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दुःख का मूल कारण है प्राप्त में असंतोष और अप्राप्ति में ईर्ष्या-जगद्गुरू आचार्य श्री रामदयालजी महाराज

दुःख का मूल कारण है प्राप्त में असंतोष और अप्राप्ति में ईर्ष्या-जगद्गुरू आचार्य श्री रामदयालजी महाराज

 

मंदसौर। 14 अक्टूबर को शाहपुरा रामस्नेही पीठाधीश्वर परम पूज्य श्रीमद् जगद्गुरू आचार्य श्री रामदयालजी महाराज का इन्दौर जाते समय पूज्य श्री जगवल्लभ राम जी महाराज पुष्कर, पूज्य श्री माणकरामजी महाराज उदयपुर के साथ अल्प समय के लिये धर्मधाम गीता भवन में पर्दापण हुआ।

गीता भवन ट्रस्ट अध्यक्ष पूज्य स्वामी रामनिवासजी महाराज, पूज्य ज्योतिषज्ञ लाड कुंवर दीदी का सानिध्य प्राप्त हुआ।

उपस्थित श्रद्धालुजनों को आशीषवचन में आचार्यश्री ने कहा कि दुख और विषाद का मूल कारण प्राप्त में असंतोष और अप्राप्ती में ईर्ष्या-उद्वेग है। जीवन में भगवत् कृपा और पूर्व जन्म कृत प्रारब्ध से हमें जो कुछ प्राप्त है उसका आनन्द प्रसन्नता नहीं मानते हुए और अधिक से अधिक प्राप्ति की इच्छा अभिलाषा रखने पर जब प्राप्त नहीं होता तो उससे हम दुःखी परेशान हो जाते है इसलिये जो प्राप्त है उसे पर्याप्त मानकर प्रसन्न सुखी रहना और अपर्याप्त के प्रति परेशान चिंतित तनावग्रस्त नहीं होना सुखी जीवन का मूल मंत्र है।

गीता का सार- गीता का यह चिंतन होना चाहिये कि हमारा कर्म करने में पूरी निष्ठ हो और फल प्राप्ती ईश्वर पर छोड़ देना चायिहे। कहा है न खुशी अच्छी न म्लान अच्छा जिस हाल में रखे गोपाल उसमें मगन रहना। गंगा की तरह हमें अपने लक्ष्य प्राप्ती के लिये निरंतर चरैवेती चरैवेती का लक्ष्य अपनाना चाहिये।

गंगा को पूछना नहीं पड़ता कि समुद्र कहां रहता है जिससे उसको मिलना है परन्तु कई बाधाओं को पार करते हुए अंत में गंगासागर में मिल जाती है और फिर पहले नाम गंगा का आता है और फिर सागर का।

सफलता तब मिलती है जब प्रमाद आलस्य छोड़कर साधना में जुट जाते है।

परिवारों में जो विवाद झगड़े हो रहे है उसमें हमारा यह मानना बड़ी भूल है कि हम सही और दूसरे गलत। हम सही और तुम गलत इस वाक्य से परिवार रूपी सुन्दरकाण्ड, लंकाकाण्ड में बदल जाता है इससे बचना चाहिये। जिस परिवार में परस्पर प्रेम, संयम, सम्मान, अनुशासन होगा वह परिवार कभी दुःखी तनावग्रस्त नहीं होगा।

आपने इस अवसर पर 1 दिसम्बर 2025 को गीता जयंती पर्व पर गीता भवन में प्रातः सम्पूर्ण गीता का मूल पाठ और दूसरे दिन गीता हवन करने का सभी से कहा। आपने गीता भवन में राम मंदिर निर्माण के उपलक्ष्य में आगामी 26 जनवरी 2026 से 27 जनवरी 2027 तक सम्पूर्ण वर्ष बड़ी धूमधाम से गीता पर्व महोत्सव मनाने लिये, पूर्व से विधिवत कार्य योजना बनाकर मंदिर निर्माण का प्रस्तावना को मूर्तरूप देने के लिये ट्रस्ट को प्रेरित किया।

प्रारंभ में पूज्य आचार्य श्री का सम्मान ट्रस्ट संरक्षक नरेन्द्र नाहटा, उपाध्यक्ष जगदीश चौधरी, सचिव पं. अशोक त्रिपाठी, कोषाध्यक्ष विनोद चौबे, वरिष्ठ ट्रस्टी बंशीलाल टांक, शेषनारायण माली, पुजारी अभिषेक शर्मा, सुभाष अग्रवाल, ओम चौधरी, सूरजमल गर्ग चाचा, शुभम बैरागी, कन्हैयालाल विजयवर्गीय, गोपाल माली, बालू रावत, विद्या उपाध्याय, पूजा बैरागी, रानू विजयवर्गीय, पुष्पा पाटीदार, अनुपमा बैरागी, निर्मला माली, मीना पाटीदार, पुष्पा गौड़, सुनीता चौधरी, उषा चौधरी, गंगाबाई अग्रवाल, ज्योति विजयवर्गीय, हीरामणी गर्ग, मीना कुंवर, मिथलेश कुंवर आदि ने कर आशीर्वाद प्राप्त किया।संचालन ट्रस्टी बंशीलाल टांक ने किया एवं आभार सचिव पं. अशोक त्रिपाठी ने माना।

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