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तप कल्याणक के अंतर्गत नीलाँजना नृत्य से हुआ वैराग्य,

धर्मध्यान की सीढ़ी से केवलज्ञान प्राप्त करने का पुरूषार्थ करें- आचार्य श्री

मंदसौर। श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र बही पार्श्वनाथ चौपाटी पर 16 अप्रैल से आयोजित हो रहे पंचकल्याणक महामहोत्सव के तीसरे दिन शुक्रवार को आचार्य की वर्धमानसागरजी महाराज ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि जन्म लेने के बाद सब यह मानते हैं कि हमारी उम्र बढ़ रही है परन्तु सत्य तो यह है कि जो बची हुई हैं बस वही हमारी उम्र है जो कट गई वह तो गई। आचार्यश्री ने कहा माता अपने बालक को योग्य बनाने के लिए कितने कष्ट सहन करती है परन्तु तीर्थंकर तो जन्म से ही संस्कारित होते हैं। उन्होंने कहा मनुष्य जीवन दुर्लभता से मिलता है, इस बहुमूल्य जीवन का सदुपयोग करें। धर्मध्यान की सीढ़ी से केवल ज्ञान प्राप्त करने का पुरुषार्थ करें।
आचार्य श्री के पाद प्रक्षालन श्री पुखराज जैन ने किये, श्री मनोहर सिंह लोढ़ा ने शास्त्र भेंट किये…
इस अवसर पर प्रतिष्ठाचार्य ब्रह्मचारी संजय भैया ने मां की महिमा प्रतिपादित करते हुए नवदेवता व पंच कल्याणक की पूजन करवाई। दोपहर 12 बजे से युवराज आदि कुमार की गाजे बाजे के साथ हाथी पर बारात निकली, राज्याभिषेक, मुकुटबद्ध राजाओं द्वारा भेंट, राज्य संचालन, छः कर्मों के उपदेश नीलांजना नृत्य, वैराग्य, भरत बाहुबली का राजतिलक आदि कई कार्यक्रम तप कल्याणक के कार्यक्रमों में दर्शाए गए।
दूर दूर नगरों से आये हजारों समाज जनों ने महोत्सव में धर्म लाभ लिया….
गत रात्रि 24 पालनों में 24 माताओं ने 24 तीर्थंकर बालकों को पालना झुलाया। 24 भुवाओं ने काजल लगाए। पंडाल में उपस्थित विशाल जैन समुदाय ने भी बालक तीर्थंकर के पालने झुलाए। सुसनेर से महोत्सव में आए बडी संख्या में समाजजनों का महोत्सव समिति अध्यक्ष श्री शांतिलाल बड़जात्या, जंबुकुमार जैन सोगाणी, जयकुमार बड़जात्या, मनीष सेठी, अरविंद मेहता, आदीश जैन, राजकुमार पाटनी आदि ने स्वागत किया। प्रारंभ में मंगलाचरण दिगम्बर जैन महिला मण्डल मंदसौर ने किया।
महोसव की मीडिया प्रभारी डॉ. चंदा भरत कोठारी ने बताया कि आज प्रातःकाल से ज्ञान कल्याणक की क्रियाओं के अंतर्गत मंत्र आराधना पूजन, 24 मुनिराज की आहार चर्चा, ज्ञान कल्याणक की क्रियाएं, प्राण प्रतिष्ठा, सूरी मंत्र व समवशरण से दिव्य देशना तथा शाम 7 बजे से सांस्कृतिक कार्यक्रम, सम्मान समारोह आदि क्रियाएं सम्पन्न होगी।