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जैसा अन्न खाओंगे वैसा मन होगा, इसलिए सदैव शुद्ध एवं सात्विक अन्न खाए – संत श्री ज्ञानानंदजी महाराज

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केशव सत्संग भवन में चल रहे है चार्तुमासिक प्रवचन
मन्दसौर। नगर के खानपुरा स्थित श्री केशव सत्संग भवन में चातुर्मास हेतु ज्ञानानंदजी महाराज हरिद्वार विराजित है जिनके मुखारविन्द से प्रतिदिन श्रीमद भागवत कथा के एकादश स्कंद का वाचन किया जा रहा है, जिसका श्रवण करने के प्रतिदिन प्रातः 8.30 बजे से 10 बजे तक बडी संख्या में धर्मालुजन पधार रहे है।
रविवार को धर्म सभा में संतश्री ज्ञानानंदजी महाराज ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार जैसा अन्न खाओंगे वैसा मन होगा इसलिए सदैव शुद्ध एवं सात्विक अन्न का ही ग्रहण करना चाहिए। इसके साथ हमारी आंखे और कान भी कार्य करते है इसलिए भोजन करते समय सदैव आंखों से अच्छा देखो और कानो से अच्छा सुना। आपने कहा कि हमारे जीवन में स्वच्छता का विशेष महत्व होता है इसलिए पानी भी सदैव स्वच्छ पीना चाहिए। आपने कहा कि भोजन भी हमें संयमित करना चाहिए अत्यधिक भोजन कष्टकारी होता है। हमें सदैव संतोष पूर्वक भोजन करना चाहिए। भोजन कम समय में अपनी इच्छा से कम करना चाहिए इससे हमारा पाचान तंत्र अच्छा बना रहता है। विज्ञान और हमारे शास्त्र दोनों यह बात कहते है।
निंदा न करें अनुशासन में रहें
धर्मसभा में संतश्री ने कहा कि जीवन में निंदा न करें यह सबसे बडा दोष है हमें किसी की भी निंदा नहीं करना चाहिए और किसी की निंदा सुनना भी नहीं चाहिए। वहीं जीवन में सदैव अनुशासन में रहना चाहिए एक सफल जीवन के लिए अनुशासन बेहद जरूरी होता है। आपने कहा कि खाली मन और दिमाग शैतान के घर होते है इसलिए इन दोनो को प्रभु भक्ति में लगाना चाहिए। धर्मसभा के अंत में भगवान नारायण की स्तुति कर आरती के पश्चात् प्रसाद वितरण किया गया।
धर्मसभा में केशव सत्संग भवन के अध्यक्ष जगदीशचंद्र सेठिया, सचिव कारूलाल, मदनलाल गेहलोत, प्रहलाद काबरा, कमल देवडा, इंजि आर सी पाण्डेय, राव विजयसिंह, शिवशंकर सोनी, जगदीश गर्ग, घनश्याम भावसार, जगदीश भावसार सहित बडी संख्या में महिलाएं पुरूष उपस्थित थे।

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