धमनार में दशहरे के पर्व को मनाने की अनूठी परंपरा, जो युवक नाक पर मुक्का मारता वह राम कहलाता
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घनश्याम धाकड़ ने रावण के नाक तोड़कर रावण का किया वध
धमनार- त्योहारों को अनुठे तरीके से मानने वाले हमारे देश में, हर पर्व को मनाने की कई परंपराएं है ।आज दशहरा पर्व है और इस पर्व को भी कई जगह अलग-अलग तौर तरीके से मनाया जाता है। एक तरफ मध्य प्रदेश के मंदसौर में रावण की ससुराल होने से,आज के दिन उसे पूजा जाता है। वहीं इसी जिले में एक गांव ऐसा भी है जहां रावण की पक्की प्रतिमा बनी हुई है ,और उस पर लोग चढ़ाई करके दशहरे के दिन उसका वध करते हैं। चढ़ाई के दौरान युद्ध में जो युवक राम रावण के ऊपर चढ़कर उसे मारता है। वह उस साल का राम कहलाता है।
मंदसौर जिले के ग्राम धमनार में दशहरे के पर्व को मनाने की बड़ी अनूठी परंपरा है। यहां सैकड़ो सालों से रावण की प्रतिमा पर चढ़ाई करने की परंपरा है। इस गांव में रावण की 51 फीट पक्की सीमेंटेड प्रतिमा है,यंहा रावण महाराज एक आसन पर दोनों हाथ अपने घुटने पर टिकाते हुए विराजमान है। इस प्रतिमा पर लोग चढ़ाई करते हैं और उसके बाद जो युवक इस पर चढ़कर उसकी नाक तोड़ देता है वह उसे साल का राम कहलाता है। खास बात यह है कि इस परंपरा का निर्वाह पूरी तरह रामायण की कथा के हिसाब से ही मनाया जाता है। यहां रावण वध के पहले राम और रावण की सेवा में युद्ध होता है ।सबसे पहले लंका दहन होती है, और फिर दोनों सेना में युद्ध की ललकार होती है। इस दौरान आसन पर विराजमान रावण के साथ आसन पर रावण की सेना खड़ी होती है, और नीचे राम की सेना होती है। फिर राम और रावण में युद्ध की घोषणा के बाद राम की सेना, रावण के आसन पर चढ़ाई करती है । राम की सेना फिर आसन पर विराजमान रावण की प्रतिमा पर ही चढ़कर उसे मारने की कोशिश करती हैं। इस दौरान रावण की सेना के राक्षस, राम सेना के युवकों को चढ़ने और उसे मारने से रोकते हैं। लेकिन अंतत राम की सेना का एक युवक रावण के कंधे पर चढ़कर उसकी लंबी नाक पर मुक्का मारता है। जिसे रावण वध का प्रतीक माना जाता है। सदियों से चली आ रही इस परंपरा का आज भी निर्वाह हुआ और यहां राम की सेना में शामिल घनश्याम धाकड़ नामक युवक ने रावण के नाक तोड़कर रावण वध किया।
घनश्याम धाकड़ ने बताया कि पुरखो द्वारा बताई गई इस परंपरा को नई पीढ़ी आगे बढ़ा रही हैं ।
ग्राम के सरपंच रामेश्वर धाकड़ ने बताया की बचपन से चली आ रही परंपरा को ग्राम पंचायत के माध्यम से आगे बढ़ा रहे हैं।
दशहरा उत्सव समिति के अध्यक्ष लक्ष्मी नारायण मेहता ने बताया कि बुजुर्ग जिस परंपरा को शुरू करके गए थे ।युवा पीढ़ी आज भी उसी हिसाब से इस पर्व को मानती है। पर्व को मनाने के दौरान यहां राम और रावण की सेना होती है। लंका दहन होता है, और उसके बाद युद्ध के दौरान रावण का वध किया जाता है।