रियासत काल से चली आ रही परंपरा को किसान पशुपालक युवाओं ने बैलों को भ्रमण करा कर रखी जारी
गौ भक्तों ने श्री हाडियां बाग से गौ माता का निकला जुलूस
सीतामऊ।रियासत काल से चली आ रही गोवंश बैलों को दीपावली के पावन पर्व पर अमावस्या के दिन मेहंदी लगाकर दूसरे दिन प्रतिपदा अन्नकूट महोत्सव पर सीतामऊ एवं खेड़ा के पशुपालक किसान अपने अपने गौ वंश बैलों को सीतामऊ स्थापना से पूर्व बने तालाब ले जाकर उनमें नहलाकर कर भव्य सजावट कर ग्राम पटेल एवं गणमान्य जनों कि उपस्थिति आतिशबाजी ढोल ढमाके के साथ तालाब किनारे से बैलों कि जोड़ी निकालने भ्रमण कराने कि परंपरा है। इस अवसर पर भव्य साज सजावट के साथ बैलों की जोड़ी निकालने वाले पशुपालक किसान भाई को पुरस्कृत किया जाता है।इसी परंपरा को इस वर्ष भी सीतामऊ नगर के वार्ड 06 व 07 के पशुपालक किसान युवाओं ने प्रथा बचाओ समिति का गठन कर इस बार फिर आयोजन को जारी रखते हुए तालाब किनारे से बैलों को नहलाकर सजा कर नगर के कैलाशपुर द्वार होकर गणपति चौक मोड़ी माताजी द्वार से भ्रमण कराते हुए मोड़ी माताजी मंदिर प्रांगण पहुंचे जहां पर समिति द्वारा पशुपालकों को पानी के केमपर प्रदान कर सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर नगर परिषद अध्यक्ष मनोज शुक्ला उपाध्यक्ष सुमित रावत जिला योजना समिति सदस्य अनिल पांडे सभापति विवेक सोनगरा लक्ष्मीनारायण काला भाजपा युवा नेता विजय गिरोठिया गोपाल जाट सुनील परमार, निर्मल सांखला दीपक काला , घनश्याम प्रजापत मदनलाल भट्ट , सुरेश गुप्ता भावेश राव, सुनील गौड़, हरिश चौरड़िया संजय सिंह भाटी योगेश कारा कुलदीप गौड़, रवि गौड़ जगदीश गेहलोत चिराग चौरड़िया शालु, अमित गौड़, अमन मयंक चोरड़िया सहित बड़ी संख्या में नागरिक पशुपालक किसान युवा प्रथा बचाओ समिति के सदस्य उपस्थित रहें।
गौ माता का निकला जुलूस
वहीं दीपावली के पावन पर्व के अवसर पर नगर के श्री हाडियां बाग गौशाला से प्रति वर्ष गौ भक्तो द्वारा गौ माता का नगर में जुलूस निकाला जाता है। इस वर्ष भी दीपावली के चतुर्थ त्यौहार शनिवार को अन्नकुट पर गौ भक्तो द्वारा गौ शाला से ढोल ढमाके के साथ गौ माता का जुलूस निकाला गया। इस अवसर पर गौशाला अध्यक्ष संजय लाल जाट कोषाध्यक्ष नरेंद्र दूबे संग्राम सिंह राठौड़ शाहिद गौशाला टीम एवं गौ भक्त उपस्थित थे।
मातृशक्ति ने गोवर्धननाथ कि पूजा अर्चना कर लिया आशीर्वाद –
नगर एवं अंचल में मातृशक्ति महिलाओं ने शनिवार को सुबह अपने अपने मोहल्ले भगवान गिरिवर गोवर्धन कि गोबर से आकृति बना कर पूजा अर्चना कर भोग लगाया और अपने परिवार कि सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त किया।
उल्लेखनीय है कि दिपोत्सव के चौथे दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। लोग इसे अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं। इस त्यौहार का भारतीय लोकजीवन में बहुत महत्व है। इस पर्व में प्रकृति के साथ मानव का सीधा सम्बन्ध है।गोवर्धन पूजा में गोधन अर्थात गायों की पूजा की जाती है। शास्त्रों में बताया गया है कि गाय उसी प्रकार पवित्र होती है जैसे नदियों में गङ्गा। गाय को देवी लक्ष्मी का स्वरूप भी कहा गया है। देवी लक्ष्मी जिस प्रकार सुख समृद्धि प्रदान करती हैं उसी प्रकार गौ माता भी अपने दूध से स्वास्थ्य रूपी धन प्रदान करती हैं। इनका बछड़ा खेतों में अनाज उगाता है। ऐसे गौ सम्पूर्ण मानव जाति के लिए पूजनीय और आदरणीय है। भगवान श्री कृष्ण द्वारा राजा इंद्र के प्रकोप अतिवृष्टि से किसानों एवं आमजन के रक्षा के लिए सात दिन तक गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उँगली पर उठाकर रखा और गोप-गोपिकाएँ उसकी छाया में सुखपूर्वक रहे। सातवें दिन भगवान ने गोवर्धन को नीचे रखा और प्रतिवर्ष गोवर्धन पूजा करके अन्नकूट उत्सव मनाने की आज्ञा दी। तभी से यह उत्सव अन्नकूट के नाम से मनाया जाने लगा।