तन समर्पित, मन समर्पित, जी चाहता है……

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तन समर्पित, मन समर्पित, जी चाहता है……
—ओमप्रकाश बटवाल मल्हारगढ मोबा.9425106594
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परम् तपस्वी संत से पूछा
क्या आप ईश्वर को मानते हैं ?
हाँ बेटा
चारो ओर उसकी ही माया है !
क्या आप शैतान को धिक्कारते है ?
नही बेटा
ईश्वर की साधना में
इतना व्यस्त रहता हूँ कि
शैतान को धिक्कारने का
समय ही नही मिलता
ऐसे ही
वे नासमझी, अज्ञानता,हताशा
व कुंठाग्रस्त हो कर
आरएसएस को नकारते है, धिक्कारते है
अनर्गल प्रलाप के लिए
नित्य नए शब्द खोजते हैं
संघ के त्यागियों, तपस्वियों को
देशभक्ति व सेवाकार्यो से
इतनी फुर्सत ही नहीं कि वे
सत्ता जीवियो की छटपटाहट
विलाप, उनके क्रुन्दन को सुन सके !
माँ भारती के सपूत
समर्पण की पराकाष्ठा
देश प्रथम की भावना से
दिन रात कहते हैं
तन समर्पित, मन समर्पित
यह जीवन समर्पित
जी चाहता है
माँ कुछ और त्याग करूँ !.