सर्व पित्र अमावस्या पर गायत्री शक्ति पीठ पर सामूहिक तर्पण का आयोजन सम्पन्न हुआ
सर्व पित्र अमावस्या पर गायत्री शक्ति पीठ पर सामूहिक तर्पण का आयोजन सम्पन्न हुआ
संस्कार दर्शन /रमेश मोदी चौमहला /झालावाड़
कस्बे के गायत्री शक्तिपीठ पर सर्व पितृ अमावस्या के अवसर पर सामूहिक श्राद्ध- तर्पण का कार्यक्रम संपन्न हुआ l इस आयोजन मे देव-तर्पण, ऋषि- तर्पण एवं पितृ -तर्पण का कर्मकाण्ड वैदिक मंत्रों द्वारा कराया गया l जिसमें देवता, ऋषियों एवं पितरों को जलांजलि,तिलांजलि एवं पुष्पांजलि अर्पित की गई l कार्यक्रम में चौमहला नगर सहित आसपास की शाखाओं के 250 से अधिक श्रद्धालुओं ने भाग लिया l
शास्त्रों के अनुसार इस दिन उन पितरों को तर्पण दिया जाता है जिनका तिथि अनुसार श्राद्ध न हो पाया हो. इसलिए इसे “सर्वपितृ” अमावस्या कहा जाता है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन पितरों के लिए तर्पण और पिंडदान करने से उनकी आत्मा को शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। सनातन धर्म में इसे पितृपक्ष का अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है. यह अमावस्या उन पितरों या पूर्वजों को समर्पित होती है, जिनका श्राद्ध किसी कारणवश पहले न हो पाया हो. श्राद्ध पक्ष भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से लेकर आश्विन माह की अमावस्या तक चलता है. इस अवधि में लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और मुक्ति के लिए तर्पण, पिंडदान और अन्य धार्मिक अनुष्ठान करते हैं।,
मान्यता है कि आज पितर ब्राह्राण और पशु पक्षियों के रूप में अपने परिवार वालों का दिया गया तर्पण स्वीकार कर उन्हें खूब आशीर्वाद देते हैं। इसलिए इस दिन विद्वान ब्राह्मण को आमंत्रित कर भोजन कराने का विधान है। इसके अलावा गरीबों को भी अन्न दान किया जाता है। पितृ विसर्जन अमावस्या के दिन ब्राह्मण भोजन और दान आदि से पितृजन तृप्त होते हैं और जाते समय अपने पुत्र, पौत्रों और परिवार को आशीर्वाद देकर लौटते हैं।
इस तरह से शुभ मुहूर्त में पितरों की पूजा करने से व्यक्ति विशेष पर पूर्वजों की विशेष कृपा बरसती है। मान्यता है कि जिस घर के पितृ प्रसन्न होते हैं, उन्हें के परिवार में पुत्र प्राप्ति और मांगलिक कार्यक्रम होते हैं। यह भी माना जाता है कि इस दिन पितरों के लिए किया गया तर्पण उन्हें मोक्ष प्रदान करता है।