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भगवान अपने भक्तिों से सिर्फ प्रेम और भक्ति चाहते है – संत श्री ज्ञानानंदजी महाराज

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केशव सत्संग भवन में चल रहे है चार्तुमासिक प्रवचन
मन्दसौर। श्री केशव सत्संग भवन खानपुरा में चातुर्मास हेतु ज्ञानानंदजी महाराज हरिद्वार विराजित है। संतश्री द्वारा केशव सत्संग भवन में श्रीमद भागवत कथा के एकादश स्कंद का वाचन किया जा रहा है।
गुरूवार को धर्म सभा में संतश्री ज्ञानानंदजी महाराज ने बताया कि जीव आत्मा परमात्का का ही अंश है। हमारे अंदर तो जीव है वो कोई अलग नहीं है इसे परमात्मा ने ही बनाया है। आपने बताया कि हमें अपनी अंतर आत्मा से सदैव ईश्वर का ध्यान करना चाहिए क्योंकि यह ईश्वर की ही देन है। आपने कहा कि ईश्वर की भक्ति के कई प्रकार है भक्त भी कई प्रकार के होते है लेकिन कैसी भी भक्ति करो लेकिन करो जरूर। आपने बताया कि भगवान की ध्यान सर्वप्रथम चरणों से करना चाहिए उसके बाद भगवान के जो भी चिन्ह है उनका ध्यान करना चाहिए।
धर्मसभा में संतश्री ने कहा कि एक बार रात्रि के समय भगवान श्रीकृष्ण बंशी बजा रहे थे तभी सभी गोपियां उनके पास पहुंच जाती है तो वे कहते है कि इतनी रात्रि को क्यों आई तो सभी गोपियां कहती है हम आपके भक्त है और आपकी भक्ति में लीन है। पहले तो रात के समय में स्त्रीयां बाहर नहीं निकलती थी अब तो सब चल रहा है लेकिन उस समय ऐसा नहीं था लेकिन फिर भी गोपियां भगवान श्री कृष्ण की भक्ति में लीन थी तो रात्रि के समय में भी चली आई कहना का अर्थ यह है अपने आप को पूरी तरह से भगवान की भक्ति में लगाओं बिना समय देंख। संतश्री ने कहा कि श्रीमद भागवत गीता के एकादश स्कंद में भक्ति और भक्तों केे लक्षणों को समापन हुआ अब आगे भगवान की लीलाओं का वर्णन किया जायेेगा।
धर्मसभा के अंत में भगवान नारायण की स्तुति हुई जिसके पश्चात् आरती और प्रसाद वितरण किया गया। गुरूवार प्रसाद के लाभार्थी गिरजाशंकर भावासर थे।
धर्मसभा में केशव सत्संग भवन के अध्यक्ष जगदीशचंद्र सेठिया, सचिव कारूलाल सोनी, मदनलाल गेहलोत, प्रहलाद काबरा, प्रद्युमन शर्मा, जगदीश गर्ग, कमल देवडा, गिरजाशंकर भावसार, जगदीश भावसार, प्रवीण देवडा, पं रूनवाल, घनश्याम भावसार सहित बडी संख्या में महिलाएं पुरूष उपस्थित थे।

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