आध्यात्मतालरतलाम

यज्ञोपवीत मनुष्य के मर्यादित होने का प्रमाण है -जो धारण नहीं करते उनके नैतिक पतन की संभावना रहती है- पंडित श्री जोशी

यज्ञोपवीत मनुष्य के मर्यादित होने का प्रमाण है -जो धारण नहीं करते उनके नैतिक पतन की संभावना रहती है- पंडित श्री जोशी

ताल ब्यूरो चीफ शिवशक्ति शर्मा

जनेऊ मात्र एक साधारण धागा नही बल्कि एक बहुत मजबूत रस्सी है जो मनुष्य इसे धारण करता है यह जनेऊ उसे कभी नीचे गिरने नही देती है यह जनेऊ मनुष्य के मर्यादित होने का प्रमाण है,जो ब्राह्मण इसे धारण नहीं करते उनके नैतिक पतन की संभावना अधिक है इसलिए सभी ब्राह्मणों को जनेऊ अवश्य धारण करना चाहिए,देश ओर दुनिया की वर्तमान परिस्थिति में इसकी महत्ता और अधिक बढ़ जाती है। मनुष्य, परिवार, समाज, देश ओर दुनिया को बचाने की क्षमता केवल जनेऊ में ही है और यह ही विश्व में शान्ति स्थापित कर सकती है ।

उक्त विचार सर्व ब्राह्मण समाज के संयोजक पुष्पेन्द्र जोशी ने श्रावणी उपाकर्म के गंगा आश्रम रतलाम पर आयोजित श्रावणी उपाकर्म कार्यक्रम में रखें।

कार्यक्रम के आचार्य पंडित चंद्रशेखर जोशी ने भी श्रावणी के सामाजिक, वैज्ञानिक और आध्यात्मिक महत्व पर प्रकाश डाला इस अवसर पर पंडित कन्हैया लाल तिवारी,डॉ रविन्द्र उपाध्याय, कृष्ण गोपाल आचार्य, डॉ आई पी त्रिवेदी,नरेंद्र जोशी, शैलेन्द्र तिवारी,सुरेश जोशी, महेश चन्द्र जोशी, शरद शुक्ला, भवानी शंकर मोड़,श्रीराम दवे,संजय दीक्षित, पार्षद विशाल शर्मा ,सत्यदीप भट्ट अनुराग लोखंडे, जगदीश उपाध्याय, उत्तम शर्मा, चैतन्य भट्ट आदि ब्रह्म जन उपस्थित रहे।

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