आध्यात्मदलौदामंदसौर जिला

जिस घर तुलसी का पौधा होता उस घर में कभी अकाल मौत, महामारी, सर्प दोष, आगजनी नहीं होती – पंडित नागर

*******************

10 साल से कम उम्र के बच्चों को मोबाइल दिया, तो उसके मन मस्तिष्क का विकास रुक जाएगा

कुचड़ौद। (दिनेश हाबरिया) 

सो काम छोड़कर भोजन, हजार काम छोड़कर स्नान, लाख काम छोड़कर दान, करोड़ काम छोड़कर भगवान का स्मरण सुमिरन करना चाहिए। कोई भी काम विधि विधान से करने पर शुभ फल प्राप्त होता है। बिना विधि विधान के करने से फल तो मिलता पर शुभ फल नहीं मिलता है। जीवन में कितनी भी भागा दौड़ी करो और दो रोटी चैन से नहीं मिले। वह काम किस काम का।

यह बात श्री राम जानकी मंदिर कुचड़ौद में मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा, ध्वजा दंड, स्वर्ण कलश, श्री राम मारुती यज्ञ के अवसर पर श्री सकल पंच कुमावत धर्मशाला मैं, आयोजित भागवत कथा के दूसरे दिन राष्ट्रीय संत डॉ. पं. मिथिलेश जी नागर ने कही।

आपने कहा तुम किसी का ध्यान रखोगे, वह तुम्हारा ध्यान रखेगा। जो व्यक्ति परमात्मा की भक्ति के लिए बहानेबाजी करता है। उसे नरसी मेहता से सीख लेना चाहिए। अपनी पुत्री नानी बाई का मायरा भरने के लिए द्वारकाधीश को आना पड़ा। नरसी मेहता के पास कुछ नहीं था। सिर्फ भगवान की भक्ति थी। भक्ति कारण द्वारकाधीश भगवान ने 56 करोड़ का मायरा भरा था। इसलिए भगवान की भक्ति में कंजूसी नहीं करना। जिस समय दांत नहीं थे, तब मां के आंचल से दूध दिया। दांत दिए तो अन्न दिया। परमात्मा को ज्ञानी की भी चिंता है। तो पागल की भी चिंता है। परमात्मा किसी को भूखा नहीं रखता है। तो फिर चिंता किस बात की।

गणित में बिना सूत्र के कोई सवाल नहीं होता। उसी तरह जीवन में भी सूत्र जानना जरूरी है। अच्छा जीवन जीना है, तो सूत्र याद रखना पड़ेगा।

आपने बताया जिसके मन में सेवा का भाव आया, तो समझ लेना उसे ही परमात्मा ने इंसान बनाया है। दूसरे की भूख को अपनी भूखा, दूसरे के दर्द को अपना दर्द माने। वही संत है।

बच्चे का भविष्य बनाना है, तो उसे मोबाइल से दूर रखो। 10 साल से कम उम्र के बच्चे को मोबाइल दिया तो, उसके मन मस्तिष्क का विकास रुक जाएगा।

आपने कहा जिस घर में तुलसी का पौधा है। उस घर में कभी अकाल मौत, महामारी, सर्प दोष, आगजनी नहीं होती है। पूरी सोने की लंका जल गई थी। पर विभीषण का घर नहीं जला था। क्योंकि उनके आंगन में तुलसी का पौधा था। अपनी गलती स्वीकार करने वाला मनुष्य समझदार होता है। तभी गलती का सुधार होगा। मनुष्य का पहला गुरु माता, दूसरा पिता, तीसरा गुरु आचार्य शिक्षक होता है। आपने कथा के दूसरे दिवस कहा हाथ तभी पवित्र हे, जब दान करते हैं। पांव तभी पवित्र है, जब तीर्थ यात्रा पर गए हो। मुख तभी पवित्र है, जब राम का नाम लिया हो। ह्रदय तभी पवित्र है, जब गुरु के प्रति, ईष्ट भगवान के प्रति निष्ठा है। धरती का स्वर्ग कहीं है, तो वह बद्रीनाथ केदारनाथ में है।

श्री राम जानकी मंदिर पर आज हेमाद्रि स्नान के साथ यज्ञ प्रारंभ होगा। भागवत कथा सुनने के लिए कुचड़ोद अंचल के सैकड़ों धर्म प्रेमी महिला पुरुष मौजूद रहे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
site-below-footer-wrap[data-section="section-below-footer-builder"] { margin-bottom: 40px;}