
*आखिरकार कब तक जनता को बरगला ते रहेंगे यह नेता…*
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*पालसोड़ा झार्ड़ा मार्ग पुलिया ऊंचाई बढे, तो मिल सकती हैं राहत*
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*पालसोड़ा*-(समरथ सेन) क्षेत्र में लगातार बारिश का दौर चल रहा है बारिश के कारण नदी और नाले में जलस्तर बढ़ गया है ऐसे में पालसोड़ा झाड़ा मार्ग पर बनी वर्षों पुरानी रेतम नदी पुलिया पर शुक्रवार रात्रि उफान आने के कारण आवागमन बंद हो गया पालसोड़ा गांव के बाहर नदी के उस पार बने सरकारी स्कूल में पालसोड़ा के आसपास क्षेत्र के अनेक विद्यार्थी आते हैं परंतु बारिश के दौरान पुलिया की ऊंचाई कम होने के कारण उस पर पानी आ जाता है जिससे स्कूल के बच्चे एवं शिक्षक स्कूल नहीं पहुंच पाते हैं जिसके कारण नव निहाल छात्र-छात्राओं का भविष्य दांव पर लगा हुआ है तो एक और यह नेताओ को कई बार अवगत कराने के बाद भी आज दिन तक इनके कानों पर जूं तक नहीं रेंगी और हमेशा ही जनता को बरगला रहे हैं और अभी तक शासन को प्रस्ताव को भेज देने के बहाने बना रहे हैं मगर अभी तक सुविधा नहीं मिली आखिरकार कब तक जनता को बरगला ते रहेंगे… यहां भाजपा-कांग्रेस के कई दिग्गज नेता यह समस्या देख कर चले गए हैं मगर आज दिन तक किसी ने कुछ नहीं किया!
पुलिया की जर्जर अवस्था से कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है पर पुलिया की ऊंचाई बढ़ाने के लिए कार्यवाही नहीं की गई इससे बरसात के दिनों में पानी की आवक होने से लोगों को आवागमन में खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है और कई बार दुर्घटनाएं भी हो चुकी है मगर शासन प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है अब देखना है कि चुनाव नजदीक आ चुके हैं और यह नेता क्या गुल खिलाते हैं और फिर जनता को कैसे बरगलाते हैं यह सब तो अब समय के गर्भ में ही छुपा हुआ है समय आने पर ही पता लगेगा!
*सोयाबीन फिर संकट में, लगातार बारिश से गलने के आसार*
पालसोड़ा में इस बार सोयाबीन फसल पर संकट दर संकट पैदा हो रहा है। जून महीने में किसानों ने महंगा बीज खरीद कर कई किसानो ने जैसे तैसे कर बुवाई तो दी। लगातार हो रही बारिश कारण खेतो जमीन में नमी भी सूखने से कई किसानो खेत आज भी बुवाई करने से वंचित रह गए।
लगातार तीन घंटे अधिक बारिश पालसोड़ा क्षेत्र के किसानों के खेतों में पानी भर गया है। यदि ऐसे बारिश होती रही तो सोयाबीन के खेतों में पानी भराव की स्थिति रहती है तो फसल के तने गलना आरंभ हो जाते हैं।
*खेतों से जल निकासी करने की सलाह*
कृषि विभाग ने किसानों को सलाह दी है कि सोयाबीन के जिन खेतों में लगातार बारिश होने से पानी भर गया हो तो वहां पर जल निकासी की व्यवस्था की जाए। सोयाबीन फसल को इस बारिश से जीवन दान मिला है और अच्छी बढ़त भी हो सकती है और खेतों में जलभराव बिल्कुल भी नहीं होने दें।