मंदसौरमध्यप्रदेश

केन्द्रीय विद्यालय मंदसौर में राष्ट्रीय शिक्षा नीति की तीसरी वर्षगांठ पर शिक्षक संगोष्ठी का आयोजन 

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राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की तीसरी वर्षगांठ पर केन्द्रीय विद्यालय मंदसौर में एक प्रेस वार्ता तथा शिक्षक संगोष्ठी का आयोजन किया गया. इस संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में श्री प्रमोद सेठिया प्राचार्य डाइट मंदसौर ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रमुख बिन्दुओं पर प्रकाश डाला. श्री सेठिया ने बताया कि वर्षों से चले आ रहे 10+2 पैटर्न को बदल कर 5+3+3+4 किया जा रहा है तथा स्किल एजुकेशन पर ज़ोर दिया जा रहा है. प्राथमिक शिक्षा तक की पढ़ाई मातृ भाषा में कराई जाएगी इसी प्रकार माध्यमिक स्तर पर भी विद्यार्थियों के पास कई भाषाओं को सीखने के विकल्प उपलब्ध होंगे. श्री प्रमोद सेठिया ने स्कूल शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षा नीति के अन्य प्रावधानों की जानकारी भी दी.जवाहर नवोदय विद्यालय के प्राचार्य श्री एच.एस.रेगर ने मानव समाज के उत्थान में शिक्षा के महत्व को रेखांकित करते हुए नैतिक मूल्यों के विकास पर बल दिया. श्री गौरव पाटीदार सहायक प्रोफेसर शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय मंदसौर ने शिक्षा नीति में उच्च शिक्षा के बारे में प्रावधानों पर अपने विचार रखे. श्री गौरव पाटीदार ने बताया कि उच्च शिक्षा में एम फिल पाठ्यक्रम समाप्त कर दिया गया है. स्नातक स्तर पर भी पाठ्यक्रम को लचीला बनाया गया है.

श्री दिनेश सांचोरा पीजीटी फ़िज़िक्स के वि मंदसौर ने विद्यालयों में अटल टिंकरिंग लैब की योजना के बारे में जानकारी दी.

केन्द्रीय विद्यालय मंदसौर के प्राचार्य श्री प्रियदर्शन गर्ग ने इस अवसर पर उपस्थित सभी शिक्षाविद का स्वागत किया और केन्द्रीय विद्यालय संगठन में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन पर तथा शिक्षा के क्षेत्र में विभिन्न नवीन योजनाओं के बारे में जानकारी दी.

इस अवसर पर कला शिक्षिका श्रीमती प्रतिमा तकियार के संयोजन में एक कला प्रदर्शनी का आयोजन भी किया गया जिसमें विद्यार्थियों द्वारा बनाई गई कलाकृतियों को प्रदर्शित किया गया. कार्यक्रम का संचालन श्री नीलकमल त्रिवेदी ने किया एवं श्री ऋत्विक अग्रवाल ने आभार व्यक्त किया.

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 महत्त्वपूर्ण तथ्य-

नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) को केंद्रीय कैबिनेट ने 29 जुलाई 2020 को मंजूरी दी थी। यह 34 वर्षों के बाद भारत का सबसे बड़ा शैक्षिकसुधार है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 1986 में ड्राफ्ट हुईथी और 1992 में इसमें संशोधन (Update) हुआ था। करीब 34 साल बाद, 2020 में इसमें कई अहम व महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं।’मानव संसाधन विकास मंत्रालय’ का नाम परिवर्तित कर ‘शिक्षा मंत्रालय’ कर दिया गया है।

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के तहत वर्ष 2030 तक सकल नामांकन अनुपात को 100% लाने का लक्ष्य रखा गया है।

नई शिक्षा नीति के अंतर्गत केंद्र व राज्य सरकार के सहयोग से शिक्षा क्षेत्र पर जीडीपी के 6% हिस्से के सार्वजनिक व्यय का लक्ष्य रखा गया है।नई शिक्षा नीति में अब 3 साल से 18 वर्ष के बच्चों को शिक्षा का अधिकार कानून, 2009 के अंदर लाया जाएगा।

स्कूली शिक्षा संबंधी प्रावधान

  • वर्तमान 10+2 के मॉडल को 5+3+3+4 मॉडल में बदला जाएगा।नई प्रणाली में 3 साल की प्री-स्कूलिंग / आंगनवाड़ी और उसके बाद 12 साल की स्कूली शिक्षा शामिल होगी।नयी शिक्षा नीति के तहत अब छात्रों को अपने विषय का चुनाव स्वयं करने काअधिकार होगा। छात्रों को पहले की तरह आर्ट्स, साइंस और कॉमर्स में से किसीएक को नहीं चुनना पड़ेगा। वो चाहे तो इन तीनो ही स्ट्रीम्स से विषय चुन सकतेहैं।
  • NEP 2020 के तहत ‘बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान पर एक राष्ट्रीय मिशन’ की स्थापना का प्रस्ताव किया गया है। इसके द्वारा वर्ष 2025 तक कक्षा-3 स्तर तक के बच्चों के लिये आधारभूत कौशल सुनिश्चित किया जाएगा।
  • पाँचवीं कक्षा तक की शिक्षा मेंमातृभाषा/स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा कोशिक्षा के माध्यमके रूप में अपनाने पर बल दिया गया है। साथ ही मातृभाषा को कक्षा-8 और आगे की शिक्षा के लिये प्राथमिकता देने का सुझाव दिया गया है। छठी कक्षा से बच्चे को कम्प्यूटर कोडिंग सीखने का मौका मिलेगा।म्यूज़िक और आर्ट्स को पाठयक्रम में शामिल कर बढ़ावा दिया जायेगा.
  • विद्यालयों में सभी स्तरों पर छात्रों को बागवानी, नियमित रूप से खेल-कूद, योग, नृत्य, मार्शल आर्ट को स्थानीय उपलब्धताके अनुसार प्रदान करने की कोशिश की जाएगी ताकि बच्चे शारीरिक गतिविधियों एवं व्यायाम वगैरह में भाग ले सकें।
  • छात्रों के समग्र विकास के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए कक्षा-10 और कक्षा-12 की परीक्षाओं में बदलाव किया जाएगा। इसमें भविष्य में समेस्टर या बहुविकल्पीय प्रश्न आदि जैसे सुधारों को शामिल किया जा सकता है।

उच्च शिक्षा संबंधी प्रावधान

  • NEP-2020 के तहत स्नातक पाठ्यक्रम में मल्टीपल एंट्री एंड एक्ज़िट व्यवस्था को अपनाया गया है, इसके तहत 3 या 4 वर्ष के स्नातक कार्यक्रम में छात्र कई स्तरों पर पाठ्यक्रम को छोड़ सकेंगे और उन्हें उसी के अनुरूप डिग्री या प्रमाण-पत्र प्रदान किया जाएगा (1 वर्ष के बाद प्रमाण-पत्र, 2 वर्षों के बाद एडवांस डिप्लोमा, 3 वर्षों के बाद स्नातक की डिग्री तथा 4 वर्षों के बाद शोध के साथ स्नातक)।
  • क्रेडिटकेहस्तांतरणकीसुविधाकेलिएअकादमिकबैंकऑफक्रेडिटकीस्थापनाकीजाएगी
  • मास्टर ऑफ फिलॉसफी के पाठ्यक्रम को अब शिक्षा नीति का हिस्सा नहीं माना जाएगा।

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