रामलला और राम मंदिर पर राजनीति से भड़के रामभद्राचार्य, कहा-विनाश काले,विपरीत बुद्धि
अयोध्या। रामनगरी अयोध्या में भव्य राम मंदिर में सोमवार को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी।करोड़ों रामभक्तों को रामलला के प्राण प्रतिष्ठा का बेसब्री से इंतजार है।कुछ लोग रामनगरी अयोध्या घूमकर आ गए तो कुछ जाने की बात कर रहे हैं।इन सब में एक बात समान है वो ये कि सभी रामलला का दर्शन करना चाहते हैं और भव्य राम मंदिर को भी देखना चाहते हैं।राम मंदिर को लेकर सियासत पहले भी होती थी,अभी भी जारी है।कोई प्राण प्रतिष्ठा के निमंत्रण को ठुकरा रहा है तो कोई राम मंदिर को लेकर ये कह रहा है कि राम मंदिर अपने असल स्थान से तीन किलोमीटर दूर बना है।रामलला के प्राण प्रतिष्ठा को लेकर सवाल खड़े किए गए।बता दें कि रामनगरी अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां अपने अंतिम चरण में हैं।
रामभद्राचार्य ने की टिप्पणी
सियासी विवादों पर अब जगद्गुरू रामभद्राचार्य ने टिप्पणी की है। रामभद्राचार्य ने कहा कि विनाश काले, विपरीत बुद्धि। उन्हें कोई ज्ञान नहीं है। मैं बिल्कुल वैसा ही महसूस कर रहा हूं, जैसे राम के 14 वर्षों बाद वनवास से वापस आने पर वशिष्ठ जी ने महसूस किया था।इस दौरान जगद्गुरू ने एक भक्ति गाना भी गाया, जिसके शब्दों के जरिए उन्होंने रामलला के मुखमंडल को परिभाषित करने का प्रयास किया।
रामलला को मिल रहे उपहार
इस बीच तमाम तरह के उपहार भी रामलला को भेजे जा रहे हैं।बता दें कि शनिवार की सुबह रामनगरी अयोध्या में विश्व का सबसे बड़ा और भारी ताला-चाबी पहुंच चुका है।इस ताले का निर्माण ताला नगरी अलीगढ़ में किया गया है।ताले को क्रेन की मदद से उठाया गया।इस ताले को सत्यप्रकाश शर्मा और उनकी पत्नी रुक्मणि शर्मा ने दो साल पहले बनवाया था। हालांकि कुछ समय पहले पति की मौत हो जाने से रुक्मणि ने इस ताले को राम मंदिर को दे दिया। रुक्मणि ने कहा कि मेरे पति की इच्छा थी कि इस ताले को भगवान राम के मंदिर को दिया जाए। इसलिए उन्होंने इस ताले को राम मंदिर के नाम कर दिया है।हैदराबाद से 1265 किलोग्राम का लड्डू प्रसाद भी रामनगरी अयोध्या पहुंच चुका है।