आलेख/ विचारनागदामध्यप्रदेश

यूनिट हेड पर एक लाख दंड के बाद भी नहीं सबक,ग्रेसिम की अन्य यूनिट केमिकल में फिर हादसा

*****************//*******

उधर ,पद्मभूषण पुरस्कार , इधर ,जान के दुश्मन हादसे

त्वरित टिप्पणी- कैलाश सनोलिया

नागदा। आज का समय औद्योगिक प्रतिस्पर्धा का युग है। इस युग में उत्पादन में गुणवत्ता तो महत्वपूर्ण है, साथ ही सुरक्षित कार्य संस्कृति भी महत्ती आवश्यकता है। तभी स्पर्धा के परिवेश में उद्योग अपना अस्तित्व कायम रख सकते हैं। हाल में आदित्य बिड़ला समूह के चैयरमैन कुमार मंगलम को भारत सरकार ने पद्मभूषण पुरस्कार से नवाजा है। इधर उज्जैन जिले के औद्योगिक नगर नागदा में इनकी यूनिटों में दुर्घटनाए श्रमिकों की जान की दुश्मनी बनी हुई है। कल केमिकल डिवीजन में एक बड़े हादसे में चार मजदूर बुरी तरह से झुलस गए जिसमें से तीन को उपचार हेतु इंदौर रेफर किया है।

नागदा में बिड़ला घराना की दो बडी यूनिटे हैं। जिसमें एक ग्रेसिम तथा दूसरी ग्रेसिम केमिकल डिवीजन है। इन उद्योगों में इन दिनों लगातार दुर्घटना का सिलसिला जारी है। जब भी कोई हादसा होता उद्योग पर नियंत्रण रखने वाले शासकीय विभाग के अधिकारी सामान्य दुर्घटना का राग अलाप कर बिड़ला भक्ति का उत्कृष्ट उदाहरण पेश करते हैं। राजनेताओं की उद्योग भक्ति तो जग जाहिर है। ग्रेसिम केमिकल डिवीजन में एक हादसा हुआ।। इसके पूर्व में भी इस उधोग एवं ग्रेसिम में कई दुर्घटनाएं हुई है। ग्रेसिम में बड़ी दुर्घटना 5 जनवरी 2022 को हुई थी। इस दुर्घटना में आम लोग प्रभावित हुए थे। कुल 21 मंडी क्षेत्र के लोग गैस की चपेट में आए थे। जिसके प्रमाणणिक दस्तावेज इस पत्रकार के पास सुरक्षित है।

अदालत ने किया था जुर्माना –

गत वर्ष उद्योग में हुई दुर्घटना पर ग्रेसिम के यूनिट हेड और तत्कालीन कारखाना अधिभोगी पर न्यायालय ने जुर्माना भी किया है। अदालत की यह कार्यवाही ग्रेसिम के इतिहास में बड़ी दंडात्मक कार्यवाही साबित हुई़ लेकिन उसके बावजूद कारखाना प्रबंधकों ने सबक नहीं लिया और दुर्घटना पर नियंत्रण रखने में असफल साबित होते जा रहे हैं। ग्रेसिम की इस दुर्घटना को लेकर तत्कालीन कलेक्टर आशीषसिंह ने जांच के लिए नागदा के अनुविभागीय दंडाधिकारी श्री आशुतोष गोस्वामी की अध्यक्षता में एक दल का गठन भी किया था। जांच के बाद में औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा विभाग ने मामला सीजेएम अदालत उज्जैन में प्रस्तुत किया ।

मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट उज्जैन का 29 मार्च 2022 को एक बडा निर्णय आया । इस निर्णय के मुताबिक ग्रेसिम के यूनिट हेड के .सुरेश पिता बी. बासवपुन्नाराव तथा कारखाना अधिभोगी शैलेंद्र कुमार जैन पिता केवलचंद जैन प्रत्येक पर ग्रेसिम में हुई दुर्धटना पर एक.-एक लाख 5.- 5 हजार का जुर्माना किया गया है। इस आदेश की प्रति इस पत्रकार के पास सुरक्षित है। तीन धाराओं में इन दानेां ओहदेदार अफसरों पर जुर्माना किया है। प्रकरण क्रमांक 152/ 2022 का यह निर्णय था।

