ण को पता चला कि मुझसे मां का प्यार छुट जाएगा। पुनः भगवान ने माता यशोदा को माया का आवरण डाल दिया।
शास्त्री जी ने समाज में कम होते संस्कारों को लेकर कहा हमारे यहां तो आज माता पिता कि सेवा आदर भाव से दुर हो रहें हैं। कोई भी मां का कर्ज नहीं उतार सकता है इसलिए आज से सभी अपने माता-पिता को प्रणाम करने और उनकी सेवा का संकल्प लें।
शास्त्री जी ने भगवान कृष्ण और ग्वाल बाल मित्रों , वायु रुप त्रावृत राक्षक यमला वर्जन पेडो़ का उद्धार करने वत्सासुर बकासुर वध तथा भगवान श्री कृष्ण के पांचवें वर्ष में अगासुर का भगवान ने वध करने और भगवान श्री कृष्ण के समरसता के भाव कि कथा का वर्णन करते हुए कहा कि ब्रह्मा ने भगवान श्री कृष्ण कि परीक्षा ली तो भगवान श्री कृष्ण ने मित्र मधुमंगल के तन को चाट कर ब्रह्मा जी को भी ब्रह्म में डाल दिया।
कथा में ब्रजवासी के अकाल का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि सभी पानी के लिए परेशान हो रहे थे भगवान कृष्ण के साथ ब्रजवासी कान्हा के साथ गिरीराज गोवर्धन पर्वत उठाकर अपने घर को उजम कर उजमनी मनाई। सात दिन तक ठाकुर जी ने पर्वत उठाकर रखा। और ब्रजवासी ने 56 प्रकार के नैवेद्य निवेदन किया।
शास्त्री जी ने कथा में नाचने कि नहीं सुधारने कि है जो सोचते हैं कि चलों कथा में पैर सीधा कर लेंगे तो कथा पैर सीधा करने कि नहीं मन सीधा करने कि हैं। कथा आने वाले समय में ज्ञाना अमृतपान कि नहीं रहेगी मनोरंजन का स्थान बन जाएगा हम सब आगे बढ़े और जहां भी कथा होती है वहां हम कथा का श्रवण का लाभ ले मनोरंजन का स्थान बनाने से रोकना पड़ेगा।प्रत्येक सनातनी अपने धर्म कि पहचान रखो तिलक और सिर पर चोटी होनी चाहिए।आज से तिलक लगाने संकल्प लें।
कथा के आगे प्रसंग सुनाते हुए शास्त्री जी ने कहा कि काल्यावन कि भगवान श्री कृष्ण राजा मुचकंद से वध कराया। सब शिशुपाल बन जाए पर शीशी पाल नहीं बनें। शास्त्री जी अनैतिक कार्य चाटुकारिता से बढ़ने वाले को लेकर कहा जी सर हां सर वाले मंजिल पा लेते हैं पर उसका जमीर चला जाता है। किसी को पद दे तो चाटूकार पराक्रम वाले को देना चाहिए।
कथा के विश्राम के साथ ही ठाकुर जी एवं तुलसी विवाह का आयोजन किया गया जिसमें भगवान ठाकुर जी कि बारात नरेंद्र कामरिया आलोट से आगमन हुआ जिसका लदुना में माता तुलसी के भक्ति लोक के पियर वाले लदुना नगर एवं क्षेत्र के भक्त जनों द्वारा ठाकुर जी कि बारात का स्वागत अभिनंदन किया। और उपस्थिति पंडित जनों ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ विवाह समारोह संपन्न कराया गया।
पं भीमाशंकर जी शास्त्री द्वारा गौशाला व हनुमान जी मंदिर को राशि प्रदान कि-
इस अवसर पर पंडित भीमाशंकर जी शास्त्री द्वारा तुलसी विवाह में प्राप्त हिचावन की राशि 31500 रुपए सीतामऊ गौशाला अध्यक्ष श्री लाला संजय जाट, डॉ अर्जुन पाटीदार गौ माता के लिए भेंट की गई।इसके साथ ही कथा में प्रतिदिन आरती 29551रुपए लदुना बस स्टैंड हनुमान जी मंदिर बाउंड्री वॉल कि राशि प्रदान कि गई।
इस अवसर पर गंगाधर पाठक,कैलाश पोरवाल, ओमप्रकाश पाठक संजय पोरवाल, किशोर मकवाना, ओमप्रकाश राठौर राहुल त्रिवेदी राजकुमार पोरवाल, रामेश्वर जाट रमेश जाट किशोर आसलिया महेंश राठौर लाला ओदित्य त्रिवेदी मुकेश त्रिवेदी अंकित पोरवाल उमा दीदी शिक्षक भजन महिला मंडल एवं समस्त धर्म जन उपस्थित रहे।कथा के विश्राम के सप्तम दिवस पारसमल जैन ओम सिंह भाटी अरुण सोनी सरकार, जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती दुर्गा विजय पाटीदार जिला पंचायत सदस्य प्रतिनिधि कर्मवीर सिंह भाटी महेंद्र बाबु जैन, डॉ गोवर्धन लाल दानगढ़ गोविंद सिंह पंवार सुरेश गुप्ता हंसराज पाटीदार खेड़ा बालकृष्ण कामरिया कमलेश राठौर संपादक लक्ष्मीनारायण मांदलिया केशव पोरवाल राजेश सक्सेना रतलाम सहित क्षेत्र तथा रतलाम मंदसौर नीमच के समाजसेवी जनप्रतिनिधियों व गुरु भक्तों ने भी कथा श्रवण लाभ प्राप्त किया।