ईश्वर से बडा दयालु और कोई नहीं होता – संत श्री ज्ञानानंदजी महाराज
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केशव सत्संग भवन में चल रहे है चार्तुमासिक प्रवचन
मन्दसौर। श्री केशव सत्संग भवन खानपुरा में चातुर्मास हेतु ज्ञानानंदजी महाराज हरिद्वार विराजित है। संतश्री द्वारा केशव सत्संग भवन में श्रीमद भागवत कथा के एकादश स्कंद का वाचन किया जा रहा है।
रविवार को प्रातः 8.30 बजे से 10 बजे तक धर्म सभा में संतश्री ज्ञानानंदजी महाराज ने भगवान के चरित्र के बारे में बताया कि भगवान श्रीकृष्ण के बाल्या स्वरूप में ही राक्षसनी पुतना उन्हें मारने आई थी लेकिन भगवान ने उसको अपना दुश्मन न मानते हुए उसका भी उद्धार किया और उसे सत्गती प्राप्त हुई कहने के तात्पर्य यह है कि भगवान से बडा दयालु कोई नहीं होता है। ईश्वर कभी हमारा बुरा नहीं करता यह तो सब कर्मो पर निर्भर होता है।
हम खराब समय आने पर भगवान को दोष देने लगते है ऐसा नहीं होना चाहिए। आपने बताया कि भगवान को किसी की जरूरत नहीं है यदि कोई भगवान की उपासना नहीं भी करें तो उन्हें कोई फर्क नहीं पडेगा लेकिन हमें उनकी आवश्यकता है। हमें अपने जीवन के उद्धार के लिए प्रभु की भक्ति के साथ उनमें श्रद्धा और विश्वास रखना चाहिए।
जिस पात्र में भोजन बने उसमें नहीं खाना चाहिए
धर्मसभा में संतश्री ने कहा कि जिस पात्र में भोजन बनाये उस पात्र में भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए। यह अच्छे लक्षण नहीं होते है। भोजन बनाने और खाने के पात्र अलग – अलग होना चाहिए।
धर्मसभा के अंत में भगवान की आरती उतारी गई और प्रसाद वितरण किया गया। इस अवसर पर केशव सत्संग भवन के अध्यक्ष जगदीशचंद्र सेठिया, मदनलाल गेहलोत, प्रहलाद काबरा, प्रवीण देवडा, इंजि आर सी पाण्डेय, पं शंकरलाल त्रिवेदी, पं शिवनारायण शर्मा, राव विजयसिंह, घनश्याम भावसार, जगदीश गर्ग, शिवशंकर सोनी सहित बडी संख्या में महिलाएं पुरूष उपस्थित थे।