धार्मिक स्थलों को बनाया जा रहा सिनेमाघर, महामण्डलेश्वर शेलेषानन्द ने जताई चिंता

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बागेश्वरधाम के धीरेन्द्र शास्त्री पर बोले किसी कि ने इतना अभ्यास किया तो संदेह नही होना चाहिए
पिपलिया स्टेशन (जेपी तेलकार)। बात कर रहे है, हिन्दुत्व की और जितने भी हमारे धार्मिक नगर है, उन्हें बेचा जा रहा हैै। उज्जैन की हालत की हालत ये हो गई है कि डेढ से दो लाख लोग रोज आ रहे है, ये अच्छी बात है, वहां का व्यापार बढ़ गया है, लेकिन महाकाल मंदिर पर हम जैसे ही अन्दर जाते है, वहां टिकट शुरु कर दिया है। सिनेमाहाल जैसे ढाई सौ, पांच सौ, साढे सात सौ के टिकट कर दिए। भगवान पर टिकट शुरु कर दिया, यह आस्था के खिलाफ होकर गलत है। यह बात महामण्डलेश्वर शैलेषानन्द गिरी ने कांग्रेस नेता श्यामलाल जोकचन्द्र के कार्यालय पर आयोजित स्वागत् समारोह के दौरान विशेष चर्चा में कही। उन्होंने कहा पहले गोवा धार्मिक स्थान था, वहां दुर्वासा मुनि के स्थापित मंदिर है। लेकिन आज टूरिज्म के लिए उस क्षेत्र को मनोरंजन का साधन बना दिया। इसी तरह के हालात अन्य धार्मिक स्थानों के भी है, सरकारें धार्मिक स्थानों को पर्यटन स्थल बना रही है और वहां जाने वाले लोगों से टिकिट लगाकर पैसे वसूल रही है। बागेश्वर धाम को लेकर पूछे गए सवाल पर महामण्डलेश्वर ने कहा कि वहां बिल्कुल सत्यता है, पढ़ा लिखा व्यक्ति उसकी व्याख्या अच्छे शब्दों में करता है। मैं धीरेन्द्र शास्त्री को अपना धार्मिक अनुज बोलता हंू, जिस ताकत के साथ उन्होंने हमारी सनातनियों की ताकत को उभारा है, निश्चय ही अप्रतीत है। उन्होंने बागेश्वर धाम पीठ के धीरेन्द्र शास्त्री द्वारा लोगोेें को उनके अतीत के बारे में जानकारी बताने के सवाल पर कहा कि एक मछली का जाल बुन-बुनकर जप करने वाले रविदास हो जाता है, एक चंदन घीस-घीस कर राम की महिला का बखान करने वाला लेखन करने वाला तुलसीदास हो जाता है। किसी ने इतना अभ्यास किया है, जिससे उसका एमरीग्लॉजी (मस्तिष्क का भ्रूण विज्ञान) जाग्रत हो जाता है और वह पूर्वाभास के आधार पर पूर्व में ही सारी चीजें लिख देता है, तो इसमेें गलत कहां है। देश की सारी मीडिया ने सारे प्रयोग करके देख लिया। फेस रीडिंग इससे अलग है, यह अभ्यास है, कुछ अभ्यास ईश्वर को साक्षी मानकर होते है कुछ अभ्यास अपने अन्दर के ईश्वर को साक्षी मानकर होते है। यह सत्य है, इसमें कहीं भी कोई संदेह नही है।