सीपीएस पद्धति से अफीम डोडों की खरीद प्रारंभ
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पहली बार अफीम तौल के साथ-साथ चल रहा मार्फिन परीक्षण
नीमच। केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो की मध्यप्रदेश इकाई ने अफीम उत्पादन के लायसेंस लेने वाले किसानों से शुक्रवार 7अप्रैल से डोडों की सरकारी खरीद भी प्रारंभ कर दी गई थी। फसल वर्ष 2022-23 के दौरान सीपीएस पद्धति के अंतर्गत अफीम के डोडों पर चीरा नहीं लगाने की शर्त के साथ दिए गए है। दूसरी ओर, अफीम फैक्ट्री के इतिहास में पहली बार परंपरागत तौर पर अफीम काश्त करने वाले किसानों से प्राप्त अफीम का मार्फिन परीक्षण भी लगभग तौल के साथ ही प्रारंभ कर दिया है, और क्रमानुसार नतीजे भी हर रोज उजागर किए जा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि मौजूदा अफीम फसल वर्ष में नीतिगत प्रावधानों के आधार पर मध्यप्रदेश में चीरा लगा कर अफीम निकालने के लिए 29 हजार 18 किसानों को और सीपीएस पद्धति के तहत बिना अफीम निकाले सरकार को डोडा देने के लिए 12 हजार 937 किसानों को लायसेंस प्रदान किए गए हैं। प्राकृतिक आपदा के कारण पूर्ण और आंशिक फसल उखाड़ने के लिए महज 229 किसानों ने ही आवेदन किए हैं। दोनों श्रेणी के बाकी 41 हजार 700 के करीब किसान अपनी उपज सरकार को देंगे।
नारस्कोटिक्स विभाग द्वारा परंपरागत खेती करने वाले किसानो से अफीम की खरीद के लिए 1 अप्रैल से अफीम का तौल शुरू कर दिया था, और कार्यक्रमानुसार नीमच, मंदसौर एवं रतलाम जिलों में स्थापित तौल केंद्रों पर खरीद जारी है। दूसरी ओर, विभाग ने शुक्रवार 7 अप्रैल से नीमच प्रथम और गरोठ डिवीजन पर सीपीएस के अंतर्गत उत्पादित डोडों की खरीद भी शुरू कर दी गई है, जो निरंतर जारी है।
मध्यप्रदेश के डिप्टी नारकोटिक्स कमिश्नर डॉ संजय कुमार मीणा के अनसार इसी क्रम में अन्य केंद्रों पर भी डोडों की खरीद शुरू की जा रही है। जिसकी सूचना संबंधित किसानों को प्रक्रियानुसार दी गई है। दूसरी ओर, जैसे ही तौल से अफीम के कंटेनर नीमच स्थल सरकारी अफीम फैक्ट्री पहुंचने प्रारंभ हुए हैं। फैक्ट्री प्रबंधन ने अपनी पूर्व तैयारियाें के अनरूप अफीम में निहित मार्फिन का परीक्षण भी शुरू कर क्रमानुसार परिणामों को विभाग की वेबसाइट पर प्रतिदिन अपलोड करने का सिलसिला भी प्रारंभ कर दिया है।
अफीम तुलाई के साथ-साथ परीक्षण भी और परिणाम भी-
पिछले साल तक अफीम सम्पूर्ण खरीदी के बाद फैक्ट्री में परीक्षण शुरू किया जाता था। जिससे बिचौलियों और दलालों से किसानों को परिणामो में हेराफेरी के नाम पर भ्रष्टाचार का अवसर मिल जाता था। फैक्ट्री के इतिहास में यह पहला मौका है जब अफीम की खरीद के लगभग साथ ही पूर्ण गोपनीय पद्धति और इंतजामों के साथ परीक्षण प्रारंभ किया है, परिणाम भी उजागर किए जा रहे हैं। जिससे किसानों को तुरंत जानकारी हो सके।
CPS पद्धति से नाराज दिखे किसान-
भास्कर की टीम शनिवार सुबह 7 बजे अफीम तुलाई केंद्र पहुंची, और किसानों से चर्चा की तो किसानों अपनी नाराजगी जाहिर की उन्होंने बताया कि वर्षों से हम अफीम की परंपरागत खेती करते आए हैं। लेकिन इस वर्ष CPS पद्धति में खेती की जिससे हमारा आर्थिक भार बढ़ा है। डोडे चोरी होने का डर बना रहता है। इसकी निगरानी के लिए खेतों में कैमरे लगवाए गए। दिन और रात डोडा सूखने तक पहरेदारी करना पड़ी।और अब अफीम तोल केंद्र पर तुलाई में भी समय लग रहा है।