आध्यात्ममंदसौरमध्यप्रदेश

हमेशा बड़े-बूढ़ो व माँ-बाप की सेवा करे ताकि उनका श्राप ना लगे-पं. श्री कृष्ण वल्लभ शास्त्री

महाकुम्भ प्रयागराज के उपलक्ष मे भागवतभूषणाचार्य पं. श्री कृष्ण वल्लभ शास्त्री के मुखारविंद से द्वीतीय दिवस की कथा का समापन
मंदसौर।महाकुम्भ प्रयागराज 2025 महापर्व के उपलक्ष में मंदसौर के पद्मावती रिसोर्ट के सामने  स्थित विश्व मंगल बालाजी इंदिरा कॉलोनी मे ज्ञान गंगा रूपी श्रीमद् भागवत कथा भागवत विचार संस्थान के द्वारा आयोजित की जा रही है। जिसके तहत द्वितीय दिवस की कथा मे पं. शास्त्री ने कहा कि महाभारत के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने नियम बदला रथ के पहिए को उठाकर गुस्सा किया।जिस तरह हमारे परिवार में भाई-भाई का झगड़ा होता ही है। उसी प्रकार दो भाइयो झगड़ो महाभारत की शुरुआत हुयी। कथानुसार अश्वत्थामा के बाण से शरीर जल रहा था तब ब्राह्मणों ने फलादेश बताया। समय अनुसार पांच पांडवों ने महाप्रयाण किया। कथानुसार कलयुग के प्रभाव से राजा परीक्षित के अनुसार कलयुग को चार स्थान मिले। कलयुग ने राजा परीक्षित से पांचवी बात मांगी। मुझे स्वर्ण चाहिए।तब कलयुग राजा के स्वर्ण में जाकर बैठ गया। उदाहरण के तौर पर कोई अचानक आपके पास दौड़कर आए उसने ऐसा-ऐसा कर दिया तब आप एकदम गुस्सा मत हो जाना।कथानुसार पृथ्वी माता कहती है मैं पाप, ताप और श्राप सहन नहीं कर सकती।और पाप होते ही पृथ्वी डोल गई।कथानुसार राजा परीक्षित ने ऋषि मुनि के गले में मृत सर्प डाल दिया तब ऋषि मुनि द्वारा राजा परीक्षित को कहा कि 7 दिवस के भीतर तुम्हारी मृत्यु हो जाएगी।फिर ऋषि मुनि को बताया गया कि राजा को कभी श्राप नही दिया जाता।पंडित शास्त्री ने उदाहरण के तौर पर बताया कि जिस प्रकार बेटा अपने मां-बाप को श्राप नहीं दे सकता।लेकिन मां-बाप बेटे को श्राप जरूर दे सकते हैं।इसलिए बड़े-बूढ़ो की सेवा करते रहो उनका श्राप न लगे।अगर माँ-बाप का श्राप लग गया तो बहु-बेटा कभी सुखी नही रह सकते।पंडित शास्त्री द्वारा कथा अनुसार बताया गया कि अब अगर ब्राह्मण को बात-बात पर गुस्सा आता है तो कई राजा खत्म हो जाते। अतःब्रह्मा जी ने श्रॉप पर बैंड लगा दिया। और कहां कलयुग में श्राप काम नहीं करेगा।पंडित शास्त्री द्वारा उदाहरण के तौर पर कहा गया कि जब आपको डॉक्टर कह दे, कि अपने मां-बाप के लिए अंतिम दिवस बचे हैं बस इनकी सेवा करें तब आप अपनी लालसा के कारण प्रॉपर्टी कागजात पर दस्तक करवाने के लिए आतुर व उनके मरने का इंतजार करते है।लेकिन कोई यह नहीं कहता कि भजन करो,धार्मिक प्रवचन टीवी देखो। एक परिवार ऐसा था जहाँ चार हिस्से होने के बाद एक हिस्सा रह जाता है वह हिस्से के लिए जो मां-बाप को रखेगा वहीं पांचवा हिस्सा रखेगा।अंत में इंद्रा कॉलोनी मे हो रही कथा के माध्यम से ही पंडित श्री कृष्ण वल्लभ शास्त्री द्वारा इस कथा में अधिक से अधिक संख्या में पधारने का अनुरोध किया गया।

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