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जो काम प्रेम के माध्यम से संभव है, वह हिंसा से संभव नहीं- आचार्य गोपाल कृष्ण महाराज

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7 दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का हुआ समापन

मंदसौर। नगर के नरसिंहपुरा क्षेत्र स्थित श्री चारभुजा नाथ कुमावत धर्मशाला में चल रही सात दिवसीय श्रीमद भागवत कथा का बुधवार को समापन हुआ। भागवत कथा में चार वेद, पुराण, गीता एवं श्रीमद् भागवत महापुराण की व्याख्या, प्रभुपाद, आचार्य गोपाल कृष्ण महाराज श्रीधाम वृन्दावन वाले के मुखारविंद से उपस्थित भक्तों ने श्रवण किया। विगत सात दिनों तक भगवान श्री कृष्ण जी के वात्सल्य प्रेम, असीम प्रेम के अलावा उनके द्वारा किए गए विभिन्न लीलाओं का वर्णन कर वर्तमान समय में समाज में व्याप्त अत्याचार, अनाचार, कटुता, व्यभिचार को दूर कर सुंदर समाज निर्माण के लिए युवाओं को प्रेरित किया।
इस धार्मिक अनुष्ठान के सातवें एवं अंतिम दिन भगवान श्री कृष्ण के सर्वाेपरी लीला श्री रास लीला, मथुरा गमन, दुष्ट कंस राजा के अत्याचार से मुक्ति के लिए कंसबध, कुबजा उद्धार, रुक्मणी विवाह, शिशुपाल वध एवं सुदामा चरित्र का वर्णन कर लोगों को भक्तिरस में डुबो दिया। इस दौरान भजन गायन ने उपस्थित लोगों को ताल एवं धुन पर नृत्य करने के लिए विवश कर दिया। आर्चाश्रीr ने सुंदर समाज निर्माण के लिए गीता से कई उपदेश के माध्यम अपने को उस अनुरूप आचरण करने कहा जो काम प्रेम के माध्यम से संभव है, वह हिंसा से संभव नहीं हो सकता है। समाज में कुछ लोग ही अच्छे कर्माें द्वारा सदैव चिर स्मरणीय होता है, इतिहास इसका साक्षी है। लोगों ने सातों दिन इस संगीतमयी भागवत कथा का आनंद उठाया। इस सात दिवसीय भागवत कथा में आस-पास क्षेत्र के अलावा दूर दराज से भी महिला-पुरूष भक्तों ने इस कथा का आनंद उठाया। सात दिनों तक इस कथा में पुरा वातावरण भक्तिमय रहा। प्रवचन के बाद उपस्थित भक्तों के बीच प्रसाद वितरण किया गया। इस अवसर पर जजमान के रुप में युवा प्रेस क्लब के अध्यक्ष महावीर जैन, उपाध्यक्ष विपिन चौहान, सचिव दवैन्द्र मौर्य, सचिन जैन, ओम कुमावत, महेश लोहार, कुलदीप सिंह शक्तावत आदि ने आचार्यश्री का सम्मान कर आशीर्वाद प्राप्त किया है।
कथा के लाभार्थी रामचंद्र कुमावत, दिनेश कुमावत, ललीत कुमावत (हरवा) ने बताया कि विगत १६ से २२ नवम्बर तक श्रीमद भागवत कथा महोत्सव किया जा रहा है। जिसमें क्षेत्र के भक्तजन पहुंचकर कथा का रसपान प्रतिदिन कर रहे है। उन्होने बताया कि कथा समापन के दूसरे दिवस २३ नवम्बर को तुलसी विवाह का आयोजन किया जाएगा। माता तुलसी की बारात लेकर मंडफिया धाम से माता को ब्याहने श्री सांवलिया सेठ स्वयं पधारेंगे।

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