धर्म संस्कृतिमंदसौर जिलासीतामऊ

पोरवाल महिला मंडल ने किया पांच दिवसीय गणगौर पर्व का आयोजन निकाली झेल

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संस्कार दर्शन
सीतामऊ । पोरवाल महिला मंडल के तत्वाधान में में महिलाओ द्वारा पांच दिवसीय गणगौर पूजन  पर्व का आयोजन किया।

जिसके प्रथम दिन महिलाओं द्वारा फुल पाती लाने (कलश यात्रा) का आयोजन किया गया।

दुसरे दिन महिलाओं द्वारा माता गौरी की पीहर में हल्दी उबटन रस्म निभाई।

तीसरे दिन महिलाओं द्वारा गण ईशर शंकर और गौर माता गौरी पार्वती के साथ मेहंदी लगाने

तथा चौथे दिन महिलाओं ने स्वयं और माता गौरी को चुनरी और सौलह सिंगार से सजने संवरने कि परंपरा का आयोजन किया गया।

पांचवें दिन महिलाओं द्वारा ढोल ढमाके बेंड बाजे के साथ गीत भजनों गाते और मनमोहक नृत्य के साथ नगर गोवर्धन नाथ मंदिर से ईशर गणगौर कि झेल प्रारंभ होकर राजवाड़ा चौक भृगु ऋषि द्वार महाराणा प्रताप चौराहे होकर बस स्टैंड से पोरवाल मांगलिक भवन पहुंची जहां पर महिलाओं ने ईशर गणगौर कि पूजा अर्चना कर अपने पति परिवार के प्रेम बंधन में रहने की कामना की।

आयोजन को लेकर महिला मंडल अध्यक्ष श्रीमती साधना मेहता ने बताया महिला मंडल द्वारा पांच दिवसीय गणगौर पूजन का आयोजन धुमधाम के साथ मनाया गया। यह पर्व गण-गौर यानि शिव-पार्वती की पूजा का यह पावन पर्व पति पत्नी के आपसी स्नेह और साथ की कामना से जुड़ा हुआ है। इसे शिव और गौरी की उपासना का मंगल उत्सव है।

गणगौर पर्व पूजन का महत्व –
ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार गणगौर अपने पीहर आती और पीछे पीछे ईशर उसे वापस लेने आता है और आखिर में चैत्र शुक्ल द्वितीय व तृतीय को गणगौर को अपने ससुराल के लिए विदा किया जाता है मान्यताओं के अनुसार प्राचीन काल में माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए तपस्या की थी भगवान शिव माता पार्वती की तपस्या से प्रसन्न हुए और पार्वती की मनोकामना पूरी की। तभी से कुंवारी लड़कियां इच्छित वर पाने के लिए और सुहागिन महिलाएं सुहाग की लंबी उम्र के लिए ईशर और माता पार्वती की पूजा अर्चना करती है गणगौर वाले दिन महिलाएं सज धज कर सौलह सिंगार करती है और माता गौरी की विधि विधान से पूजा करके उन्हें सिंगार की सभी वस्तुएं अर्पित करती है इस दिन मिट्टी से ईशर और गणगौर की मूर्ति बनाई जाती है और इन्हें बड़े सुंदर ढंग से सजाकर झेल निकाली जाती है।गणगौर का अर्थ है,’गण’ और ‘गौर’। गण का तात्पर्य है शिव (ईसर) और गौर का अर्थ है पार्वती। यह नवरात्रि के तीसरे दिन यानि चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाने वाला गणगौर का त्योहार स्त्रियों के लिए अखण्ड सौभाग्य प्राप्ति का पर्व है। शास्त्रों के अनुसार मां पार्वती ने भी अखण्ड सौभाग्य की कामना से कठोर तपस्या की थी और उसी तप के प्रताप से भगवान शिव को पाया। इस दिन भगवान शिव ने माता पार्वती को तथा पार्वती जी ने समस्त स्त्री जाति को सौभाग्य का वरदान दिया था। माना जाता है कि तभी से इस व्रत को करने की प्रथा आरम्भ हुई।
पांच दिवसीय आयोजन में सुनीता गुप्ता ,प्रेमलता सेठिया श्वेता सेठिया, मनीषा गुप्ता,सुनीता सेठिया, सुनीता घाटिया ,आशा घाटिया ,स्नेहलता घाटिया ,समता घटिया, पदमा घाटिया ,अंतिम बाला घाटिया ,सुनीता वेद,अनुसुइया घटिया,संतोष घटिया,भगवती सेठिया,कृष्णा घाटिया ,संगीता घाटिया ,संगीता गोपाल घाटिया ,कोमल पोरवाल,सुनीता फरकिया,उषा घाटिया ,उषा सेठिया ,प्रेमलता मांदलिया ,हेमा वेद ,ललिता अनिल जी घटिया,ललिता ओम घटिया,ममता गुप्ता ,प्रभा गुप्ता ,रेखा घाटिया ,मंगला घाटिया,शिवकन्या गुप्ता,खुश्बू घाटिया,संतोष घाटिया,रिंकू सेठिया,वर्षा सेठिया,ममता घाटिया सहित समाज कि महिलाओं ने गणगौर व्रत पुजन झेल आयोजन में सम्मिलित रही।

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