मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री ब्याज माफी घोटाला: सेवा सहकारी समिति मर्या. गुलगंज में करोड़ों के घोटाले पर लीपापोती का खेल
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किसानों के नाम पर खातों में जमा कराई गई राशि हड़प कर सरकार को लगाया करोड़ों का चूना
पंकज पाराशर छतरपुर✍️
मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में मुख्यमंत्री ब्याजमाफी योजना में करोड़ों रुपये का घोटाला सामने आया है। जिसकी शिकायत किसानों ने कलेक्टर से लेकर गुलगंज पुलिस से भी की है। जब किसानों की कोई सुनवाई नहीं हुई तो उन्होंने अब प्रदेश के मुख्यमंत्री से इस पूरे मामले की जांच की मांग की है। किसानों का कहना है कि सरकार यदि कोई कार्रवाई नहीं करती है तो, हजारों की संख्या में किसान चक्काजाम कर रोष प्रकट करेंगे। खास बात यह है कि कई किसान ऐसे हैं जो न तो डिफाल्टर थे और न ही उनको कोई ब्याज का पैसा देना था फिर भी उनके नाम से ब्याजमाफी का पैसा खाते में डाला गया और उसे 24 घंटे में निकाल लिया गया।
छतरपुर जिले के गुलगंज कस्बे में हुए मुख्यमंत्री ब्याज माफी घोटाले ने सरकार की नींद उड़ा दी है। जिस अफसर ने इस कांड को सुना दंग रह गया। ये घोटाला एक दो किसानों का नही बल्कि एक हजार से अधिक किसानों से जुड़ा हुआ है। शुरुआती दौर में गुलगंज सहकारी समिति अंतर्गत आने वाले गांवों की हकीकत सामने आई है। इस घोटाले की गूंज भोपाल से लेकर छतरपुर तक होने के बाद जिला प्रशासन तो नही जागा बल्कि आरोपियों को कागजी और हांथ की सफाई का कमाल दिखाने का मौका दे दिया गया है। छतरपुर कलेक्टर संदीप जीआर ने अभी तक सारे रिकॉर्ड जब्त कर कार्यवाही शुरू क्यों नही की ? ये सोच का विषय है। हालांकि,अभी तक कलेक्टर की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े नही हुए हैं।
जानकारी के अनुसार कॉपरेटिव बैंक छतरपुर के महाप्रबंधक रामविशाल पटेरिया की भी हिस्सेदारी है l बिजावर के ब्रांच मैनेजर अजय असाटी और समिति प्रबंधक रामकिशन लोधी इस पूरे मामले के मास्टर माइंड बताए जाते हैं। ये दोनो ही कर्मचारी मानते हैं की मुख्यमंत्री कृषक ब्याज माफी की राशि किसानों के खाते में डाली गई लेकिन डालने के बाद उसी दिन किसानों के खाते से क्यों निकली गई ? और ये राशि निकलने के बाद कहां गई, कौन खा गया इसका जवाब इनके पास नही है। सूत्र बताते हैं कि अब अपनी गर्दन बचाने के लिए कागजी घोड़े दौड़ाए जा रहे हैं। किसानों में जिला प्रशासन की निष्क्रियता को लेकर जबरदस्त आक्रोश है।
करोड़ों के मालिक .
समिति सेवक रामकिशन राजपूत की नौकरी करीब 10 साल की है। इस दौरान नौकरी में रहते हुए छतरपुर में करीब एक करोड़ से अधिक का आलीशान बंगला,मंहगी कार,परिजनों के नाम पर दो ट्रक आदि खरीद लिए हैं। जो कि आय से 100 गुना अधिक बताया जा रहा है। इसके पहले ये व्यक्ति भतपुरा सोसाइटी में पदस्थ था। इस दौरान खाद,बीज की कालाबाजारी और किसानों की ऋण माफी घपले में विवादास्पद रहा है।
कॉपरेटिव बैंक छतरपुर के महाप्रबंधक रामविशाल पटेरिया और बिजावर के ब्रांच मैनेजर अजय कुमार असाटी..
इनके ऊपर भी लंबे समय से भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगते आए हैं, लेकिन विभागीय सांठगांठ के चलते इनके मामले दबते आए। जानकर बताते हैं कि ये महाशय भी अवैध कमाई के जरिए छोटी सी नौकरी में करोड़ों के मालिक बन गए। किसानों से अवैध वसूली,रिकॉर्ड में हेराफेरी,सरकारी खजाने में गोलमाल इनका पूरा खेल है। आलीशान मकान,गाडियां,जमीनों के स्वामी बने बैठे हैं। सूत्र बताते हैं कि आय से सौ गुना संपत्ति अर्जित करने के प्रमाण हैं।
किसानों ने लगाए आरोप
लघु किसान चंदा रानी पति कमलेंद्र सिंह ने बताया की इनके ऊपर कोई बकाया नहीं था। लेकिन इनको 17 जुलाई को एक लाख चौवन हजार रुपये का मुख्यमंत्री कृषक ब्याजमाफ़ी का प्रमाण पत्र दिया गया। जिसको देखकर इनके होश उड़ गए। ये राशि इनके खाते में 23 जून 2023 को जमा की गई और 24 जून को वापस ट्रांसफर कर ली गई।
लघु किसान मोहन सिंह ने बताया की मेरे खाते में भी 23 जून 2023 को 1 लाख 25 हजार 961 रुपए मुख्यमंत्री कृषक ब्याज माफी के डाले गए और उसी दिन यह राशि ट्रांसफर कर ली गई।
किसान दीपक तिवारी गुलगंज ने बताया कि मेरे खाते में 23 जून 2023 को मुख्यमंत्री कृषक ब्याजमाफ़ी के 90514 रुपये डाले गए और उसी दिन वापस निकाल लिए गए। जब डिफाल्टर ही नहीं थे तो ब्याजमाफी का पैसा खाते में क्यों आया। यह सब बैंक वालों का खेल है।
कृषक राजेंद्र जाडिया निवासी गुलगंज ने बताया की खाते में 23 जून को ब्याजमाफी की राशि डाली गई और उसी दिन वापस निकाल ली गई। जब मैंने बैंक का लेनदेन का पता किया तब पता चला।
कृषक जमनाराम गुलगंज को भी मुख्यमंत्री ब्याज माफी योजनान्तर्गत 76706 रुपए ब्याज माफी का प्रमाण पत्र दिया गया। जबकि ये बकायादार नही हैं। इनके खाते में ब्याजमाफी की राशि डालकर वापस निकाल ली गई। गुलगंज, मौखेरा, गोपालपुरा, भातपुरा समेत पूरे जिले में हजारों किसान हैं। जिनके खाते में ब्याज माफी की राशि डाली और निकाल ली गई।
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जांच के दिए आदेश
ब्याजमाफी के पैसे उनके खातों से निकाले जाने की शिकायत कुछ किसानों की आई है। हमने जांच के आदेश दे दिए हैं। जांच के बाद ही पता चलेगा कि ऐसा क्यों हुआ है।
आरबी पटेरिया, जीएम, को-ओपरेटिव बैंक छतरपुर
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किसानों के खातों से ट्रांसफर कराया रुपया
किसानों की ब्याजमाफी का पैसा सरकार ने बैंकों को दिया है। पैसा किसानों के खातों से ट्रांसफर कराया है। यह तो सरकारी आदेश था।
–अजय असाटी, मैनेजर, को-आपरेटिव बैंक गुलगंज