मप्र हाईकोर्ट ने होमगार्ड सैनिकों को दो माह का काल आफ देने पर लगाई रोक
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एक याचिका दायर कर सरकार द्वारा 13 सितंबर 2022 को होमगार्ड रूल्स 2016 में किए गए संशोधन को चुनौती दी गई है।
जबलपुर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने होमगार्डों की ड्यूटी में दो माह काल आफ देने पर अंतरिम रोक लगा दी है। प्रशासनिक न्यायाधीश शील नागू व न्यायमूर्ति अवनींद्र कुमार सिंह की युगलपीठ ने निर्देश दिए हैं कि याचिकाकर्ता होमगार्ड सैनिकों की सेवा जारी रखी जाए। कोर्ट ने याचिका को पूर्व से लंबित मामलों के साथ लिंक करते हुए शासन व अन्य से जवाब पेश करने के निर्देश भी दिए। मामले की अगली सुनवाई 19 जून को होगी।
छिंदवाड़ा में पदस्थ रामकुमार सिंह गौतम व अन्य सैनिकों ने याचिका दायर कर सरकार द्वारा 13 सितंबर 2022 को होमगार्ड रूल्स 2016 में किए गए संशोधन को चुनौती दी है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता विहाग दुबे ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि संशोधन के जरिए एक साल में दो माह के काल आफ को बदलकर तीन साल में 2 माह का काल आफ कर दिया गया।
याचिकाकर्ताओं को एक जुलाई से 31 अगस्त 2023 का काल आफ दिया गया है। वर्ष 2010 में होमगार्ड सैनिकों द्वारा हाई कोर्ट जबलपुर द्वारा याचिका दायर कर नियमितीकरण, आरक्षकों के समान वेतन, पूरे वर्ष कार्य प्रदान करने व अन्य अनुतोष की प्रार्थना की गई थी।
वर्ष 2011 में हाई कोर्ट द्वारा आंशिक रूप से स्वीकार कर मध्य प्रदेश शासन को आदेशित किया था कि वे होमगार्डों की सेवा नियम बनाये एवं उन्हें पूरे वर्ष कार्य पर रखा जाए। इस आदेश को सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन शीर्ष अदालत ने हाई कोर्ट के आदेश को यथावत रखा।
इसके बाद सरकार ने वर्ष 2016 में नियम बनाए और आदेश के विपरीत पुनः एक वर्ष में 2 माह का बाध्य काल आफ का प्रविधान रख दिया। इसे लेकर कई याचिकाएं हाई कोर्ट में लंबित हैं। वर्ष 2020 में होमगार्ड विभाग द्वारा बाध्य काल आफ का आदेश जारी किया गया जिसे हाई कोर्ट में चुनौती दी गई। हाई कोर्ट ने विभाग के आदेश पर स्टे कर दिया। जब विभाग ने आदेश का पालन नहीं किया तो अवमानना याचिकाएं प्रस्तुत की गईं।