होशंगाबादमध्यप्रदेश

“वंचित परिवारों के लिए राहत पोषण किट के वितरण में जीवदया फाउंडेशन का सहयोग”

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वंचित परिवारों राहत पोषण किट का वितरण

वंचित एवं घुमंतू परिवारों के बच्चों को शाला पूर्व शिक्षा एवं पोषण से लाभान्वित

घुमन्तु परिवारों को आज भी राहत नही

उरमूल खेजड़ी संस्थान द्वारा जायल ब्लॉक में नायकों की ढाणियों बुरडी, नायकों की ढाणियों खारा मांजरा व एक.मुंडवा ब्लॉक के बागारियों की ढाणियों रोल में जीव दया फाउन्डेशन के सहयोग से संचालित ‘शाला पूर्व शिक्षण एवं पोषण केन्द्रों का संचालन किया जा रहा है इन केन्द्रों में वर्तमान में 100 बच्चे नामांकित है इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य है ऐसे बच्चे जिनके माता पिता गांव से दूर दराज ढाणियों में निवास करते है जो बच्चे आंगनवाड़ी और शाला पूर्व शिक्षा से वंचित है उन बच्चों में कुपोषण न हो एवं बच्चों का मानसिक एवं शारीरिक विकास हो इस कार्यक्रम के तहत केन्द्रों पर प्रतिदिन जन्म से 06 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों को दुग्ध और बिस्किट दिया जा रहा हैं।

इसी कार्यक्रम में इन ढाणियों में निवास करने वाले राहत फ़ूड किट वितरण किया जो 60 परिवारों को राहत सामग्री भी दी गई यह राहत सामग्री गरीब, घुमन्तु श्रेणी में है उन परिवारों को वितरण की गई । राहत सामग्री में 25 kg अनाज और मिर्ची, हल्दी, धनिया मसाला पाउडर दिया गया है। जो वर्ष में दो बार दिया जायेगा।

राहत सामग्री प्राप्त करते हुए बखता राम बावरिया ने बताया कि हम गरीब परिवार पिछले 25 वर्षों से मगरा रोल में निवास कर रहे हैं। 2011 में भारतीय जनगणना में 15 परिवारों का सर्वे में नाम शामिल हैं। सरकार द्वारा 2011 में पहली बार हमारा भी किसी गांव के निवासी यानी हम भारत के निवासी है की पहचान हुई। उसके बाद सबको राशन मिलने लगा है। सरकार ने सर्व में तो शामिल कर दिया लेकिन सब तरह की सुविधा से वंचित हैं। कई बार ग्राम पंचायत में मांग रखी गई लेकिन न रहने का मकान, न ही पीने के पानी की सुविधा है। हमने तो हमारा जीवन जंगल में रहकर बिता दिया लेकिन बच्चों का जीवन बहुत मुश्किल में है क्यों कि अब तो हमें कहीं पर भी बैठने नहीं देते। सरकारी जमीन पर भी बैठने से हटाने की धमकियां मिल रही हैं।

संस्थान कार्यकर्ता श्रवणलाल ने बताया कि घुमंतू परिवार जो गांव से दूर निवास करते है इन परिवारों के बच्चे एवं महिलाएं पोषण एवं स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित है इन स्थितियों को ध्यान में रखते हुए संस्थान प्रबंधन टीम ने जीव दया फाउंडेशन से सम्पर्क किया गया है जो इस प्रकार के परिवारों के बच्चों दुग्ध और बिस्किट मिले लेकिन वर्तमान में कहीं पर भी इन परिवारों के स्थाई निवास नहीं है बच्चों को बैठने के लिए छाया तक नहीं है। जायल, मुंडवा, नागौर ब्लॉक में ऐसे कई परिवारों की समस्या है कि बसने के लिए जमीन मिलना तो दूर की बात है आज तक राशन कार्ड तक जारी नहीं हुआ है।

धन्ना राम सचिव उरमूल खेजड़ी संस्थान ने बताया कि 2011 में कुछ गांवों में घुमंतु परिवारों के बारे में जानकारी प्राप्त करते हुए पाया कि घुमंतु परिवारों के साथ बहुत सारी समस्या है लेकिन नागौर के आस पास भी निवास करने वाले बावरिया परिवारों के पास ऐसा कोई सबुत नहीं है कि हम भारतीय हैं। किसी तरह का दस्तावेज नहीं है। 2011 के समय से लेकर आज भी देखा जाए तो बहुत सारे परिवारों के पास किसी तरह का दस्तावेज़ नहीं है। उनके बच्चों और महिलाओं की स्थिति बहुत ही खराब है। सरकार द्वारा प्राथमिकता तय करके इन परिवारों का सर्वे करके राहत दिलवाने की आवश्यकता है। साथ ही राहट किट वितरण के साथ टिकुराम जी के द्वारा पौधों भी महिलाओ को वितरित किये गये और उन्हे लगाने और संभाले का महिलाओ के द्वारा सपत ली गई | राहत पोषण किट के वितरण कार्य्रक्रम में टीकुराम , डेजर्ट फेल्लो राकेश यादव व रामनिवास शामिल रहे।

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