ऑनलाइन वायदा बाजार में करोड़ों की ठगी का काला खेल – खड़ावदा गिरोह का खुलासा, कई अधिकारी और सिस्टम पर उठे सवाल

ऑनलाइन वायदा बाजार में करोड़ों की ठगी का काला खेल – खड़ावदा गिरोह का खुलासा, कई अधिकारी और सिस्टम पर उठे सवाल
गरोठ- थाना क्षेत्र के खड़ावदा निवासी विजय फरक्या, पुरण फरक्या, महेश पोरवाल,दीपक पटवा और मनीष डबकरा मिलकर फर्जी सिग्मा ट्रेडिंग कंपनी के नाम पर लोगों को भारी मुनाफे का लालच देकर निवेश करवाते थे।
मंदसौर जिले में फर्जी वायदा कारोबार के नाम पर चल रहे गोरखधंधे का बड़ा खुलासा हुआ है। नाहरगढ़ पुलिस द्वारा पुष्कर नामक युवक पर ऑनलाइन वायदा बाजार में धोखाधड़ी का मामला दर्ज करने के बाद जांच आगे बढ़ी तो और सनसनीखेज जानकारी सामने आई। ग्राम बसई के व्यापारी अनिल मांदलिया ने बताया कि गरोठ थाना क्षेत्र के विजय फरक्या, पुरण फरक्या, महेश पोरवाल, पुरणसिंह भील, दीपक पटवा और मनीष डबकरा मिलकर फर्जी सिग्मा ट्रेडिंग कंपनी के नाम पर लोगों को भारी मुनाफे का लालच देकर निवेश करवाते थे। अनिल के अनुसार उनसे ही करीब एक करोड़ रुपये ठगे गए, जबकि पूरे क्षेत्र में दर्जनों परिवार इस जाल में फंसकर कंगाल हो चुके हैं। शुरू में मुनाफा दिखाया जाता था, फिर आईडी माइनस कर दी जाती थी। पूरा सिस्टम इन्हीं के हाथ में था और इसका एमसीएक्स या वैध वायदा बाजार से कोई संबंध नहीं था।
सबसे बड़ा सवाल पुलिस की भूमिका पर खड़ा हो गया है। व्यापारी ने सुवासरा थाने और पुलिस अधीक्षक कार्यालय में शिकायत की, लेकिन कार्रवाई करने की बजाय पुलिस ने उल्टा समझौते का दबाव बनाया। इतना ही नहीं, जब फरियादी ने झुकने से इनकार किया तो आरोपियों ने एससी/एसटी एक्ट का हथियार बनाकर उस पर ही केस दर्ज करवा दिया। अनिल का कहना है – “मैंने कर्ज लेकर, दुकान गिरवी रखकर निवेश किया, ठगा गया, लेकिन पुलिस ने मदद नहीं की। उल्टा झूठे केस में फंसाने की धमकी दी। आज तक मेरा पैसा नहीं लौटा, मैं न्याय के लिए भटक रहा हूं। पुलिस अधीक्षक विनोद मीना से न्याय की उम्मीद है।”
अचानक कैसे बने करोड़पति? – अवैध वायदा कारोबार से दिन रात मालामाल हुआ गिरोह
खड़ावदा के जिन लोगों पर आरोप हैं, उनके बारे में ग्रामीणों का कहना है कि कभी साइकिल खरीदने की क्षमता नहीं थी, आज करोड़ों की संपत्ति, महंगी कारें, सोने-चांदी के जेवरात और शानो-शौकत की जिंदगी जी रहे हैं। न सिर्फ अवैध वायदा कारोबार, बल्कि जीएसटी चोरी और काले धन की मनी लॉन्ड्रिंग का भी अंदेशा है। अगर पुलिस अधीक्षक विनोद मीना सख्ती दिखाएं और जांच गहराई से हो, तो अवैध वायदा कारोबार, टैक्स चोरी और बेनामी संपत्तियों का बड़ा खुलासा हो सकता है।
ये सिर्फ एक व्यापारी का मामला नहीं – यह गरीबों की कमाई, सिस्टम की चुप्पी और कानून के दुरुपयोग की पूरी कहानी है।
अब सवाल है – क्या मंदसौर पुलिस इस गिरोह की नकेल कसकर पीड़ितों को न्याय दिलाएगी? या यह मामला भी फाइलों में दबा रह जाएगा?


