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समता विद्यापीठ मे बालको ने गोकुल-वृन्दावन जैसा उत्सव आकार दिया
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जावद। समता विद्यापीठ मे वर्षो से कृष्ण जन्मोत्सव विशेष रूप से मनाया जाता रहा हैं बालको मे कृष्ण के जीवन दर्शन से आधार संस्कार व चिंतन बने इस प्रेरणा से आयोजन किया जाता रहा हैं। महावीर व्यायाम शाला परिसर मे बालको ने कृष्ण के जीवन प्रंसगो पर ऐसी जीवंत व आनन्दमय प्रस्तुतिया दी कि वृन्दावन-गोकुल जैसा आनन्द उत्सव बन गया।
विद्यालय के बच्चो, शिक्षको व पालको को सम्बोधित करते हुए मानस ममृज्ञ, गीता अध्येता, प्रखर वक्ता श्री जगदीश शर्मा ने कहा कि भगवान कृष्ण का चरित्र आरम्भ से अंत तक विविधतापुर्ण है जीवन को सारे संघर्षो से सामना करते हुए सफल जीने के लिए बुनियादी मार्गदर्शन प्रदान करता हैं कृष्ण सारे आदर्शाे से मुक्त है वे निष्कााम कर्म के संवाह है जो गीता का सार हैं। उनके जीवन मे बडा विरोधाभास दिखता है ‘‘जो उन्होने किया वेसा वे करने को नही कहते‘‘ उन्हे बालजीवन मे माखन चोर कहा व गीता मे उन्हेाने अचौर्य को स्वीकार किया। वे शांतिदूत कहाये ओैर अंत मे महाभारत जेसे बडे युद्ध को जन्म दे दिया। शस्त्र न उठाने का सकंल्प लिया व भीष्म से सुदर्शन च्रक लिये युद्ध को प्रेरित हो गये। एक व्यक्ति के जीवन मे ‘कूष्ण का जीवन‘ व दर्शन, श्रेष्ठतम् जीवन जीने का आधार आदर्श हैं।
श्री शर्मा ने विद्यार्थियो से कहा कि कृष्ण के जीवन प्रसंगो से सीखे। यह आत्म बल प्रदान करेगें। सफलता के लिए जीत के लिए सतत प्रेरित करेगे। आप अर्जुन बन कर कृष्ण को स्वीकार की जिये। कृष्ण ने गीता उपदेश के माध्यम से न केवल अर्जुन की निंद्रा, निराशा तोडी अपितु उन्होने मानवता को एक शाश्वत संदेश सदा के लिये दिया। श्री शर्मा ने अनेक प्रसंग व गीता श्लोक तथा अर्थ सहित व्याख्या कर बालको व उपस्थिति समुदाय को भाव विभोर कर दिया।
समता विद्यापीठ परिवार की ओर से श्री जगदीश शर्मा का भाव भरा अभिनंदन किया गया। उन्है ‘‘लडडू गोपाल का झुला‘‘ प्रतीक चिन्ह भेंट किया। बालको ने अनेक सांस्कृतिक प्रस्तुतिया दी बच्चो ने नृत्य व गीतो के साथ उत्सव आनंद मनाया।
आयोजन का संचालन श्रीमति क्षमा शर्मा ने व स्वागत प्राचार्य श्री जीवनदास बैरागी ने किया। समारोह मे श्री सतीश नागला सहित अनेक वरिष्ठ महानुभाव उपस्थित थे।