निजी अस्पतालों को फर्जी प्रमाण पत्र जारी करने पर चार अधिकारियों के विरुद्ध लोकायुक्त प्रकरण दर्ज

निजी अस्पतालों को फर्जी प्रमाण पत्र जारी करने पर चार अधिकारियों के विरुद्ध लोकायुक्त प्रकरण दर्ज
मंदसौर । तत्कालीन सीएमएचओ डॉ. अनिल नकुम ने जिले के 29 निजी अस्पतालों को अनियमितताओं के कारण नोटिस जारी किए थे। इन नोटिस में भवन की व्यावसायिक अनुज्ञा भवन पूर्णता प्रमाण पत्र सहित कई कमियों को 30 दिनों में पूरा करने का निर्देश दिया गया था। इन कमियों को पूरा करना लगभग असंभव था, जिसके चलते 7 नवंबर 2022 को 21 निजी अस्पतालों के लाइसेंस रद्द कर दिए गए।नपा में सीएमओ रहे प्रेम कुमार सुमन के स्थानांतरण के बाद सुधीर सिंह ने मंदसौर नगरपालिका के सीएमओ का पदभार संभाला। इस दौरान नए सीएमएचओ डॉ. जीएस चौहान भी नियुक्त हुए। सुधीर सिंह ने नपा में आते ही निजी अस्पताल संचालकों के साथ सांठगांठ कर फर्जी पत्र जारी कर दिए। सीएमओ और इंजीनियरों ने मिलकर इतना गोलमाल पत्र जारी किया कि सांप भी नहीं मरे और लाठी भी नहीं टूटे। उन्होंने निजी अस्पतालों को जो पत्र जारी किया उसमें लिखा कि अस्पतालों के भवनों का निर्माण पूरा हो चुका है और वे व्यावसायिक उपयोग (अस्पताल) के लिए उपयुक्त हैं, क्योंकि संबंधित पक्ष व्यावसायिक टैक्स जमा कर रहे हैं।हैरानी की बात यह है कि ये पत्र न तो भवन की व्यावसायिक अनुज्ञा को सिद्ध करते थे और न ही भवन पूर्णता प्रमाण पत्र की शर्तों को पूरा करते थे। इसके बावजूद, सीएमएचओ डॉ. जीएस चौहान ने इन पत्रों के आधार पर 29 निजी अस्पतालों की मान्यता का नवीनीकरण कर दिया। यह सवाल उठता है कि जब पूर्व सीएमओ प्रेम कुमार सुमन ने इन अस्पतालों को प्रमाण पत्र जारी करने से इनकार किया था, तो सुधीर सिंह ने आते ही यह काम कैसे कर दिया? पत्रकार नरेंद्र धनोतिया ने इस मामले को लोकायुक्त के समक्ष सम्पूर्ण दस्तावेजों के साथ शिकायत की। उनकी शिकायत के आधार पर लोकायुक्त ने मन्दसौर नगरपालिका में सीएमओ रहे सुधीर सिंह, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ अधिकारी डॉ. जीएस चौहान, प्रेम कुमार सुमन और इंजीनियर पीएस धार्वे के खिलाफ जांच शुरू की है। लोकायुक्त ने मन्दसौर जिला शहरी विकास प्राधिकरण की परियोजना अधिकारी से भी जवाब तलब किया है।
मंदसौर। मंदसौर नगरपालिका के पूर्व मुख्य नगरपालिका अधिकारी सुधीर सिंह के कार्यकाल में निजी अस्पतालों को फर्जी तरीके से व्यावसायिक प्रमाण पत्र जारी करने का मामला सामने आया है। इस मामले में लोकायुक्त ने सुधीर सिंह, तत्कालीन सीएमएचओ डॉ. जीएस चौहान, पूर्व सीएमओ प्रेम कुमार सुमन और नगरपालिका इंजीनियर पीएस धार्वे के खिलाफ जांच शुरु कर दी है। लोकायुक्त ने प्रकरण क्रमांक 049/5/2025-26 दर्ज कर इस शिकायत की जांच में जिला शहरी विकास प्राधिकरण की परियोजना अधिकारी से भी जवाब मांगा गया है।
ये है पूरा मामला
