मजदूर पति ने बीवी को पढ़ाकर बनाया नर्स, अब मजदूर के साथ नहीं रहना चाहती पत्नी
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मध्यप्रदेश के रीवा जिले में भी ज्योति मौर्या जैसा केस
अपनी पढ़ाई छोड़ पति ने मजदूरी करके पत्नी का सपना पूरा किया अब पत्नी साथ रहने को नहीं तैयार
रीवा।उत्तर प्रदेश के प्रयागराज की एसडीएम ज्योति मौर्या की कहानी इन दिनों सुर्खियों में छाई हुई हैं इसी बीच मध्यप्रदेश के रीवा जिले के वॉर्ड नं 04 चोरहटा से भी एक ऐसा ही मामला सामने आया है। यहां के एक शख्स ने दावा किया है कि उसने काफी मेहनत से मजदूरी कर-कर के अपनी पत्नी को पढ़ा-लिखाकर उसे नर्स बनाया। अब आलम यह है कि पत्नी उसके साथ रहना ही नहीं चाहती है।
साल 2011 में हुई नागेंद्र और वंदना की शादी
पीड़ित शख्स की पहचान नागेंद्र चर्मकार के रूप में हुई है। वह रीवा के वॉर्ड नं 04 चोरहटा का रहने वाला है। साल 2011 में उसकी शादी सतना जिले के अमौधा ग्राम मे रहने वाली वंदना कुमारी से हुई। शादी के बाद सबकुछ ठीक था। वंदना का शादी के बाद पढ़ाई करने का मन था जब उसने यह बात अपने पति नागेंद्र से बताई तब नागेंद्र उसे पढ़ाने के लिए तैयार हो गया। वंदना की जब सादी हुई थी तब वह 10 वी कक्षा मे थी, पढ़ाई करने के लिए वह अपने मायके गई जहा वंदना ने 2017 तक पढ़ाई की पढ़ाई पुरी होने के बाद वंदना ने 2018 मे इलाहाबाद के साकेत हॉस्पिटल मे 1 साल प्राइवेट जॉब की इसके बाद 2020 मे वन्दना की सरकारी नौकरी लग गई जिसके बाद से वह नागेंद्र के साथ नही रहना चाह रही है।
नागेंद्र ने अपनी पढ़ाई छोड़ अपनी पत्नी को पढ़ाया
नागेंद्र b.a. पास है लेकिन शादी होने के बाद पत्नी ने पढ़ाई करने को कहा जिस कारण नागेंद्र ने अपनी पढ़ाई छोड़ अपना सपना छोड़कर अपनी पत्नी का सपना पूरा करना चाहा और मेहनत मजदूरी करने लगा की उसकी पत्नी का सपना पूरा हो सके उसने दिन रात मेहनत करके अपनी पत्नी को पढ़ाया बीएससी नर्सिंग का कोर्स करवाया की उसका सपना पूरा हो सके और वह अपने पैरों में खड़ी हो सके लेकिन जब वह अपने पैरों में खड़ी हो गई तो मजदूर पति के साथ नहीं रहना चाह रही है।
मजदूरी कर चलाया पत्नी की पढ़ाई का खर्च
नागेंद्र का कहना है कि वंदना पढ़ना चाहती थी, लेकिन नागेंद्र के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह अपनी पत्नी को पढ़ा सके। पत्नी के पढ़ने की जिद के आगे पति और अधिक मेहनत कर पैसे जुटाने की बात पर राजी हो गया।
नागेंद्र मजदूरी कर अपने परिवार का खर्च चलाते हुए पत्नी को पढ़ाया-लिखाया। पत्नी की पढ़ाई की खातिर नागेंद्र ने M.J.M नर्सिंग कॉलेज सतना में वंदना का दाखिला करवाया।
पत्नी को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में में मिली जॉब
नागेंद्र ने बताया की वंदना की पढ़ाई, कॉपी-किताब, रेंट वगैरह का खर्च उठाते-उठाते मै कर्ज में डूब गया। उसकी जब से शादी हुई वह प्रतिदिन मजदूरी करता और हफ्ते 10 दिन में अपनी पत्नी को पैसे भिजवाता। प्रतिमाह 6000 के लगभग मजदूरी करके पैसा भिजवाता रहा। वंदना ने 2020 में एमपी ऑनलाइन के द्वारा फॉर्म अप्लाई किया इसके बाद वंदना का चयन पन्ना जिला के अजयगढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में हो गया।
नागेंद का यह भी कहना है
क़ी जब से उसकी पत्नी की सरकारी जॉब लगी है तब से उसका मेरे से कोई लेना देना नहीं है उसकी जॉब लग गई तो उसके द्वारा कॉल किए जाने पर बंदना के द्वारा फोन रिसीव तक नहीं किया जाता। 2020 के बाद नागेंद्र की बात तक वंदना से होना मुश्किल पड़ गया।
नागेंद का कहना है
मै,मजदूरी करता हूं और मजदूरी करके अपना पेट पालता हूं वंदना ने जब तक पढ़ाई की तब तक मैं मजदूरी कर कर के उसे पैसे भेजता रहा लेकिन जब वह अपने पैर पर खड़ी हो गई और सरकारी नौकरी पा गई तो वह मजदूर के साथ नहीं रहना चाह रही है वह यह चाहता है की उसकी पत्नी उसके साथ रहे।