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ताल — शिवशक्ति शर्मा
कोई भी शिक्षक किसी भी परिस्थिति में अपने छात्र का कभी अहित नहीं चाहता ।हर गुरु या शिक्षक हमेशा यह सोचता है कि उसका शिष्य छात्र उससे अधिक प्रगति करे। भारतीय गुरु परंपरा वैज्ञानिक परंपरा है और इस पर लगातार अनुसंधान जारी है। ये विचार सरस्वती विद्या प्रतिष्ठान के विभाग समन्वयक महेंद्र भगत ने व्यक्त किये। श्री भगत सरस्वती पूर्व छात्र परिषद द्वारा आयोजित शिक्षक सम्मान समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। सरस्वती शिशु मंदिर में आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व छात्र परिषद मालवा के प्रांत सह संयोजक शीतल चौरडिया ने की। इस अवसर पर संबोधित करते हुए श्री चौरडिया ने कहा कि माता-पिता के बाद गुरु ही वह व्यक्ति है जो अपने शिष्य को अपने से आगे बढ़ते हुए देखकर प्रसन्न होता है।
कार्यक्रम के विशेष अतिथि और शिशु मंदिर के व्यवस्थापक राजेश परमार ने कहा कि शिक्षकों को अपना काम इमानदारी से करना चाहिए ।जो शिक्षक ईमानदारी से अपना कर्त्तव्य निर्वाह करते हैं उन्हें समाज में सदैव सम्मान मिलता है। वरिष्ठ पत्रकार और शिक्षाविद् शिवशक्ति शर्मा ने कहा कि शिक्षक या गुरु में मनुष्य को ईश्वर बनाने की क्षमता विद्यमान है ।कार्यक्रम को शासकीय बालक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के प्राचार्य विनोद कुमार शर्मा एवं शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के प्राचार्य प्रमोद कुमार भट्ट ने की संबोधित किया।
कार्यक्रम में सेवानिवृत शिक्षक श्रीराम शर्मा, मदनलाल शर्मा ,प्रताप नारायण दीक्षित, लक्ष्मी नारायण व्यास हाजी सरफराज खान पठान इस्माइल शाह ,शिव शक्ति शर्मा, श्रीमती सरोज शर्मा, श्रीमती राजकुमारी राठौर, श्रीमती सरस्वती धनोतिया, श्रीमती विष्णुकांता माहेश्वरी, बाबूलाल सितपुरिया, गणपत लाल वाघेला ,अरुण दुबे, जुझार सिंह सिसोदिया, राधेश्याम बैरागी, कृष्ण सिंह सिसोदिया, मुन्नीलाल दिवाकर, रईस मोहम्मद, गोपाल कृष्ण दडिंग आदि को शाल श्रीफल एवं स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में नगर के सभी शासकीय और अशासकीय संस्थाओं में कार्यरत सभी संस्था प्रमुखों को उनके स्टाफ के सहित स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया ।कार्यक्रम का संचालन मोहित शर्मा ने किया। आभार दिनेश राठौर ने माना। कार्यक्रम में रमेश सोनी, ईश्वर लाल पाटीदार, विनोद दानगढ़, सहित समिति के समस्त पदाधिकारी उपस्थित थे।