मनुष्य अपने जीवन में वैराग्य की महत्ता को समझे- पं. श्री भीमाशंकरजी शर्मा
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मन्दसौर। नरसिंहपुरा स्थित चारभुजा कुमावत धर्मशाला में सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। प्रतिदिन दोप. 12.15 से 3.15 तक प.पू. श्री भीमाशंकरजी शर्मा (धारियाखेड़ी वाले) धर्मालुजनों को श्रीमद् भागवत कथा श्रवण करा रहे है।कुमावत समाज की गरिमामय उपस्थित में सांवरिया सेठ के पावन सानिय में अडानिया परिवार के द्वारा स्व. श्री कन्हैयालाल अडानिया व स्व. श्रीमती जानीबाई अडानिया की पुण्य स्मृति में यह भागवत कथा आयोजित हो रही है। इस कथा को श्रवण करने हजारों की संख्या में धर्मालुजन कुमावत समाज धर्मशाला नरसिंहपुरा पहुंच रहे है।
कथा के तृतीय दिवस शुक्रवार को भागवत प्रवक्ता पं. श्री भीमाशंकरजी शर्मा ने कहा कि भागवतजी का प्रत्येक शब्द जीवन में प्रेरणा देता है। भ शब्द से भक्ति, ग शब्द से ज्ञान की प्रेरणा मिलती है तथा व शब्द वैराग्य की महिमा को बताता है। मानव जीवन अनमोल है इसे विषय वासना व घर परिवार में उलझाकर बर्बाद नहीं करना है। वैदिक धर्म व संस्कृति में चार आश्रम बताये है जब हमारे गृहस्थ जीवन का समय पूर्ण हो जाये अर्थात हमारी आयु 55 या 60 हो जाये तो गृहस्थ जीवन के प्रति मोह छोड़ दो। वैदिक धर्म में इसे ही वानप्रस्थ कहा गया है। अर्थात जब परिवार के सदस्य अपनी जिम्मेदारी उठाना सीख जाये तो मानव को चाहिये कि वह गृहस्थ जीवन के प्रति अपना मोह कम कर दे और प्रभु का भजन शुरू करे। यदि मनुष्य गृहस्थ जीवन में ही उलझा रहेगा तो उसका जीवन बर्बाद हो जायेगा। भागवतजी प्रेरणा देती है कि संतान का जब विवाह हो जाये अर्थात पुत्र पुत्री का घर बस जाये। नाती पौते हो जाये तो घर गृहस्थी से अपने को विमुख करना शुरू कर दो। घर परिवार की जिम्मेदारी संतान पर डाल दो इसी में आपका कल्याण है।
संसार धर्मशाला है सभी को छोड़कर जाना है- पं. भीमाशंकरजी शर्मा ने कहा कि इस संसार को धर्मशाला मानो जिस प्रकार धर्मशाला में कोई स्थायी रूप से नहीं रहता उसी प्रकार हमें भी इस संसार में इस मानव शरीर को छोड़कर जाना है, जब शरीर की आयु पूरी हो जायेगी तो शरीर हमारा साथ छोड़ देा। इसलिये शरीर एवं संसार दोनों के प्रति मोह मत रखो।
जो कमाया है वह यही रह जाना है- पं. भीमाशंकरजी शर्मा ने कहा कि मनुष्य जीवन भर धन दौलत के पीछे भागता है, धन संपत्ति कमाने के लिये अपना पूरा जीवन लगा देता है। लेकिन जब मृत्यु आती है तो शरीर भी यही रह जाता है और कमायी गई धन दौलत भरी यही रह जाती है। इसलिये धन के पीछे नहीं धर्म के पीछे भागो।
विचार बिगड़ने से जीवन बिगड़ जाता है- आपने धर्मसभा में कहा कि मनुष्य को सर्वप्रथम अपने विचारों की शुद्धि पर ध्यान देना चाहिये जिस प्रकार चार बिगड़ने पर सुबह बिगड़ जाती है। दाल या सब्जी बिगड़ने पर दिन बिगड़ जाता है, अचार बिगड़ने पर साल बिगड़ जाता है लेकिन यदि हमारे विचार बिगड़ गये तो समझेा जीवन बिगड़ गया।
अनावश्यक मत बोलों- पं. भीमाशंकरजी शर्मा ने कहा कि जीवन में अनावश्यक रूप से बोलने की आदत को छोड़े। जब भी बोले मधुर बोले, कटू वचनों का प्रयोग नहीं करे।
भागवत श्रवण से जीवन में परिवर्तन आता है- भागवत कथा मनुष्य को शांति समाज को दिशा देती है। जो भी पूरे मनोभाव से इसका श्रवण करता है उसके जीवन में परिवर्तन आता है।
श्री जोशी व अडानिया परिवार ने आरती की – भागवत कथा के तृतीय दिवस प्रेस क्लब जिलाध्यक्ष ब्रजेश जोशी, व अडानिया परिवार के गेंदमल अडानिया, सत्यनारायण अडानिया, अर्जुन अडानिया, कोमल अडानिया सहित पूरे परिवाजनों ने भागवत पोथी की आरती की।