दलौदा में निकला भव्य पथ संचलन, हुआ शस्त्र पूजन,पुष्पवर्षा और जयघोष के साथ किया स्वागत

दलौदा में निकला भव्य पथ संचलन, हुआ शस्त्र पूजन,पुष्पवर्षा और जयघोष के साथ किया स्वागत


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में रविवार को दलौदा में नगर स्तरीय पथ संचलन का भव्य आयोजन हुआ। इस अवसर पर हजारों स्वयंसेवक पूर्ण गणवेश में सहभागी बने। संचलन से पूर्व कृषि उपज मंडी परिसर में शस्त्र पूजन का कार्यक्रम संपन्न हुआ, जिसके बाद अनुशासित पंक्तियों में स्वयंसेवकों ने नगर भ्रमण किया। संचलन लगभग 6 किलोमीटर की दूरी तक निकाला गया।
संचलन मार्ग पर जगह-जगह स्वागत द्वार बनाए गए थे। नगर के प्रमुख मार्गों पर रहवासियों ने रंगोलियां बनाईं और पुष्पवर्षा कर स्वयंसेवकों का स्वागत किया। महिलाओं, युवाओं और बच्चों ने भी बड़ी संख्या में संचलन का दर्शन कर जयघोष किया।
बौद्धिक में मुख्य वक्ता श्यामदास बैरागी ने कहा “राष्ट्र सर्वोपरि है” कार्यक्रम के बौद्धिक सत्र में मुख्य वक्ता श्यामदास बैरागी ने अपने उद्बोधन में कहा कि राष्ट्र ही परम सत्य है और व्यक्ति या संगठन का अस्तित्व तभी सार्थक है जब वह राष्ट्र की सेवा में समर्पित हो। उन्होंने संघ संस्थापक डॉ. हेडगेवार के जीवन से प्रेरक प्रसंग बताते हुए कहा कि जब महारानी विक्टोरिया के जन्मदिन पर मिठाई वितरित की जा रही थी, तब डॉ. हेडगेवार ने वह मिठाई खाने से इंकार कर दिया था, क्योंकि वे परतंत्र भारत में किसी विदेशी शासक का जन्मदिन मनाना अपमानजनक मानते थे। उस क्षण से ही उनके मन में स्वदेश और स्वाभिमान की ज्योति प्रज्वलित हुई थी। आज संघ के कार्यकर्ता उसी भावना को लेकर समाज के प्रत्येक वर्ग तक पहुंच रहे हैं-जाति, धर्म या भाषा के भेद से ऊपर उठकर राष्ट्र की एकता और अखंडता के लिए कार्य कर रहे हैं। संघ का उद्देश्य केवल शाखा चलाना नहीं, बल्कि समाज में संगठन, अनुशासन, सेवा और संस्कारों का प्रसार करना है। मुख्य वक्ता ने कहा कि आज भारत विश्व में अपनी सांस्कृतिक पहचान के साथ उभर रहा है। इसके पीछे करोड़ों स्वयंसेवकों का निःस्वार्थ परिश्रम और समर्पण है। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे देश के उज्ज्वल भविष्य के निर्माण में अपनी भूमिका निभाएं और जीवन को राष्ट्र समर्पित करें।
कार्यक्रम का समापन सामूहिक भोजन के साथ हुआ, जिसमें स्वयंसेवकों और नागरिकों ने एक साथ बैठकर राष्ट्रभाव से परिपूर्ण वातावरण में भोजन किया। पूरे आयोजन में अनुशासन, संगठन और सेवा की अद्भुत झलक देखने को मिली। संचलन में 768 स्वयंसेवको ने भाग लिया।