पवनपुत्र हनुमान जी ने कब ग्यारह मुखी अवतार लिया जानिए और लीजिए उनके दर्शन लाभ

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हनुमान जन्मोत्सव पर विशेष –
दुष्ट असुरों का संहार करने के लिए पवनपुत्र हनुमान जी ने ग्यारह मुखी अवतार लिया
कलयुग के प्रमुख देवों में से एक बजरंगबली को चिरंजवी माना जाता है. हनुमान जी का जन्म हिन्दू पंचांग के चैत्र माह की पूर्णिमा पर चित्रा नक्षत्र और मंगलवार को मेष लग्न में हुआ था. हनुमान जी की माता अंजनी और पिता का नाम केसरी था, इसलिए इन्हें अंजनी पुत्र और केसरी नंदन भी कहा जाता है. वहीं कुछ ग्रंथों में इन्हें वायुपुत्र भी कहा गया है. मान्यताओं के अनुसार, जो भक्त मंगलवार के दिन विधिवत रूप से भगवान हनुमान की पूजा करता है उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, सिर्फ मनुष्य ही नहीं, बल्कि देवता भी संकट से उबारने के लिए हनुमान जी का वंदन करते रहे हैं. ऐसी ही एक पौराणिक कथा के अनुसार, देवताओं की मदद के लिए और सभी लोकों में हाहाकार मचा रहे दुष्ट असुर का संहार करने के लिए पवनपुत्र हनुमान जी को ग्यारह मुखी रूप रखना पड़ा था।
देश का एक मात्र ग्यारह मुखी हनुमान मंदिर है. बताया जाता है कि ये देश का बड़ा ही अद्भुत एकादशमुखी यानि 11 मुखी हनुमान मंदिर है. यह मंदिर देवभूमि उत्तराखंड के देहरादून में स्थित है. देहरादून शहर से जामुनवाला स्थित उत्तराखंड का एकमात्र 11 मुखी हनुमान मंदिर श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है. इस मंदिर के पीछे कई कथा प्रचलित हैं.
पहली कथा के अनुसार –
एक समय रावण ने महामृत्युंजय का जाप कर भगवान शिव को प्रसन्न किया था, जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने रावण को मनचाहा वरदान मांगने को कहा, इस पर रावण ने भगवान शिव से दस मुख से परिपूर्ण शक्ति का वरदान प्राप्त किया. भगवान शिव के इस वरदान का रावण ने गलत इस्तेमाल किया, जिसके चलते भगवान शिव ने हनुमान के रूप (11 वें रुद्रअवतार के रूप) में जन्म लिया. इसके साथ ही मां जानकी से अजर अमर अविनाशी होने का भी वरदान प्राप्त किया।
वहीं जब लक्ष्मण जी को मेघनाथ से युद्ध करते समय मूर्छा आयी थी, तब सुषेन वैद्य की सलाह पर संजीवनी लेने हनुमान उत्तराखंड की पर्वत श्रृंखला के द्रोणागिरी पर्वत पर संजीवनी लेने आये थे. कहते हैं कि जब हनुमान जी संजीवनी बूटी लेने यहां आये तो कुछ पल के लिए जोशीमठ के ठीक ऊपर औली शिखर पर रुके थे.
