मंदसौरमध्यप्रदेश
ग्रामीण प्रबंधन संस्थान आनंद को लेकर सांसद सुधीर गुप्ता ने लोकसभा में किया प्रश्न

ग्रामीण प्रबंधन संस्थान आनंद को लेकर सांसद सुधीर गुप्ता ने लोकसभा में किया प्रश्न
मंदसौर – ग्रामीण प्रबंधन संस्थान आनंद (आईआरएमए) को देश में अपनी तरह के पहले विशेषीकृत राष्ट्रीय सहकारी विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित किया जा रहा है जिसको लेकर सांसद गुप्ता ने लोकसभा में प्रश्न किया। सांसद गुप्ता ने प्रश्नकाल के दौरान कहा कि आंनद विश्वविद्यालय की स्थापना की प्रमुख विशेषता क्या है। क्या सरकार द्वारा देश में सहकारी आंदोलन को मजबूत करने के लिए सहकारी शिक्षा, प्रशिक्षण और अनुसंधान और विकास प्रदान करने और बढ़ावा देने के लिए अन्य क्या कदम उठाए और सरकार का देश के अन्य भागों में ऐसे और सहकारी विश्वविद्यालय खोलने का विचार है।
प्रश्न के जवाब में सहकारिता मंत्री अमित शाह ने बताया कि ग्रामीण प्रबंधन संस्थान आनंद (आईआरएमए) को देश में अपनी तरह के पहले विशेषीकृत राष्ट्रीय सहकारी विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित किया जा रहा है। प्रस्तावित विश्वविद्यालय का लक्ष्य और उद्देश्य सहकारी क्षेत्र की वर्तमान और भावी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए योग्य और प्रशिक्षित श्रमबल प्रदान करने हेतु तकनीकी और प्रबंधकीय शिक्षा प्रदान करना, सहकारी समितियों के कर्मियों और बोर्ड के सदस्यों का कौशल विकास सहित क्षमता निर्माण करना, सहकारी अनुसंधान और विकास का संवर्धन करना और सहकार से समृद्धि की परिकल्पना को साकार करने के लिए वैश्विक उत्कृष्टता के मानकों को प्राप्त करना और संस्थाओं के नेटवर्क के माध्यम से देश में सहकारी आंदोलन को सशक्त करना है। उन्होने बताया कि प्रस्तावित विश्वविद्यालय में शीर्ष पर एक शासी निकाय होगा जिसके अध्यक्ष कुलाधिपति होंगे। एक कार्यकारी परिषद होगा जिसके अध्यक्ष कुलपति होंगे और जो विश्वविद्यालय का प्रधान कार्यकारी निकाय होगा। प्रस्तावित विश्वविद्यालय डेयरी, मात्स्यिकी, ग्रामीण ऋण, सहकारी वित्त, आदि जैसे सेक्टर विशिष्ट स्कूल स्थापित करेगा। प्रत्येक स्कूल के प्रमुख डीन होंगे जोकि उक्त स्कूल का प्रधान शैक्षणिक और प्रशासनिक अधिकारी होगा। प्रत्येक स्कूल में एक सहकारी अध्ययन बोर्ड भी होगा जिसकी अध्यक्षता डीन करेगा । प्रस्तावित विश्वविद्यालय शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए सामूहिक ई-लर्निंग (उंेे म-समंतदपदह) प्लेटफॉर्म और प्रौद्योगिकी का भी लाभ उठाएगा । उन्होने बताया कि सहकारिता मंत्रालय की स्थापना के बाद सरकार ने देश में सहकारी आंदोलन को सशक्त करने के लिए अनेक कदम उठाए हैं। इन उपायों में राष्ट्रीय सहकारी प्रशिक्षण परिषद (छब्ब्ज्) के माध्यम से सहकारी शिक्षा, प्रशिक्षण एवं अनुसंधान और विकास प्रदान करना और प्रोत्साहित करना शामिल है।राष्ट्रीय सहकारी प्रशिक्षण परिषद, सहकारी समितियों के लिए लाभकारी सरकारी योजनाओं और उक्त योजनाओं के अधीन वित्तीय सहायता लेने की प्रक्रिया के बारे उनके बीच जागरुकता लाने हेतु ग्राम स्तर तक जागरुकता कार्यक्रम भी संचालित कर रही है। एनसीसीटी द्वारा प्राथमिक कृषि क्रेडिट समितियों (पैक्स) को ष्कॉमन सेवा केंद्र पैक्स के रूप में कार्य करने के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम चलाने से, पैक्स को 300 ग्राम-सेवाएं प्रदान करने में सक्षम बनाया गया है। इस परियोजना का आरंभ दिनांक 18.06.2024 को और समापन दिनांक 30.11.2024 को किया गया जिसके अंतर्गत देश भर में 30134 पैक्स के सचिवों को, पैक्स और उनके सदस्यों द्वारा एनसीसीटी सेवाओं के प्रभावशाली उपयोग के क्षेत्रों में प्रशिक्षण प्रदान किया गया।