मंदसौर नगरपालिका के इतिहास में सुधीर सिंह अब तक का सबसे अक्षम सीएमओ माना जा रहा है। सुधीर सिंह’ श्रेणी-ग’ का अधिकारी होने के बावजूद उन्हें ‘श्रेणी-ए’ की नगरपालिका में नियुक्त किया गया था, जिसके बाद उनके द्वारा किए गए उल्टे सीधे कार्यों ने विवादों को जन्म दे दिया। तत्कालीन सीएमएचओ डॉ. अनिल नकुम ने जिले के 29 निजी अस्पतालों को अनियमितताओं के कारण नोटिस जारी किए थे। इन नोटिस में भवन की व्यावसायिक अनुज्ञा भवन पूर्णता प्रमाण पत्र सहित कई कमियों को 30 दिनों में पूरा करने का निर्देश दिया गया था। इन कमियों को पूरा करना लगभग असंभव था, जिसके चलते 7 नवंबर 2022 को 21 निजी अस्पतालों के लाइसेंस रद्द कर दिए गए।
सुधीर सिंह ने कर दिया खेल
नपा में सीएमओ रहे प्रेम कुमार सुमन के स्थानांतरण के बाद सुधीर सिंह ने मंदसौर नगरपालिका के सीएमओ का पदभार संभाला। इस दौरान नए सीएमएचओ डॉ. जीएस चौहान भी नियुक्त हुए। सुधीर सिंह ने नपा में आते ही निजी अस्पताल संचालकों के साथ सांठगांठ कर फर्जी पत्र जारी कर दिए। सीएमओ और इंजीनियरों ने मिलकर इतना गोलमाल पत्र जारी किया कि सांप भी नहीं मरे और लाठी भी नहीं टूटे। उन्होंने निजी अस्पतालों को जो पत्र जारी किया उसमें लिखा कि अस्पतालों के भवनों का निर्माण पूरा हो चुका है और वे व्यावसायिक उपयोग (अस्पताल) के लिए उपयुक्त हैं, क्योंकि संबंधित पक्ष व्यावसायिक टैक्स जमा कर रहे हैं।
हैरानी की बात यह है कि ये पत्र न तो भवन की व्यावसायिक अनुज्ञा को सिद्ध करते थे और न ही भवन पूर्णता प्रमाण पत्र की शर्तों को पूरा करते थे। इसके बावजूद, सीएमएचओ डॉ. जीएस चौहान ने इन पत्रों के आधार पर 29 निजी अस्पतालों की मान्यता का नवीनीकरण कर दिया। यह सवाल उठता है कि जब पूर्व सीएमओ प्रेम कुमार सुमन ने इन अस्पतालों को प्रमाण पत्र जारी करने से इनकार किया था, तो सुधीर सिंह ने आते ही यह काम कैसे कर दिया?
अवैध निर्माण और पार्किंग का मुद्दा यथावत
शिकायत में आरोप है कि मन्दसौर में आधे से अधिक निजी अस्पतालों के पास व्यावसायिक अनुमति नहीं थी, और कई के खिलाफ नगरपालिका में अवैध निर्माण की शिकायतें दर्ज थीं। नगरपालिका के इंजीनियरों ने स्वयं मौके पर गलत निर्माण की पुष्टि की थी। इसके बावजूद, सुधीर सिंह ने जनवरी 2023 में इन अस्पतालों को व्यावसायिक प्रमाण पत्र जारी किए। हैरानी की बात यह है कि जनवरी 2024 में वहीं सुधीर सिंह इन अस्पतालों को पार्किंग व्यवस्था के लिए नोटिस जारी करते नजर आए। सवाल यह है कि यदि अस्पताल व्यावसायिक अनुमति के तहत संचालित हो रहे थे, तो पार्किंग की कमी कैसे रह गई? क्या नगरपालिका और इसके इंजीनियरों ने गलत प्रमाण पत्र जारी किए?
लोकायुक्त दर्ज किया जांच प्रकरण, जांच शुरु
मंदसौर के पत्रकार नरेंद्र धनोतिया ने इस मामले को लोकायुक्त के समक्ष सम्पूर्ण दस्तावेजों के साथ शिकायत की। उनकी शिकायत के आधार पर लोकायुक्त ने मन्दसौर नगरपालिका में सीएमओ रहे सुधीर सिंह, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ अधिकारी डॉ. जीएस चौहान, प्रेम कुमार सुमन और इंजीनियर पीएस धार्वे के खिलाफ जांच शुरू की है। लोकायुक्त ने मन्दसौर जिला शहरी विकास प्राधिकरण की परियोजना अधिकारी से भी जवाब तलब किया है।