ग्वालियर, चंबल संभाग के जिलों में कहीं-कहीं शीतलहर का प्रभाव
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MP Weather: भोपाल। उत्तर-पश्चिमी उत्तर प्रदेश पर बना पश्चिमी विक्षोभ आगे बढ़ गया है। हवाओं का रुख भी उत्तरी हो गया है। उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। वहां से आ रही सर्द हवाओं के कारण प्रदेश में न्यूनतम तापमान में गिरावट होने लगी है। मौसम विज्ञानियों के मुताबिक शुक्रवार को ग्वालियर-चंबल संभाग के जिलों में कहीं-कहीं शीतलहर भी चल सकती है। सुबह के समय अब सिर्फ हल्का कोहरा रह सकता है। उधर गुरुवार को प्रदेश में सबसे कम 4.8 डिग्री सेल्सियस तापमान दतिया में दर्ज किया गया। ग्वालियर में रात का पारा 5.5 डिग्री सेल्सियस पर रहा। हिल स्टेशन पचमढ़ी में न्यूनतम तापमान 11.4 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड हुआ। राजधानी भोपाल में रात का तापमान 13.6 डिग्री सेल्सियस पर रहा। भोपाल में बुधवार को दिन का पारा 10 डिग्री लुढ़क गया और अधिकतम तापमान 17.9 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, यह सामान्य तापमान से भी करीब सात डिग्री सेल्सियस कम रहा। गुरुवार को सुबह भोपाल में मध्यम कोहरा छाया रहा और दृश्यता 200 से 500 मीटर के आसपास दर्ज की गई। बुधवार को प्रदेश में दिन का सबसे कम 17.2 डिग्री सेल्सियस तापमान सतना में दर्ज किया गया। कई जिलों में शीतलहर भी चली।
हवाओं का रुख उत्तरी
मौसम विज्ञान केंद्र से मिली जानकारी के मुताबितक वर्तमान में कोई प्रभावी मौसम प्रणाली सक्रिय नहीं है। अरब सागर एवं बंगाल की खाड़ी से भी नमी आने का सिलसिला कम हो गया है। इस वजह से बादल छंटने लगे हैं। साथ ही कोहरा भी कम हो गया है। उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। हवाओं का रुख उत्तरी हो जाने से प्रदेश में सर्दी बढ़ने लगी है।
खिलने लगी धूप
मौसम विज्ञान केंद्र के पूर्व वरिष्ठ मौसम विज्ञानी अजय शुक्ला ने बताया कि वातावरण से नमी कम होते ही बादल छंटने लगे हैं। धूप निकलने के कारण अब दिन के तापमान में बढ़ोतरी होने लगी है, लेकिन आसमान साफ होने और उत्तर भारत की तरफ से सर्द हवाएं चलने के कारण रात के तापमान में गिरावट का सिलसिला शुरू हो गया है। शुक्रवार को एक नया पश्चिमी विक्षोभ उत्तर भारत में आने वाला है। हालांकि आवृति कमजोर रहने के कारण उसका प्रदेश के मौसम पर विशेष प्रभाव पड़ने की संभावना कम है। इस वजह से अभी तीन-चार दिन तक रात के तापमान में गिरावट का सिलसिला बना रहने के आसार हैं। शुक्रवार को ग्वालियर, चंबल संभाग के जिलों में कहीं-कहीं शीतलहर का प्रभाव रह सकता है।