झालावाड़पचपहाड़ (Pachpahar)

गुरुद्वारा सिंह सभा में शहीदी सप्ताह का आयोजन संपन्न

गुरुद्वारा सिंह सभा में शहीदी सप्ताह का आयोजन संपन्न

भवानीमंडी । ( जगदीश पोरवाल ) गुरुद्वारा सिंह सभा भवानीमंडी में 21 दिसम्बर से 27 दिसम्बर 2025 तक शहीदी सप्ताह का आयोजन बड़ी श्रद्धा के साथ संपन्न हुआ। इस दौरान सिक्ख धर्म के दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के चारों साहिबजादों – बाबा अजीत सिंह जी, बाबा जुझार सिंह जी, बाबा जोरावर सिंह जी एवं बाबा फतेह सिंह जी – तथा माता गुजरी जी की अद्वितीय शहादत को याद किया गया। साथ ही चमकौर के युद्ध में शहीद हुए सिंहों को भी श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

प्रधान सरदार प्रीतपाल सिंह ने बताया की शहीदी सप्ताह के दौरान साध संगत द्वारा प्रतिदिन गर्म दूध की सेवा रखी गई, जिसे बच्चों सहित सभी वर्गों के लोगों ने बड़े चाव प्रसादी रूप में ग्रहण किया। यह सेवा शहीदों के बलिदान की स्मृति में समर्पित थी ।

विशेष किर्तन का आयोजन किया:-

27 दिसम्बर को गुरुद्वारा परिसर के बाहर खुले स्थल पर रात्रि 8 बजे से विशेष कीर्तन दीवान का आयोजन किया गया। जिसमे भवानीमंडी के हुजूरी रागी ज्ञानी सतनाम सिंघ जी के द्वारा किये गए बैरागमयी कीर्तन एवं वाहेगुरु सिमरन के माध्यम से संगत ने शहीदों को याद किया तथा श्रद्धासुमन अर्पित किए।

इस अवसर पर सरदार दर्शन सिंह जी ने चार साहिबजादों एवं माता गुजरी जी की गौरवमयी शहादत का इतिहास विस्तार से सुनाया तथा सभी से इससे प्रेरणा लेने का आह्वान किया।

चार साहिबजादों एवं माता गुजरी जी की गौरवमयी शहादत का संक्षिप्त इतिहास:-

सन् 1705 में मुगल सेनाओं द्वारा आनंदपुर साहिब पर घेराबंदी के बाद गुरु गोबिंद सिंह जी को किला छोड़ना पड़ा। सरसा नदी पार करते समय परिवार बिछड़ गया। बड़े साहिबजादे बाबा अजीत सिंह जी (18 वर्ष) एवं बाबा जुझार सिंह जी (14 वर्ष) चमकौर की गढ़ी में मुगलों से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए।

छोटे साहिबजादे बाबा जोरावर सिंह जी (9 वर्ष) एवं बाबा फतेह सिंह जी (6 वर्ष) माता गुजरी जी के साथ रसोईये गंगू के विश्वासघात के कारण सरहिंद के नवाब वजीर खान के हाथ लगे। नवाब वजीर खान ने उन्हें इस्लाम कबूल करने का लालच एवं दबाव दिया, किंतु साहिबजादों ने मात्र 9 और 6 वर्ष की आयु में भी अपने सिक्ख धर्म और गुरु के प्रति अटल विश्वास दिखाते हुए स्पष्ट इनकार कर दिया । इससे क्रुद्ध होकर मुगलों ने उन्हें जिंदा दीवार में चिनवा दिया। शहादत की खबर सुनकर माता गुजरी जी ने ठंडे बुर्ज में प्राण त्याग दिए। यह बलिदान धर्म की रक्षा एवं सत्य के लिए मानव इतिहास की अनुपम मिसाल है, जो आज ‘वीर बाल दिवस’ के रूप में 26 दिसम्बर को मनाया जाता है।

गुरुद्वारा सिंह सभा के प्रधान सरदार प्रितपाल सिंह जी ने जानकारी देते हुए बताया कि आगामी गुरु गोबिंद सिंह जी का प्रकाश पर्व 5 जनवरी 2026 को धूमधाम से मनाया जाएगा। इसके लिए 24 दिसम्बर से प्रभात फेरियों का आयोजन शुरू हो चुका है, जो अंतिम प्रभात फेरी 3 जनवरी को नगर कीर्तन के रूप में निकलेगी।

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