कोटा। मुंबई-फिरोजपुर जनता एक्सप्रेस (19023-24) और कोटा-जबलपुर (19809-10) ट्रेन फिर से शुरु हो सकती है। रेलवे द्वारा इन पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। कोटा मंडल द्वारा भी पश्चिम-मध्य रेलवे जबलपुर मुख्यालय को इन ट्रेनों को चलाने का प्रस्ताव भेजा है। हालांकि विशेषज्ञों द्वारा रेलवे के इस प्रयास को सरकार को लोक सभा चुनाव में लगे झटके को माना जा रहा है।
गौरतलब है कि जनता एक्सप्रेस पश्चिम रेलवे मुंबई मुख्यालय की ट्रेन थी। इसके चलते यात्रियों की लगातार मांग के कारण पश्चिम रेलवे के रतलाम मंडल द्वारा इसका प्रस्ताव मुंबई मुख्यालय भेजा गया था। इसके बाद मुख्यालय ने मुंबई मंडल को इस ट्रेन को फिर चलाने का प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए हैं। इस प्रस्ताव को अब दिल्ली रेलवे बोर्ड भेजा जाएगा। बोर्ड की मंजूरी के बाद इस ट्रेन को रही झंडी मिल सकती है।
कोटा-जबलपुर
इसी तरह कोटा जबलपुर ट्रेन को भी दुबारा चलाने पर विचार किया जा रहा है। यात्रियों की मांग पर पिछले दिनों सांसद दुष्यंत सिंह ने कोटा मंडल रेल प्रशासन को फिर से पत्र लिखा है। इस ट्रेन के बंद होने से जबलपुर-अजमेर दयोदय ट्रेन में यात्री भार बढ़ गया है। इससे अपने काम से कोटा आने वाले बारां रेल के लोगों की परेशानी बढ़ गई है। यह ट्रेन लगभग सभी स्टेशनों पर रुकती थी। इसलिए यह यात्रियों की बीच काफी लोकप्रिय थी।
बोर्ड की बैठक में हुआ था जिक्र
उल्लेखनीय है कि 12 जुलाई को आयोजित रेलवे बोर्ड की वीडियो कांफ्रेसिंग बैठक में कोरोना काल में बंद ट्रेनों को दुबारा चलाने का मुद्दा जोर शोर से उठा था। इसके चलते बोर्ड ने जोन और मंडल अधिकारियों को कोरोना से बंद सभी प्रमुख ट्रेनों के चलाने की संभावना तलाशने को कहा था। उल्लेखनीय है कि कोरोना काल में रेल संचालन पूरी तरह ठप हो गया था। बाद में लगभग सभी ट्रेनें धीरे-धीरे शुरु हो गईं। लेकिन जनता और कोटा-जबलपुर सहित करीब 100 ट्रेनों का संचालन चार साल बाद भी शुरु नहीं हो सका है।
सौ प्रतिशत से अधिक यात्री भार
जनता एक्सप्रेस में सौ प्रतिशत से अधिक यात्री भार था। इसके बाद से इस ट्रेन को बंद कर दिया। इसके चलते यात्रियों को भारी परेशानी हो रही है। अन्य ट्रेनों में यात्री भार बढ़ गया है। यात्रियों की लगातार मांग पर कोटा रेल मंडल परिक्षेत्र के करीब आधा दर्जन सहित सांसदों सहित बड़ी संख्या में अन्य सांसदों, विधायकों, जनप्रतिनीधियों तथा विभिन्न संस्थाओं द्वारा राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और रेल मंत्री को हजारों पत्र को लिखे जा चुके हैं।
96 स्टेशनों पर रुकती थी
मुंबई से फिरोजपुर के बीच करीब 1772 किलोमीटर रास्ते में यह ट्रेन छोटे-बड़े 96 स्टेशनों पर रुकती थी। इस ट्रेन में आठ स्लीपर, छह जनरल और दो एसएलआर सहित कुल 16 कोच थे। 1956 में शुरू हुई यह 20 अगस्त 2020 सेवा बंद है।
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