मंदसौर – ग्रामीण प्रबंधन संस्थान आनंद (आईआरएमए) को देश में अपनी तरह के पहले विशेषीकृत राष्ट्रीय सहकारी विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित किया जा रहा है जिसको लेकर सांसद गुप्ता ने लोकसभा में प्रश्न किया। सांसद गुप्ता ने प्रश्नकाल के दौरान कहा कि आंनद विश्वविद्यालय की स्थापना की प्रमुख विशेषता क्या है। क्या सरकार द्वारा देश में सहकारी आंदोलन को मजबूत करने के लिए सहकारी शिक्षा, प्रशिक्षण और अनुसंधान और विकास प्रदान करने और बढ़ावा देने के लिए अन्य क्या कदम उठाए और सरकार का देश के अन्य भागों में ऐसे और सहकारी विश्वविद्यालय खोलने का विचार है।
प्रश्न के जवाब में सहकारिता मंत्री अमित शाह ने बताया कि ग्रामीण प्रबंधन संस्थान आनंद (आईआरएमए) को देश में अपनी तरह के पहले विशेषीकृत राष्ट्रीय सहकारी विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित किया जा रहा है। प्रस्तावित विश्वविद्यालय का लक्ष्य और उद्देश्य सहकारी क्षेत्र की वर्तमान और भावी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए योग्य और प्रशिक्षित श्रमबल प्रदान करने हेतु तकनीकी और प्रबंधकीय शिक्षा प्रदान करना, सहकारी समितियों के कर्मियों और बोर्ड के सदस्यों का कौशल विकास सहित क्षमता निर्माण करना, सहकारी अनुसंधान और विकास का संवर्धन करना और सहकार से समृद्धि की परिकल्पना को साकार करने के लिए वैश्विक उत्कृष्टता के मानकों को प्राप्त करना और संस्थाओं के नेटवर्क के माध्यम से देश में सहकारी आंदोलन को सशक्त करना है। उन्होने बताया कि प्रस्तावित विश्वविद्यालय में शीर्ष पर एक शासी निकाय होगा जिसके अध्यक्ष कुलाधिपति होंगे। एक कार्यकारी परिषद होगा जिसके अध्यक्ष कुलपति होंगे और जो विश्वविद्यालय का प्रधान कार्यकारी निकाय होगा। प्रस्तावित विश्वविद्यालय डेयरी, मात्स्यिकी, ग्रामीण ऋण, सहकारी वित्त, आदि जैसे सेक्टर विशिष्ट स्कूल स्थापित करेगा। प्रत्येक स्कूल के प्रमुख डीन होंगे जोकि उक्त स्कूल का प्रधान शैक्षणिक और प्रशासनिक अधिकारी होगा। प्रत्येक स्कूल में एक सहकारी अध्ययन बोर्ड भी होगा जिसकी अध्यक्षता डीन करेगा । प्रस्तावित विश्वविद्यालय शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए सामूहिक ई-लर्निंग (उंेे म-समंतदपदह) प्लेटफॉर्म और प्रौद्योगिकी का भी लाभ उठाएगा । उन्होने बताया कि सहकारिता मंत्रालय की स्थापना के बाद सरकार ने देश में सहकारी आंदोलन को सशक्त करने के लिए अनेक कदम उठाए हैं। इन उपायों में राष्ट्रीय सहकारी प्रशिक्षण परिषद (छब्ब्ज्) के माध्यम से सहकारी शिक्षा, प्रशिक्षण एवं अनुसंधान और विकास प्रदान करना और प्रोत्साहित करना शामिल है।राष्ट्रीय सहकारी प्रशिक्षण परिषद, सहकारी समितियों के लिए लाभकारी सरकारी योजनाओं और उक्त योजनाओं के अधीन वित्तीय सहायता लेने की प्रक्रिया के बारे उनके बीच जागरुकता लाने हेतु ग्राम स्तर तक जागरुकता कार्यक्रम भी संचालित कर रही है। एनसीसीटी द्वारा प्राथमिक कृषि क्रेडिट समितियों (पैक्स) को ष्कॉमन सेवा केंद्र पैक्स के रूप में कार्य करने के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम चलाने से, पैक्स को 300 ग्राम-सेवाएं प्रदान करने में सक्षम बनाया गया है। इस परियोजना का आरंभ दिनांक 18.06.2024 को और समापन दिनांक 30.11.2024 को किया गया जिसके अंतर्गत देश भर में 30134 पैक्स के सचिवों को, पैक्स और उनके सदस्यों द्वारा एनसीसीटी सेवाओं के प्रभावशाली उपयोग के क्षेत्रों में प्रशिक्षण प्रदान किया गया।