इस कारण दंडित –

ग्रासिम इंडस्ट्रीज प्रकरण के निर्णय में उल्लेखित हैकि कारखाना में चल रहे एवोपरेटर मैंटीनेंस के कार्य के दौरान एवोपटर में विधमान ओलियम, श्रमिक द्धारा ड्रेन वाल्व खोलने के कारण , प्लेटफार्म पर फैल गया तथा इसके हवा के संपर्क में आने से उसके खतरनाक फयूम्स एवं सल्फर ट्राई आक्साइड वातावरण में एवं आसपास के रहवासी क्षेत्र में फैलनी लगी। जिससे श्रमिकों एवं आसपास के रहवासी क्षेत्रों के निवासियों के जीवन के लिए विपरीत परिस्थतियां निर्मित हुई। कारखाने में स्थापित एवोपटर का डिजायन इस प्रकार का होना थाकि जिससे ओलियम जोकि विषैला पदार्थ है ,के बाहर फैलाव को रोका जा सके। इस कारण कारखाना अधिनियम की धारा 1948 की घारा 87 सहपठित नियम 107 शेडयुल11 पार्ट चार के बिंदु क्रमांक 1 का उल्ल्घंन किया है। जोकि धारा 82 का अपराध है। इसी प्रकरण में कारखाना अधिनियम की धारा 73 ई में भी प्रबंधन को दोषी माना गया। निर्णय में उल्लेखित हैकि 300- 350 लीटर ओलियम प्लेटफार्म पर फैला था। वाल्व को बंद करने में लगभग 15-20 मिनट का समय लगा था। कार्य स्थल पर सुरक्षा उपकरण नहीं रखने की बात भी उल्लेखित है। यह धारा 73 का अपराध माना ग्रया। उक्त तीनों धाराओं में 35 -35 हजार कुल एक लाख 5 हजार का दंड निरूपित किया गया। इतना ही नहीं आरोपीगण द्धारा इस मामले मे स्वीकारोक्ति की बात भी निर्णय में लिखी गई ।

यह जुर्माना नही भरने पर प्रत्येक को तीन तीन माह की सजा का उल्लेख भी निर्णय में हैं। यह सब कुछ होने के बाद भी इन उद्योग में असुरक्षित कार्य प्रणाली मजदूरों की जान की दुश्मन बन गई।

ठेका मजदूर ही आते चपेट में-

इन हादसों की एक बडी विशेषता यह भी सामने आ रही हैकि दुर्घटनाओं में ठेका मजदूर ही शिकार हो रहे हैं। जाहिर हैकि जो कार्य स्थायी एवं प्रशिक्षित मजदूरों से कराया जाना चाहिए वह ठेका श्रमिकों से कराने की कार्य संस्कृति यहा पनप गई है। ठेंका मजदूरों की कार्य के प्रति प्रशिक्षण के अभाव में हादेसों को जन्म हो रहा है।ग्रेसिम केमिकल डिवीजन में इस दुर्घटना के पहले 9 नवंबर 2022 को भी हादसा हुंआ था। इस हादसे में श्रमिक विक्रमसिंह उम्र 57 वर्ष गंभीर घायल हुआ था। उसे गंभीर हालत में इंदौर के एक निजी चिकित्सालय में उपचार हेतु भर्ती कराया गया था। उपचार के दौरान घायल की मौत 13 दिसंबर 2022की रात को हो गई थी। इस प्रकरण मे सीएजेएम न्यायालय में केमिकल के यूनिट हेड प्रेम तिवारी एवं कारखाना अधिभोगी शैेलेंद्र कुमार जैन के खिलाफ प्रकरण दर्ज हुआ है। इसी प्रकार से ग्रेसिम के राख के ढेर में गत दिनों मुक्तेश्वर महादेव मंदिर के पास दबने से एक मजदूर की मौत हुई । यह ढेर शासकीय भूमि पर है। इस हादसे के प्रति स्थानीय प्रशासन खामौश है। प्रशासन तीन दिन में प्रबंधन से उद्योग की कार्य योजना का जवाब मांगा है तो प्रबंधन इस आदेश पत्र को 2 माह तक तव्वजो नहीं दी है।जो वैधानिक शक्तियां स्थानीय प्रशासन को है उसकी जगह प्रदूषण विभाग से प्रतिवेेदन मांगा गया। प्रदूषण विभाग ने मात्र खानापूर्ति कर दी है। ग्रेसिम का इतिहास तो हादसों से भरा पड़ा है। लेकिन इन तमाम हादसों के बाद भी उद्योग प्रबंधन सुरक्षित कार्य प्रणाली को अंजाम नहीं दे पा रहा है। जिसका खामियाजा मजदूरों को भुगतना पड रहा है। यहां तक जैसा कि ओलियम रिसाव में बाहर के लोगों के प्रभावित होने का आरोप औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा विभाग ने प्रबंधन पर लगाया जोकि साबित हुआ। आखिर इस प्रकार के हादसे कब तक श्रमिकों की जान के दुश्मन बनते रहेंगे।यह एक विचारणीय गंभीर प्रश्न है।

– कैलाश सनोलिया

चित्र गुगल से साभार

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
site-below-footer-wrap[data-section="section-below-footer-builder"] { margin-bottom: 40px;}