आज होली कई जगह खुशी की है तो कई जगह मातम
नीमच के सैकड़ो युवा सलाखों के पीछे और उनके परिवार रोने बिलखने पर मजबूर नीमच जिले में NDPS कार्यवाही के नाम पर खेला जाता है बड़ा खेल मुख्य सरगना हमेशा रह जाता है बाहर और फस जाते हैं ललचा कर लाए गए युवक पुलिसिया तोड़ बट्टौ की ऐसी गंद कि राजधानी तक उठ चुके हैं मामले जिले में बड़ा सिंडिकेट, पुलिस नतमस्तक
नीमच।
अंग्रेजों से तो नीमच 1947 में ही आजाद हो गया लेकिन उनके द्वारा बोए गए अत्याचारों की पीड़ा आज दिन तक आम आदमी झेल रहा है। नीमच जिले में वैसे तो कई सारी समस्याएं हैं, पीड़ाए है लेकिन इन पीड़ाओं के बीच युवा वर्ग की बर्बादी बहुत बड़ा विषय है और इसके लिए भी जिम्मेदार हमारा तंत्र, प्रशासन, पुलिस और व्यवस्थाएं है, यह बहुत बड़ी विडम्बना है।
आज जहां देश में युवाओं के लिए नए-नए रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने पर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं कई सारे समाज सेवी संगठन और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के माध्यम से देश के युवाओं को दिशा देने का प्रयास किया जा रहा है वही नीमच जिले में तस्करों का खुफिया सिंडिकेट नौजवानों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने में लगा है। नीमच जिले की कनावटी और जावद जेल ऐसे ही लालच में फंसे नौजवानों से भरी पड़ी है, वर्तमान समय में अच्छे मोबाइल अच्छी कार और जीवन स्तर में सुधार के लिए हर व्यक्ति लालायित है, नौजवान पीढ़ी वर्तमान में आनंदित होने के चक्कर में भविष्य को देख नहीं पाती और गलत दिशा में भटक जाती है। इसका फायदा नीमच के तस्कर और पुलिस विभाग में माफिया की भूमिका निभा रहे लोग बखूबी उठा रहे हैं। जिले में कहने को तो एनडीपीएस की बड़ी-बड़ी कार्रवाई हो रही है लेकिन फिर भी मुख्य सरगना कानून के शिकंजे से बाहर रह जाता है और मामले को आधार बनाकर पुलिस अपनी उगाई करने में लग जाती है। जिससे प्रभावित कुछ लोग जो धनवान होते हैं वे धन के बल पर तोड़ बट्टे कर लेते हैं और कुछ धन की कमी के कारण अपराधी बनने पर मजबूर हो जाते हैं। हमें दुर्घटनाओं में मरते लोग, बीमारियों से मरते लोग तो दिखते हैं लेकिन इस साजिश और सिंडिकेट के द्वारा प्रभावित हजारों लोग, सैकड़ो परिवार दिखाई नहीं देते।
राजस्थान की सीमा से सटा होना वरदान नहीं अपितु अभिशाप ही
जब कोई शहर किसी राज्य की सीमा पर स्थित होता है तो दो राज्यों के साथ उसके सांस्कृतिक, सामाजिक और व्यापारिक संबंध बनते हैं और इसका लाभ पूरे समाज को मिलता है लेकिन नीमच जिले के लिए यह विडंबना ही है कि सीमावर्ती होने के बावजूद यहां के लोगों को पीड़ाओं के अलावा कुछ भी प्राप्त नहीं होता। नीमच जिले की लगभग सभी चौकिया और थाने सीमावर्ती क्षेत्रों से सटे हुए हैं और तस्करों के खुले खेल के अड्डे बने हुए हैं।
जीरन, नयागांव, जाट, सिंगोली, जावद, रामपुरा, कुकड़ेश्वर, मनासा, नीमच सिटी, बघाना सीधे-सीधे सीमावर्ती क्षेत्रों से जुड़े हैं लेकिन आज दिन तक इन थाने और चौकियों के प्रभारी द्वारा किसी बड़े सिंडिकेट का खुलासा नहीं हो सका, उल्टे कई सारे पुलिसकर्मी अपनी बदनियत के चलते नीमच जिले की छवि को पूरे राज्य में धूमिल कर गए।