दूसरी कथा के अनुसार –
पवनपुत्र हनुमान जी के ग्यारहमुखी रूप लेने के पीछे एक पौराणिक कथा प्रचलित है. बताया जाता है कि प्राचीन काल में ग्यारह मुख वाला एक शक्तिशाली राक्षस हुआ करता था, जिसका नाम कालकारमुख था. उसने एक समय भगवान ब्रह्मा जी को अपने कठोर तप से प्रसन्न कर मनचाहा वरदान मांग लिया था. उसने कहा था, आप मुझे कुछ ऐसा वर दीजिए की जो भी मेरी जन्मतिथि पर ग्यारह मुख धारण करे, वही मेरा अंत करने में सक्षम हो. ब्रह्मा जी ने भी कालकारमुख को ये वरदान दे दिया. इस दौरान कालकारमुख ने सभी लोकों में आतंक मचा रखा था. उसके आतंक से परेशान सभी देवों ने श्री हरि विष्णु के कहने पर भगवान श्री राम से इस मुश्किल घड़ी से सभी को निकालने की विनती की. इस पर श्री राम ने देवताओं से कहा कि इस संकट से आपको सिर्फ हनुमान जी ही निकाल सकते हैं।
कथा के अनुसार, प्रभु श्री राम की आज्ञा से हनु्मान जी ने चैत्र पूर्णिमा के दिन 11 मुखी रुप ग्रहण किया, जो राक्षस कालकारमुख की जन्मतिथि थी. जब असुर कालकारसुर को इसका पता चला तो वह हनुमान जी का वध करने के लिए सेना के साथ निकल पड़ा. कालकारमुख की इस हरकत को देखकर हनुमान जी क्रोधित हो गए और उन्होंने क्षणभर में ही उसकी सेना को नष्ट कर दिया. फिर हनुमान जी ने कालकारमुख की गर्दन पकड़ी और उसे बड़ी वेग से आकाश में ले गए, जहां उन्होंने कालकारसुर का वध कर दिया।
हनुमान जी कि शक्तियां जब 11 मुखी हनुमान जी के साथ जुड़ती हैं तो ये चमत्कारिक रूप से और बढ़ जाती हैं। भक्त हनुमान जी से एक साथ कई आर्शीवाद पाने की चाह में 11 मुखी हनुमान जी की आराधाना करते हैं। क्योंकि बजरंगबली का हरएक मुख अपनी अलग शक्तियों और व्यक्तित्व के लिए जाना जाता है, इसलिए भगवान की पूजा से अलग-अलग फल की प्राप्ति भी होती है। भगवान की पूजा करने से एक साथ कई मनोकामनाओं की पूर्ति हो जाती है। हालांकि 11 मुखी हनुमान जी की मूर्ति या मंदिर हर जगह आसानी से नहीं मिलती जबकि एक मुखी हनुमान जी हर जगह मौजूद हैं।
आइए आज भगवान के इन मुखों से उनकी शक्ति और व्यक्तित्व के बारे में जानें-
1. पूर्वमुखी हुनमान जी– पूर्व की तरफ मुख वाले बजरंबली को वानर रूप में पूजा जाता है। इस रूप में भगवान को बेहद शक्तिशाली और करोड़ों सूर्य के तेज के समान बताया गया है। शत्रुओं के नाश के बजरंगबली जाने जाते हैं। दुश्मन अगर आप पर हावी हो रहे तो पूर्वमूखी हनुमान की पूजा शुरू कर दें।
2. पश्चिममुखी हनुमान जी- पश्चिम की तरफ मुख वाले हनुमानजी को गरूड़ का रूप माना जाता है। इसी रूप संकटमोचन का स्वरूप माना गया है। मान्यता है कि भगवान विष्णु का वाहन गरुड़ अमर है उसी के समान बजरंगबली भी अमर हैं। यही कारण है कि कलयुग के जाग्रत देवताओं में बजरंगबली को माना जाता है।
3. उत्तरामुखी हनुमान जी– उत्तर दिशा की तरफ मुख वाले हनुमान जी की पूजा शूकर के रूप में होती है। एक बात और वह यह कि उत्तर दिशा यानी ईशान कोण देवताओं की दिशा होती है। यानी शुभ और मंगलकारी। इस दिशा में स्थापित बजरंगबली की पूजा से इंसान की आर्थिक स्थिति बेहतर होती है। इस ओर मुख किए भगवान की पूजा आपको धन-दौलत, ऐश्वर्य, प्रतिष्ठा, लंबी आयु के साथ ही रोग मुक्त बनाती है।
