उत्तर प्रदेशगोरखपुर

अंतराष्ट्रीय ट्रस्ट द्वारा आधुनिक भारत के जनक “राजा राममोहन राय की जयंती पर विशेष डॉ हृदयेश कुमार

अंतराष्ट्रीय ट्रस्ट द्वारा आधुनिक भारत के जनक “राजा राममोहन राय की जयंती पर विशेष डॉ हृदयेश कुमार

फरीदाबाद सैक्टर 3 जाट भवन में शिक्षा स्वास्थ्य जैसे अन्य विषयों पर एक विशेष “राजा राममोहन राय की जयंती का आयोजन किया गया जिसमें डॉ हृदयेश कुमार ने बताया कि आधुनिक भारत के जनक “राजा राममोहन राय पश्चिम बंगाल में हुगली जिले के राधानगर गांव में 22 मई, 1772 को जन्मे राजा राममोहन राय की प्रारंभिक शिक्षा गांव में हुई। उनके पिता रामकांत राय वैष्णव थे। उन्हें उच्च शिक्षा के लिए पटना भेजा गया। तीक्ष्ण बुद्धि के धनी राममोहन राय ने 15 साल की उम्र तक बंगला, पारसी, अरबी और संस्कृत सीख ली थी।

राजा राममोहन राय मूर्तिपूजा और रूढ़िवादी हिन्दू परंपराओं के विरुद्ध थे। वे सभी प्रकार की सामाजिक धर्मांधता और अंधविश्वास के खिलाफ थे, लेकिन उनके पिता रूढ़िवादी हिन्दू ब्राह्मण थे। इससे पिता और पुत्र में मतभेद पैदा हो गया और राजा राममोहन राय घर छोड़कर चले गए। और उन्होंने समाज की कुरीतियों जैसे सती प्रथा, बाल विवाह के खिलाफ खुलकर संघर्ष किया। सती प्रथा का वेदों में कोई स्थान नहीं था अत: उन्होंने गवर्नर जनरल लॉर्ड विलियम बेंटिक की मदद से सती प्रथा के खिलाफ कानून बनवाया। उन्होंने घूम-घूमकर लोगों को उसके खिलाफ जागरूक किया। उन्होंने लोगों की सोच में बदलाव लाने का अथक प्रयास किया। तथा

उन्होंने 1814 में आत्मीय सभा का गठन कर समाज में सामाजिक और धार्मिक सुधार शुरू करने का प्रयास किया। उन्होंने महिलाओं के फिर से शादी करने, संपत्ति में हक समेत महिला अधिकारों के लिए अभियान चलाया था राजा राममोहन राय ने शिक्षा खासकर स्त्री-शिक्षा का समर्थन किया। उन्होंने अंग्रेजी, विज्ञान, पश्चिमी चिकित्सा एवं प्रौद्योगिकी के अध्ययन पर बल दिया। वे मानते थे कि अंग्रेजी शिक्षा पारंपरिक शिक्षा प्रणाली से बेहतर है। उन्होंने 1822 में अंग्रेजी शिक्षा पर आधारित स्कूल की स्थापना की थी

आधुनिक भारत के निर्माता कहे जाने वाले महान समाज सुधारक राजा राममोहन राय ने केवल सती प्रथा जैसी कुरीति खत्म ही नहीं की बल्कि लोगों के सोचने-समझने का ढंग बदल दिया। नवंबर, 1830 में राजा राममोहन राय ने ब्रिटेन की यात्रा की। उनका ब्रिस्टल के समीप स्टाप्लेटन में 27 सितंबर 1833 को निधन हो गया और इनकी जयंती के अवसर परस्लम बस्ती में 203 जोड़ी कपड़े बांटे गए तथा रक्त दान शिविर का आयोजन भी किया गया जिसमें 57 युवाओं ने रक्तदान किया

जो ट्रस्ट के राष्ट्रीय सचिव पंडित वेद प्रकाश पाराशर ने बताया कि हमने समाज सेवा में समर्पित रहने के लिए ही अपना जीवन कर लिया है हर सेवा में समर्पित हैं फ्री शिक्षा स्वास्थ्य जैसे अन्य सेवाएं निरंतर जारी रहेगी इस अवसर पर सुबोध कुमार साह, शिव शंकर राय, सपनों का आशियाना ट्रस्ट की संस्थापिका राधिका गुप्ता, लाली देवी, रहीश खान, रेणु देवी आदि उपस्थित रहे राधिका गुप्ता ने बताया कि हम सभी सेवाएं निरंतर प्रदान करते रहेंगे समाज हित से बड़ा कोई काम नहीं है

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