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पांच राज्यों के नतीजे 2024 के लोकसभा चुनाव की दिशा व दशा तय करेंगे -अतुल गुप्ता

17 नवंबर 2023 को मध्यप्रदेश में हुए लोकतंत्र के महापर्व चुनावी वादों और इरादों के बीच 76.22 प्रतिशत बम्पर मतदान के रूप में जनता ने अपने मताधिकार का उपयोग कर प्रत्याशियों का भाग्य का निर्णय मतपेटियों के हवन कुंड में डाल दिया है। इस हवन कुंड की ज्वाला किसको प्रज्वलित करेंगी, किसको स्वाहा करेंगी ये तो 3 तारीख को मत पेटियों के मत की गिनती के बाद ही तय किया जा सकेगा की जनता ने जन आशीर्वाद दिया या जन आक्रोश के रूप मे वोटो को परिवर्तन करने का निर्णय लिया ये अभी सुनिश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता है। लेकिन 2023 के पांच राज्यों के चुनाव नतीजे 2024 में होने जा रहे चुनाव लोकसभा चुनाव की दिशा और दशा तय करेंगे।
मध्यप्रदेश में बीते 18 साल से भाजपा की सरकार चल रही है। जनकल्याणकारी नीतियों के साथ मामा शिवराज सिंह का अधिकतर ध्यान लाडली लक्ष्मी बहना उज्जवला योजना, गांव, गरीब, किसान की कल्याणकारी योजनाओं को लेकर जनता के बीच जन आशीर्वाद लेने पहुचे लेकिन 2023 का चुनाव मध्यप्रदेश के मन मे मोदी के नाम पर लड़ा गया। उन्होंने अपनी रैली व भाषणों मे हर काम की गारंटी की जवाबदारी लेकर जनता को आश्वासन दिया वही कांग्रेस के कमलनाथ ने नारी सम्मान योजना किसानो की कर्ज माफ़ी गैस सिलेंडर को 500 रूपए मे देने के वादों इरादों के साथ जनता से 25 लाख तक का इलाज मुफ्त मे करने के वादों के साथ भय भष्टाचार के मुद्दों के साथ जनआक्रोश यात्रा के माध्यम से जन समर्थन लेने जनता के बीच पहुचे । वही शिवराज सिंह चौहान लाडली लक्ष्मी योजना लाडली बहना, आयुष्मान योजना, तीर्थ दर्शन, महाकॉल लोक एवं कही पुरातत्व तीर्थ स्थलों के जीर्णाेद्धार को लेकर सनातन धर्म की थीम पर जनता से आशीर्वाद लेने पहुचे। जन आशीर्वाद यात्रा का यह पड़ाव यही रुकता है या आगे बढ़ता है यह अभी सुनिश्चित नहीं है लेकिन इस बार का मतदाता मौन है यह कहना भी जल्दबाजी होगा की इस बार ऊँट किस करवट बैठेगा यह नतीजों पर ही निर्भर रहेगा। प्रदेश मे इस बार 22 लाख नये युवा मतदाता ने अपने मताधिकार का उपयोग किया लेकिन दोनों ही दलों द्वारा युवाओ उद्यमियो, व्यापारियों, उद्योगपतियों, बेरोजगार युवाओ के लिए कोई बड़ी घोषणा नहीं की जिससे इस वर्ग की नाराजगी दोनों ही दलों को झेलना पड़ेगी? देखना यह है की इस अंडर करंट की बिजली किस दल की बत्ती गुल करती है? ये नतीजे ही तय करेंगे? एंटीकम्बेशी का सबसे ज्यादा असर इस चुनाव मे सत्ता दल के कार्यकर्ताओं के बीच देखा जा सकता लेकिन मान मनोबल के बीच कार्यकर्ता द्वार किस मनोयोग से कार्य किया है इसकी मनस्थिति चुनाव के नतीजों के परिणाम से ही स्पष्ट हो सकेगी?
बहरहाल यह कहना किसी भी दल के लिए अतिशयोक्ति होंगी की सरकार किस दल की बन रही है? यह बदलाव है या ठहराव है अभी इंतजार बाकी है?