मंदसौरमंदसौर जिला

सूरज ने ताप बढ़ाया, शीत ने किया कम, मैं किधर जाऊ,  ऋतु बसंत हूॅ मैं क्या आ जाऊँ ?


अखिल भारतीय साहित्य परिषद एवं इनरव्हील क्लब मंदसौर ने किया बसंत काव्य गोष्ठी का आयोजन
नर्मदा साहित्य मंथन के पत्रक का किया विमोचन

मन्दसौर। अखिल भारतीय साहित्य परिषद एवं इनरव्हील क्लब मंदसौर इकाई ने संयुक्त रूप से बसंत काव्य गोष्ठी का आयोजन इनरव्हील क्लब अध्यक्ष डॉ. उर्मिला तोमर, वरिष्ठ पत्रकार घनश्याम बटवाल व दशपुर रंगमंच अध्यक्ष अभय मेहता के मुख्य आतिथ्य एवं वरिष्ठ कवि गोपाल बैरागी, नरेन्द्र राणावत, नंदकिशोर राठौर, ऋषि अग्रवाल, राजेन्द्र तिवारी, श्रीमती चंदा अजय डांगी, अंजू भावसार, अनुष्का मांदलिया, सीमा शर्मा, संजय भारती, नरेन्द्र त्रिवेदी, विजय अग्निहोत्री, नरेन्द्र भावसार तथा इनरव्हील क्लब सदस्य उर्मिला तिवारी, इंदू पंचोली, शर्मिला बसेर, किरण भामावत, रचना डोसी, भावना बसेर, अंजना  पटेल, मोना छाबड़ा, सोनिया खिमेसरा के सानिध्य में सम्पन्न हुआ।
कार्यक्रम के आरंभ में क्लब सदस्यों ने सरस्वती प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप  प्रज्जवलन किया। वंदना गोपाल बैरागी ने प्रस्तुत की। इस अवसर पर इनरव्हील क्लब की सदस्याओं ने नवोदित कवयित्री सुश्री अनुष्का मांदलिया, सीमा शर्मा गुर्जरबर्डिया, कवि उज्जवल बारेठ को साहित्य साधना हेतु सम्मानित किया।
परिषद संरक्षक एवं इनरव्हील क्लब अध्यक्ष श्रीमती तोमर ने कहा कि परिषद एवं क्लब दोनों का संबंध सामाजिक सरोकार से है। इसलिये साझा कार्यक्रमों के आयोजन से सामाजिक सरोकार को सही दिशा में समझा जा सकेगा। क्लब सचिव शर्मिला बसेर ने कहा कि बसंत के आगमन एवं स्वागत की इस काव्य गोष्ठी में क्लब सदस्यों ने एक नवीन अनुभूति का एहसास किया है। ऋतुराज बसंत के काव्य चित्रण हेतु साहित्य परिषद को बधाई। वरिष्ठ पत्रकार डॉ. बटवाल ने कहा कि आज की गोष्ठी में सभी कवियों की बसंत पर कविताएं एवं इनरव्हील क्लब सदस्यों को इस बसंती रंग का परिधान पहनकर आना बसंत के स्वागत की तैयारियों जैसा प्रतीत होता है। दशपुर रंगमंच के श्री मेहता ने कहा कि बसंत का आगमन सबसे पहले कवियों के हृदय से होता है। परिषद के सचिव नन्दकिशोर राठौर ने जानकारी देते हुए साहित्यकारों को  16, 17 व 18 फरवरी को धार में आयोजित नर्मदा साहित्य मंथन में भाग लेने की बात कही तथा शीघ्र रजिस्ट्रेशन कराने का अनुरोध करते हुए नर्मदा साहित्य मंथन के पत्र का विमोचन किया।
बसंत काव्य गोष्ठी में परिषद के जिला सचिव नन्दकिशोर राठौर ने बसंत ऋतु की दशाओं की जानकारी देते हुए कहा कि बसंत शीत ऋतु के बाद की भौगोलिक दशा का नाम है। जिसमें सूर्य के उत्तर में आने से ताप तिल तिल बढ़ता है तो शीत कम होती है। परन्तु इस वर्ष परिस्थितियां वैसी नहीं बन पा रही है। स्वयं बसंत भी उहापोह की स्थिति में है कि क्या करू ? इस भाव को कविता में प्रस्तुत किया ‘‘ सूरज उत्तर को आया, तिल तिल ताप बढ़ाया, सर्द हवाओं ने फिर पारा गिराया, किंकर्तव्यमूढ़ मैं किधर जाऊं, मैं ऋतु बसंत क्या आ जाऊ?’’। डॉ. तोमर ने ‘‘सखी फिर बसंत आया, लेकर बीती यादें’’ कविता सुनाई। परिषद जिलाध्यक्ष नरेन्द्र भावसार ने कविता ‘‘लो फिर आ गया बसंत, अपनी सम्पूर्णता के साथ’’ कविता सुनाई। सीमा शर्मा ने मालवी कविता ‘‘असो आयो फेसबुक ने व्हाट्सअप को दौर’’ सुनाकर मोबाइल की लाभ हानि से परिचित कराया। अनुष्का मांदलिया ने ‘‘मैने हालातों से लड़ना सीख लिया’’ कविता सुनाई। विजय अग्निहोत्री ने ‘‘हर कली के होठों पर आज ये तराना, ओ मेरे मधुकर मधुबन में आना’’ गीत सुनाया। मोनाजी ने बाहर पढ़ रहे बच्चों की यादों की अनुभूति वाली कविता ‘‘तुम्हारा बिखरा हुआ कमरा, गुस्सा नहीं दिलाता’’ सुनाई। इन्दू चौधरी ने ‘‘देखों बड़ी कुर्सी का कमाल, रोज करती नया धमाल’’ सुनाकर कुर्सी की महिमा गाई।  व नरेन्द्र त्रिवेदी ने ‘‘मन दे दिया, न समझी, कैसे मन बसिया से बात कहूं’’ कविता के माध्यम बसंत ऋतु का चित्रण किया। अंजना पटेल ने ‘‘सूर्य चमकता है, जब गगन में तब तुम्हारी याद आती है’’ गीता सुनाया। अजय डांगी ने ‘‘कविता प्रभु का खेल समझ मेरे भाई‘‘ सुनाई। श्रीमती चंदा डांगी, गोपाल बैरागी, राजेन्द्र तिवारी, नरेन्द्र राणावत आदि ने भी काव्य पाठ किया। काव्य गोष्ठी का संचालन नरेन्द्र भावसार ने किया एवं आभार नन्दकिशोर राठौर ने माना।

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