4. दक्षिणामुखी हनुमान जी– दक्षिण मुखी हनुमान जी को भगवान नृसिंह का रूप माना जाता है। दक्षिण दिशा यमराज की होती है और इस दिशा में हनुमान जी की पूजा से इंसान के डर, चिंता और दिक्कतों से मुक्ति मिलती है। दक्षिणमुखी हनुमान जी बुरी शक्तियों से बचाते हैं।
5.ऊर्ध्वमुख हनुमान जी– इस ओर मुख किए हनुमान जी को ऊर्ध्वमुख रूप यानी घोड़े का रूप माना गया है। इस स्वरूप की पूजाकरने वालों को दुश्मनों और संकटों से मुक्ति मिलती है। इस स्वरूप को भगवान ने ब्रह्माजी के कहने पर धारण कर हयग्रीवदैत्य का संहार किया था।
6. पंचमुखी हनुमान- पंचमुखी हनुमान के पांच रूपों की पूजा की जाती है। इसमें हर मुख अलग-अलग शक्तियों का परिचायक है। रावण ने जब छल से राम लक्ष्मण बंधक बना लिया था तो हनुमान जी ने पंचमुखी हनुमान का रूप धारण कर अहिरावण से उन्हें मुक्त कराया था। पांच दीये एक साथ बुझाने पर ही श्रीराम-लक्षमण मुक्त हो सकते थे इसलिए भगवान ने पंचमुखी रूप धारण किया था। उत्तर दिशा में वराह मुख, दक्षिण दिशा में नरसिंह मुख, पश्चिम में गरुड़ मुख, आकाश की तरफ हयग्रीव मुख एवं पूर्व दिशा में हनुमान मुख में वह विराजे हैं।
7. एकादशी हनुमान- ये रूप भगवान शिव का स्वरूप भी माना जाता है। एकादशी रूप रुद्र यानी शिव का 11वां अवतार है। ग्यारह मुख वाले कालकारमुख के राक्षस का वध करने के लिए भगवान ने एकादश मुख का रुप धारण किया था। चैत्र पूर्णिमा यानी हनमान जयंती के दिन उस राक्षस का वध किया था। यही कारण है कि भक्तों को एकादशी और पंचमुखी हनुमान जी पूजा सारे ही भगवानों की उपासना समना माना जाता है।
8. वीर हनुमान- हनुमान जी के इस स्वरूप की पूजा भक्त साहस और आत्मविश्वास पाने के लिए करते हें। इस रूप के जरिये भगवान के बल, साहस, पराक्रम को जाना जाता है। अर्थात तो भगवान श्रीराम के काज को संवार सकता है वह अपने भक्तों के काज और कष्ट क्षण में दूर कर देते हैं।
9. भक्त हनुमान– भगवान का यह स्वरूप में श्रीरामभक्त का है। इनकी पूजा करने से आपको भगवान श्रीराम का भी आर्शीवद मिलता है। बजरंगबली की पूजा अड़चनों को दूर करने वाली होती है। इस पूजा से भक्तों में एग्राता और भक्ति की भावना जागृत होती है।
10. दास हनुमान- बजरंबली का यह स्वरूप श्रीराम के प्रति उनकी अनन्य भक्ति को दिखाता है। इस स्वरूप की पूजाकरने वाले भक्तों को धर्म कार्य और रिश्ते-नाते निभाने में निपुणता हासिल होती है। सेवा और समर्णण का भाव भक्त इस स्वरूप के जरिये ही पाते हैं।
11. सूर्यमुखी हनुमान– यह स्वरूप भगवान सूर्य का माना गया है। सूर्य देव बजरंगबली के गुरु माने गए हैं। इस स्वरूप की पूजा से ज्ञान, प्रतिष्ठा, प्रसिद्धि और उन्नति का रास्ता खोलता है। क्योंकि श्रीहनुमान के गुरु सूर्य देव अपनी इन्हीं शक्तियों के लिए जाने जाते हैं।