चीफ जस्टिस ऑफ मप्र ने हाई कोर्ट के ही 16 साल पुराने नियम में किया बदलाव
मिलावट से जुड़े मामलों में क्रिमिनल नहीं, मिसेलिनियस अपील में ही दर्ज होंगे
इंदौर- खाद्य पदार्थ के अवमानक या मिथ्या छाप होने के मामलों में अब पूरे प्रदेश में जिला कोर्ट और हाई कोर्ट में निचली कोर्ट के फैसलों पर अपील किए जाने से संबंधित प्रकरण मिसेलिनियस अपील. के तहत चलेंगे। अभी तक ये क्रिमिनल कैटेगरी के तहत चलते थे।
चीफ जस्टिस ऑफ मध्यप्रदेश ने मध्यप्रदेश हाई कोर्ट नियम 2008 में
संशोधन करवा दिया है। 16 साल पुराने नियम में बदलाव से प्रदेशभर में चल रहे प्रकरणों में भी राहत मिल सकेगी। साथ ही फूड ऑफिसरों द्वारा जो भी प्रकरण आपराधिक श्रेणी में दायर किए हैं उन्हें उसकी प्रकृति में बदलाव करना पड़ेगा। पूरे प्रदेश में इस तरह के लगभग 1000 से ज्यादा प्रकरण वर्तमान में लंबित होंगे जिनकी प्रकृति पर उक्त निर्णय का सीधे तौर पर प्रभाव पड़ेगा। अकेले इंदौर में ही जिला और हाई कोर्ट में लगभग 200 से ज्यादा प्रकरण विचाराधीन हैं।
यह था मामला
धार के फूड सेफ्टी ऑफिसर संजीव कुमार मिश्रा ने मसाला बनाने वाले कारखाने पर कार्रवाई करते हुए मिस ब्रांडेड मिर्च पावडर पकड़ा था। एडीएम कोर्ट ने 13 जनवरी 2020 में मसाला निर्माता पर दो लाख रुपए दंड लगाया। इसके विरुद्ध आरोपी ने जिला कोर्ट में अपील की तो वहां पर अर्थदंड एक लाख रुपए कर दिया गया। उसी की अपील के लिए आरोपी इंदौर हाईकोर्ट पहुंचा था।