रीवामध्यप्रदेश

1 लाख के लिये 5 घंटे तक रुका रहा इलाज, अब अस्पताल के खिलाफ परिजनों नें की कार्यवाही की मांग

Treatment stopped for 5 hours for Rs 1 lakh,

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ब्रेन हैमब्रेज का शिकार नर्स का जीवन हुआ बर्बाद,

परिजनों ने विंध्या अस्पताल प्रबंधन को ठहराया जिम्मेदार, पैसों के लिये नहीं किया उपचार

रीवा। जिले में संचालित निजी अस्पताल प्रबंधन पैसों के लिए किस हद तक गुजर जाए, इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है। निजी अस्पताल प्रबंधन जब अपने ही स्टाफ के इलाज में सौदेबाजी कर सकते हैं। तो फिर दूसरे मरीजों की बात तो अलग ही है। दरासल यह पूरा मामला रीवा जिले के विंध्या अस्पताल का है, जहां तकरीबन एक माह पूर्व अस्पताल में काम करने वाली एक नर्स को ब्रेन हेमरेज हो जाने के बाद अस्पताल प्रबंधन अपने ही स्टाफ के इलाज में सौदेबाजी करता है।

नर्स के परिजनों का आरोप है कि ब्रेन हेमरेज होने के बाद विंध्या अस्पताल प्रबंधन के द्वारा एक लाख की मांग की जा रही थी। तकरीबन 5 घंटे इंतजार करने के बाद जब वह पैसा नहीं दे पाए तो उसे संजय गांधी अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया। न्याय की आस में कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचे परिजनों ने उपमुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि नर्स अमृता कुशवाहा 3 वर्ष से विंध्या अस्पताल में काम कर रही थी। निरंतर ड्यूटी करने के दौरान उसे ब्रेन हेमरेज का अटैक हुआ। लेकिन विंध्या अस्पताल प्रबंधन इलाज शुरू करने की वजह एक लाख रुपए की मांग करता रहा, और पैसे ना मिलने के कारण तकरीबन 5 घंटे तक उसका इलाज नहीं किया। और तबियत बिगड़ने पर उसे संजय गांधी अस्पताल भेज दिया गया। परिजनों का यह भी आरोप है कि समय पर इलाज न होने के कारण अब उनकी बेटी पूरी तरह से विकलांग हो चुकी है। कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचे पीड़ित पिता ने बताया कि अस्पताल में उनकी बेटी को 8000 महीने की पगार मिलती थी जो निर्धारित सरकारी रेट से भी काफी कम है। लेकिन वक्त परने पर अस्पताल प्रबंधन ने अपने ही स्टाफ के साथ सौदेबाजी शुरू कर दी। और आज उसका जीवन अंधकार में डूब चुका है फिलहाल इस घटना को लेकर परिजनों ने न्याय की गुहार लगाते हुए कलेक्टर से जांच की मांग की है। साथ ही उपचार के लिए शासन से मिलने वाली आर्थिक मदद की भी मांग की है।

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