45 आगमों की पालकी यात्रा निकली, धर्मालुजनों ने की सहभागिता
Palki Yatra of 45 Agamas took place, religious people participated

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मन्दसौर। आगम उद्धारक श्री सागरआनंदसूरीजी म.सा. की 149वीं जन्म जयंति के उपलक्ष्य में श्री केशरिया आदिनाथ श्रीसंघ के द्वारा चौधरी कॉलोनी स्थित रूपचांद आराधना भवन में तीन दिवसीय कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा ह। इसी उपलक्ष्य में रविवार को प.पू. श्री अर्हताश्रीजी म.सा., श्री मैत्रीपूर्णश्रीजी म.सा., श्री रयणपूर्णा श्रीजी म.सा. व श्री सिद्धपूर्णा श्रीजी म.सा. की पावन प्रेरणा व निश्रा में जैन धर्म के 45 आगमों (शास्त्रों) की भव्य पालकी यात्रा निकाली गई। इस पालकी यात्रा में श्रावक श्राविकाओं ने जैन आगमों को पालकी ममें आदर सहित विराजित कर उनकी पालकी यात्रा निकाली। ढोल के साथ निकली इस पालकी यात्रा में श्रावकों ने श्वेत व श्राविकाओं ने लाल व सुनहरे रंग के वस्त्र पहनकर पालकी यात्रा की शोभा बढ़ाई। यह पालकी यात्रा चौधरी कॉलोनी स्थित रूपचांद आराधना भवन से प्रारंभ हुई तथा भावसार नमकीन चौराहा, हाउसिंग कॉलोनी चौराहा, सहकारी बाजार रोड़, महू-नीमच रोड़, कम्बल केन्द्र रोड़ होते हुए पुनः रूपचांद आराधना भवन पहंची। इस पालकी यात्रा में धर्मालुजनों ने आगमों के सम्मान में जयकारे भी लगाये। प.पू. श्री सागरआनंदसूरीजी की तस्वीर भी चल समारोह की शोभा बनी और धर्मालुजनों के द्वारा कई स्थानों पर इसकी गहुली की गई। मंदसौर में पहली बार निकली जैन आगमों की पालकी यात्रा में जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक श्री संघ अध्यक्ष अरविन्द बोथरा, केशरिया आदिनाथ श्रीसंघ अध्यक्ष दिलीप डांगी, सचिव संदीप धींग, कोषाध्यक्ष छोटेलाल जैन, ट्रस्टीगण प्रमोद जैन, पासरमल जैन सुवासरावाला, चातुर्मास समिति अध्यक्ष मनोज जैन, समाजसेवी एस.के. जैन, विमल छिंगावत, प्रकाष छाजेड़, राजकुमार डोसी, राजेश पोरवाल, अजीत लोढ़ा, सुरेन्द्र नाहटा, शांतिलाल डोसी, सुरेन्द्र जैन योगगुरू, अशोक कर्नावट सहित बड़ी संख्या में धर्मालुजन शामिल हुए।
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नवकार महामंत्र किसी जाति, धर्म का नहीं इसकी महत्ता समझे- श्री पारसमुनिजी
मन्दसौर। नमस्कार (नवकार) महामंत्र की महत्ता को समझे जो पूरे मनोभाव से इसका स्मरण करता है उसके संकट टल जाते है तथा शुभ कर्म फल प्राप्त होता है। यह महामंत्र किसी धर्म व जाति का नहीं है। इस मंत्र का केवल जैनों का मंत्र न समझे। यह मंत्र सभी के लिये है। इस मंत्र से किसी का नाम नहीं है न ही किसी एक व्यक्ति विशेष का गुणगान किया गया है। यह सार्वभौमिक है, इसलिये जीवन में इसकी महत्ता समझे।
उक्त उद्गार प.पू. श्री पारसमुनिजी म.सा.ने नवकार भवन शास्त्री कॉलोनी में आयोजित धर्मसभा में कहे। आपने रविवार को यहां आयोजित धर्मसभा में कहा कि नवकार मंत्र में जिन अरिहंतों व सिद्धों को नमस्कार किया गया है वे अरिहंत किसी एक धर्म व जाति के नहीं है बल्कि अरिहंत वे सभी है जिन्होंने अपने मन व राग द्वेष को समाप्त कर दिया ह। सिद्धों में वे सभी सिद्ध है जिन्होंने अपने कर्मों का क्षय कर मोक्ष पा लिया है। इसलिये जीवन के पूरे मनोभाव से नवकार महामंत्र के सभी पदों की पुरे मनोभाव से आराधना करो। इस महामंत्र में जो शक्ति है उस शक्ति को पहचानों। जीवन में इधर उधर भटकने की बजाय नवकार महामंत्र का प्रतिदिन पाप हो ऐसा मन बनाओ और मनोभाव से उसमें जूट जाओ।
18 को सामूहिक एकासने होंगे- श्री पारसमुनिजी की प्रेरणा से आचार्य श्री आनंदसूरिश्वरजी म.सा. की जन्म जयंती व साध्वी श्री नानुकुंवरजी म.सा. की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में दिनांक 18 जुलाई को सामूहिक एकासने होंगे। एकासने कराने का धर्मलाभ सुरेन्द्र भण्डारी परिवार ने लिया है। धर्मालुजन नाम लिखावे।