अंतर्राष्ट्रीयसंक्रमण बीमारी

रूस का बड़ा ऐलान, बना ली कैंसर की वैक्सीन`

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कैंसर वैक्सीन की कीमत 2.5 लाख रुपए, 48 घंटे में दिखने लगेगा प्रभाव

मास्को:-रूस के द्वारा कैंसर वैक्सी की घोषणा किए जाने के बाद से दुनियाभर के कैंसर मरीजों में उम्मीद जगी है. कैंसर का इलाज महंगा होने के साथ ही वैक्सीन नहीं मिलने की वजह से कई लोगों की मौत हो जाती है. इस बारे में रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय के रेडियोलॉजी मेडिकल रिचर्स सेंटर के डायरेक्टर आंद्रेई काप्रिन ने कहा कि रूस की इस कैंसर वैक्सीन को अलग-अलग के मरीजों के लिए अलग-अलग बनाया जाएगा. हालांकि रूस के सभी नागरिकों के लिए फ्री में

इस विशेषता की वजह से इस वैक्सीन की कीमत करीब 2.5 लाख रुपए होगी.

हालांकि दुनिया के बाकी देशों को यह वैक्सीन कब तक मिलेगी, इसको लेकर काप्रिन ने कोई जानकारी नहीं प्रदान की. 2025 में कैंसर की वैक्सीन लॉन्च होगी रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक उसके द्वारा कैंसर के खिलाफ एक टीका बना लिया है जिसको 2025 के शुरू में रूस के कैंसर रोगियों को फ्री में लगाया जाएगा. वहीं रूस की समाचार एजेंसी तास के मुताबिक रूसी स्वास्थ्य मंत्रालय के रेडियोलॉजी मेडिकल रिचर्स सेंटर के जनरल डायरेक्टर एंड्री काप्रिन ने रूसी रेडियो चैनकल पर इस वैक्सीन के बारे में जानकारी दी.

काप्रिन ने बताया कि ये वैक्सीन प्रीक्लिनकल ट्रायल में कारगर साबित हुई है. इससे ट्यूमर का विकास धीमा होने के साथ उस पर 80 फीसदी तक कमी देखी गई है. साथ ही इस वैक्सीन को मरीजों के ट्यूमर सेल्स के डेटा के आधार पर स्पेशल प्रोग्राम के जरिए डिजाइन किया जाता है. वैक्सीन का असर 48 घंटो में होगा वहीं रूस की फेडरल मेडिकल बायोलॉजिकल एजेंसी की प्रमुख वेरोनिका स्वोर्त्सकोवा ने वैक्सीन के काम करने के तरीके को मेलानोमा (स्किन कैंसर) के जरिए समझाया.

उन्होंने बताया कि सबसे पहले कैंसर के रोगी में से कैंसर सेल्स का नमूना लिया जाता है. इसके बाद वैज्ञानिक ट्यूमर के जीन की सीक्वेंसिंग करते हैं. इसके बाद कैंसर सेल्स में बने प्रोटीन को चिन्हित किया जाता है. प्रोटीन की पहचान के बाद पर्सनलाइज्ड एमआरएनए वैक्सीन बनाई जाती है. R को लगाई जाने वाली कैंसर वैक्सीन शरीर को T सेल्स बनाने का निर्देश प्रदान करती है. ये T सेल्स ट्यूमर पर हमला कर कैंसर को खत्म कर देती हैं. इसके बाद मनुष्य का शरीर ट्यूमर सेल को पहचानने लगता है, जिससे कैंसर दोबारा नहीं लौटता है।

इस संबंध में अमेरिकी राज्य फ्लोरिडा के कैंसर एक्सपर्ट एलियास सयूर के अनुसार इस टेक्निक से बन रही वैक्सीन ने ब्रैन कैंसर के लिए 48 घंटों से भी कम समय में असर दिखने लगा था. एक और वैक्सीन का एलान करेगा रूस रूसी स्वास्थ्य मंत्रालय के नेशनल मेडिकल रिसर्च रेडियोलॉजिकल सेंटर की वेबसाइट के अनुसार कैंसर से लड़ने के लिए दो तरह की खोज में जुटे हुए थे. इनमें पहली एमआरएनए वैक्सीन के अलावा दूसरी ऑन्कोलिटिक वायरोथेरेपी है.

इस थेरेपी के अंतर्गत प्रयोगशाला में मॉडिफाई इंसान के वायरस से कैंसर सेल्स पर निशाना साधते हुए संक्रमित कर दिया जाता है. इसकी वजह से वायरस कैंसर सेल्स में अपने आप मल्टीप्लाय करते हैं. फलस्वरूप इसका नतीजा ये होता है कि कैंसर सेल नष्ट हो जाती है. यानी इस थेरेपी में ट्यूमर को सीधे तौर पर नष्ट करने की जगह इम्युनिटी को सक्रिय करके कैंसर सेल्स नष्ट की जाती है. इस थेरेपी के लिए बनाई जा रही वैक्सीन का नाम एंटेरोमिक्स है। इस वैक्सीन का रिसर्च साइकिल पूरा हो चुका है. जल्द ही इसकी घोषणा हो सकती है।

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