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अच्छी निंद्रा आना अपने पुण्यों का फल है – संत श्री ज्ञानानंदजी महाराज

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केशव सत्संग भवन में चल रहे है चार्तुमासिक प्रवचन
मन्दसौर। नगर के खानपुरा स्थित श्री केशव सत्संग भवन में चातुर्मास हेतु ज्ञानानंदजी महाराज हरिद्वार विराजित है जिनके मुखारविन्द से प्रतिदिन श्रीमद भागवत कथा के एकादश स्कंद का वाचन किया जा रहा है, जिसका श्रवण करने के प्रतिदिन प्रातः 8.30 बजे से 10 बजे तक बडी संख्या में धर्मालुजन पधार रहे है।
सोमवार को धर्मसभा में संतश्री ज्ञानानंदजी महाराज ने कहा कि जब तक हमारा मन और दिमाग शांत न हो तब तक अच्छी निंद नहीं आ सकती। अच्छी निंद्रा आना भी अपने पुण्यों का फल है। एक शांत चित्त व्यक्ति को ही रात्रि को अच्छे से निंद्रा आती है। जिसका मन व्याकुल होता है दिमाग में तरह – तरह के विचार आते है जिनके कर्म अच्छे नहीं होते है ऐसे व्यक्ति रात्रि को भी अच्छे से नहीं सो पाते। जिसका कारण होता है शरीर में रक्त का संचार तेजी से होना हमारा मन शांत होगा दिमाग स्थिर होगा कोई तनाव नहीं होगा तभी व्यक्ति को रात्रि में अच्छे से निंद्रा आयेंगी और यह भी सीधे तौर पर हमारे कर्मो पर निर्भर करता है। इसलिए सदैव अच्छे कर्म करना चाहिए।
आपने कहा कि व्यक्ति को हमेशा धैर्य रखना चाहिए धैर्यवान व्यक्ति को हमेशा अच्छा फल मिलता है। आपने बताया कि हमें किसान से सिखना चाहिए कि किसान कितना धैर्य रख अपनी फसल को बढा करता है। आज कल लोगों में धैर्य का अभाव सभी को जल्दी – जल्दी आगे बढना है।
क्षमा बडों का आभूषण है
धर्मसभा में संतश्री ने बताया कि क्षमा करना आसान कार्य नहीं है क्षमा वहीं व्यक्ति कर सकता है जो दण्ड देने की ताकत रखता हो इसलिए क्षमो को बडों का आभूषण कहा गया है। क्षमा देकर कोई व्यक्ति छोटा नहीं हो जाता। आपने कहा कि धर्म के कई लक्षण होते है उसमें विशेष रूप से शुद्ध अर्थ, बुद्धि अच्छी होना चाहिए, सत्य बोलना चाहिए, अच्छा भोजन ग्रहण करना चाहिए आदि आज प्रत्येक व्यक्ति धर्म के बारे में जानता तो है लेकिन करना नहीं चाहता।
सोमवार को धर्मसभा के अंत में भगवान की आरती उतारी गई जिसके पश्चात् प्रसाद का वितरण किया गया। धर्मसभा में विशेष रूप से केशव सत्संग भवन के अध्यक्ष जगदीशचंद्र सेठिया, उपाध्यक्ष राधेश्याम गर्ग, पूर्व तहसीलदार पं रूपनारायण जोशी, पं बालकृष्ण चौधरी, रामनिवास सेठिया, प्रहलाद पंवार, प्रवीण देवडा, कमल देवडा, राव विजयसिंह,भगवतीलाल पिलौदिया, जगदीश गर्ग, घनश्याम भावसार सहित बडी संख्या में महिलाएं पुरूष उपस्थित थे।

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