
नीमच, 16 अगस्त नीति परिश्रम और पुरुषार्थ से कमाया हुआ धन ही पुण्य फलदाई होता है ।अनीति से कमाया हुआ धन कभी फलदाई नहीं होता है। इसलिए ईमानदारी पूर्वक परिश्रम और पुरुषार्थ से ही धन कमाना चाहिए। तभी जीवन पुण्य फलदाई होगा। अनीति से कमाया धन अस्पताल के कार्यों में ही खर्च हो जाता है। यह बात साध्वी सोम्यरेखा श्री जी महाराज साहब की सुशिष्या साध्वी सुचिता श्रीजी मसा ने कही।वे जैन श्वेतांबर महावीर जिनालय ट्रस्ट विकास नगर श्री संघ के तत्वाधान में श्री महावीर जिनालय विकास नगर आराधना भवन नीमच में आयोजित धर्म सभा में बोल रही थी। उन्होंने कहा कि निति से कमाए धन से परिवार स्वस्थ सुख शांति और समृद्धि के साथ रहता है। अनीति से कमाया धन परिवार को रोगी बना देता है।एक क्षण का वैराग्य भी व्यक्ति को देवलोक का फल दिला सकता है। अपने पुण्य कर्मों से ही संयम मिलता है। मन को सदैव पवित्र रखना चाहिए। यदि हम बिना किसी कारण के क्रोध करते हैं तो हमें अगले जन्म में सांप की योनि में जन्म मिलता है ।चंड कोशि नाग ने एक शब्द भी प्रवचन का सुना तो उसका कल्याण हो गया था। हम प्रवचन सुनेंगे तो हमारा परिवर्तन क्यों नहीं हो सकता है।
साध्वी महाराज साहब ने राजा पैथड शाह , कल्पसूत्र, समर्पण भाव, नकारात्मक ऊर्जा ,मंदिर उपासरों, धन संपत्ति ,आत्म कल्याण, परिवार , आदि विषयों पर विस्तार से विचार प्रस्तुत किये।इस अवसर पर धार्मिक प्रश्न मंच परीक्षा का आयोजन किया गया।
इस वर्षावास में सागर समुदाय वर्तिनी सरल स्वभावी दीर्घ संयमी प.पू. शील रेखा श्री जी म.सा. की सुशिष्या प.पू.सौम्य रेखा श्री जी म सा, प.पू. सूचिता श्री जी म सा, प.पू.सत्वरेखा श्री जी म साआदि ठाणा 3 का चातुर्मासिक तपस्या उपवास जप व विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों के साथ प्रारंभ हो गया है।
श्री संघ अध्यक्ष राकेश आंचलिया जैन, सचिव राजेंद्र बंबोरिया ने बताया कि प्रतिदिन 9:15 बजे चातुर्मास में विभिन्न धार्मिक विषयों पर विशेष अमृत प्रवचन श्रृंखला का आयोजन होगा । समस्त समाज जनअधिक से अधिक संख्या में पधार कर धर्म लाभ लेवें एवं जिन शासन की शोभा बढ़ावे।