राष्ट्र व धर्म के खातिर सर्वस्व न्यौछावर करने के लिए सदैव तत्पर रहों – शंकराचार्य श्री ज्ञानानन्दजी
श्रीमद भागवत कथा में शंकराचार्य श्री ज्ञानानंदजी तीर्थ सहित कई संतो का हुआ आगमन,
मंदसौर। काबरा, गर्ग (केडिया) परिवार के द्वारा माहेश्वरी धर्मशाला में सात दिवसीय श्रीमद भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। कथा के पंचम दिवस की शाम को भानपुरा पीठ के पीठाधीश्वर शंकराचार्य श्री ज्ञानानंदजी तीर्थ का कथा मे आगमन हुआ (काबरा व गर्ग (केडिया) परिवार ने इस अवसर पर शंकराचार्यजी की अगवानी की तथा उनका स्वागत अभिनंदन किया। शंकराचार्यजी ने सर्वप्रथम भागवत पौथी का पुजन किया और कथा मे उपस्थित सभी धर्मालुजनो को आशीर्वाद प्रदान किया। शंकराचार्य श्री ज्ञानानंदजी तीर्थ के साथ इस अवसर पर भानपुरा पीढ़ के युवाचार्य श्री वरुणेन्द्रजी महाराज मनपुरिया आश्रम के महंत श्री महेश चेतन्यजी महाराज व पारितोषजी गुरूजी विराजीत थे।
शंकराचार्य श्री ज्ञानानंदजी महाराज ने कहा कि काबरा गर्ग (केडिया) परिवार ने कथा आयोजन किया है उससे मंदसौर नगर ही नही अपितु पुरे अचल में धर्म की ध्वजा लहरायेगी। इस मौके पर आपने महर्षि उत्तमस्वामीजी के ज्ञान व दर्शन की प्रशंसा की। आपने कहा कि मनुष्य की पांचों इन्द्रियो का अपना अपना महत्व है हमे अपनी पांचो इन्द्रियों को प्रभुकृपा में समर्पित रखना चाहिये जैसे चीटी धीरे धीरे आगे बढ़ती है हमे भी धर्म व आघ्यात्म में भी धीरे-धीरे आगे बढ़ना चाहिये। सेवा-स्वाघ्याय, संयम, साधना, सत्सगं धर्म क्षेत्र में आगे बढ़ने के माध्यम है हमे चीटी की भाँति एक एक कदम इन सभी क्षेत्रों मे बढ़ाना चाहिये। धर्म में ध्यान का बहुत का बहुत महत्व है जब भी ध्यान करे पद प्रतिष्ठा, घर परिवार, पत्नि बच्चो का ख्याल छोड दो और ईश्वर मे पुरी तरह समर्पित होकर ध्यान करो यदि ध्यान करते समय भी तुम्हे पद प्रतिष्ठा का ही ध्यान रहेगा तो ईश्वर के प्रति समर्पण में कमी रह जायेगी। ईश्वर के प्रति ध्यान लगाना है तो पद प्रतिष्ठा का ख्याल छोड़ समर्पण का भाव लाओ, ध्यान के लिये एकान्त जरूरी है। जब भी ध्यान करो एकान्त में करो। भजन किर्तन नृत्य संगीत का कार्यक्रम करो तो तीन चार जने मिलकर करो। यात्रा में जाओ तो 4 जने जरूर जाओ। खेती व्यापार करो तो पांच जने मिलकर करो।
शकराचार्य जी ने पण्डित, वेदपाठी बटुक के दर्शन को सुखकारी व शुभ बताते हुये कहा कि इनके दर्शन जहां भी हो उन्हें नमन करो। आपने शरीर के प्रत्येक अंग का क्या उपयोग श्रेष्ठ हो सकता है इस पर भी अपनी बात रखी और तीर्थ यात्रा करना, प्रभुजी की प्रतिमा की परिक्रमा करना पैर का श्रेष्ठ कर्म है। दान करना हाथ का श्रेष्ठ कर्म है।
आपने इस अवसर पर कहा कि राष्ट्र व धर्म के लिये जहां भी दान पुन्य करने का अवसर आये तो कभी पीछे मत रहो। जिस प्रकार राजा बलि ने वामन को धर्म की खातिर तीन पग भूमि दान दी हम भी धर्म की खातिर जब राष्ट्र के लिये सर्वस्व न्यौछावर करने के लिये तत्पर रहे। संचालन संजय लोढा ने किया। इन्होंने किया पौथी पूजनः- कथा में पूर्व भाजपा जिलाध्यक मानसिंह माच्छीपुरा रेडक्रास सोसायटी चेयरमेन प्रीतेश चावला, नपा उपाध्यक्ष श्रीमति नम्रता चावला, मण्डी व्यवसायी कुशल डोसी, महेश गर्ग, समाजसेविका अनिता दीदी गुरु, सन्नी बुलचंदानी व्यवसायी, लायन्द्र क्लब अध्यक्ष डॉ. मजहर हुसैन, सचिव प्रेम पाटीदार ने पौथी का पूजन किया तथा सभी से आशीर्वाद लिया। मंदसौर सीए एसोसिएशन, कर सलाहकार के सीए विन्द्र जैन, दिनेश जैन सीए, राजेश मण्डवारिया, विकास भण्डारी रितेश पारिख, आशीष जैन, जितेन्द्र मित्तल, संजय संचेती, प्रविण राठौर, मारूती पोरवाल, रामेश्वर कावरा, पंकज सोनी, निलेश भदादा, रत्नेश कुदार, शेलेन्द्र चौरडिया, राजेश पोरवाल टीबीएस जय प्रकाश बाहेती, मुकेश माहेश्वरी, जगदीश चौधरी, आदि ने भी पोथी पुजन किया।