फतेहगढ़ में मतदान बहिष्कार मामला
पुरानी फतेहगढ़ मतदान केंद्र पर महज 66 मतदाताओ ने मतदान किया, इनमे से अधिकांश मत शासकीय सेवको के
दलोदा (शुभम धोका)
जिला मुख्यालय से 10 किमी दूर पुरानी फतेहगढ़ के मतदान केंद्र क्रमांक 187 पर 967 में से मात्र 66 मत ही गिरे। शाम तक कई अधिकारी आए लेकिन ग्रामीण नही माने। ग्रामीणो के अनुसार गाँव की समस्याओ के चलते ग्रामीणों के द्वारा मतदान नही किया गया। हमारे द्वारा कई दिनों पूर्व ही मतदान बहिष्कार की बात शासन प्रशासन व जनप्रतिनिधियों को बता दी थी, उसके बाद भी जिले के बड़े नेता व बड़े अधिकारी समस्या को देखने व समझने के लिए गांव में नही पहुँचे।
उल्लेखनीय है कि लोकसभा निर्वाचन हेतु मतदान सुबह 7 बजे ही शुरू हो गए लेकिन फतेहगढ़ में पहला मतदान सुबह 8:15 पर 75 वर्षीय बुजुर्ग अस्थमा रोगी मतदाता हीरालाल गायरी द्वारा किया गया।
इसके बाद भी अन्य ग्रामीण मतदान केंद्र से दूर चौराहे पर खड़े होकर मतदान केंद्र की ओर देखते रहते हैं लेकिन मतदान करने नहीं गए।
भास्कर संवाददाता द्वारा मतदाताओं से मतदान ना करने हेतु बात करने पर वह एक लाइन कहकर बात खत्म कर देते है, वह लाइन थी “पहले समाधान फिर मतदान”।
ग्रामीणो पर भड़के थाना प्रभारी बलदेव चौधरी, ग्रामीण घरो में लौटे
सुबह 8:30 बजे एसडीओपी कीर्ति बघेल व थाना प्रभारी बलदेव सिंह चौधरी सीआरपीएफ व अन्य पुलिसकर्मियों के साथ मतदान केंद्र पर पहुंचे। यहां मतदान कर्मियों से बात करने के बाद वह गांव के मुख्य चौराहे पर खड़े ग्रामीणों से मतदान करने की अपील करने गए। इस दौरान गांव के ही एक 32 वर्षीय मतदाता ने स्वाभाविक रूप से अपनी समस्या थाना प्रभारी व एसडीओपी के सामने रखना चाही, लेकिन थाना प्रभारी उल्टा युवक सहित ग्रामीणो पर भड़क गए। थाना प्रभारी के इस कृत्य पर ग्रामीण आक्रोशित हो गए एवं थाना प्रभारी का विरोध विरोध कर अपने घरों की ओर लौट गए।
ग्रामीणों का कहना था कि मतदान करना हमारी स्वेच्छा पर निर्भर है, प्रशासन हमें इस तरह डरा धमका कर मतदान नहीं करवा सकता। इसलिए हम थाना प्रभारी का विरोध कर घरों की ओर लौट गए।
एसडीएम शिवलाल शाक्य को ग्रामीणों ने हाथ जोड़कर मतदान करने से मना किया
दोपहर 4:00 बजे करीब मंदसौर एसडीएम शिवलाल शाक्य मतदान नहीं होने की सूचना पर पुरानी फतेहगढ़ पहुंचे एवं तहसीलदार से दिनभर की घटनाक्रम की जानकारी लेकर ग्रामीणों से मिलने पहुंचे। इस दौरान बारिश भी हो रही थी बारिश में है एसडीएम शाक्य ने ग्रामीणों के पास जाकर बात की एवं मतदान करने को कहा लेकिन ग्रामीणों ने हाथ जोड़कर एसडीएम शाक्य को मतदान करने से मना कर दिया।
ग्रामीणों का कहना था कि इस तरह से हमें कई बार मौखिक व लिखित आश्वासन मिल चुके हैं। इसके अलावा एसडीएम शाक्य 2 मई को भी हमसे मिलने आए थे उसके बाद उन्होंने 4 मई को अन्य अधिकारियों के साथ पुनः आने की बात कहि थी लेकिन 4 मई को ना आकर सीधा मतदान के दिन आए। एसडीएम ने 4 मई को एमपीआरडीसी अधिकारी को भेजा था उन्होंने भी कलेक्टर को आवेदन देने की कह दिया। इसलिए हमने एसडीएम द्वारा दिए आश्वासन पर भरोसा नहीं किया।