फलियों में दाना नहीं आया और पकने लगी सोयाबीन फसल पर आफत की बारिश हुई
किसानों की सरकार और कृषि विभाग से मुआवजे की गुहार...अब तो कुछ राहत दो सरकार

पालसोड़ा – (दीपक राठौर /समरथ सेन ) क्षेत्र में किसानों को पिछले कई साल से धोखा देती आ रही सोयाबीन ने इस बार फिर किसानों की नींद उड़ाकर रख दी है। कुछ दिन पहले तक खेतों में अच्छी दिखने वाली इस अच्छी वैरायटी की सोयाबीन में रोग लग गया है। किसानों के मुताबिक अभी तक फलियों में ठीक से दाना बना पाया है। कृषि विभाग के अधिकारियों ने भी स्वीकारा है कि फसल में वायरस का प्रकोप भी देखने को मिला है। यही कारण है कि इस बार किसान उत्पादन प्रभावित होने को लेकर आशंकित हैं। और बड़े पैमाने पर किसान इसी खेती से जुड़े हैं, जिनमें से ज्यादातर जोखिम के बीच खेती कर रहे हैं।सोयाबीन के हालात इस बार ठीक नहीं हैं। सोयाबीन फसल बीमारी लगने के कारण भी असमय पकने की अवस्था में आ गई। दूसरा बड़ा कारण यह रही कि इस साल मानसून सीजन के बीच गर्मी अत्यधिक रही। उससे ऊंचाई वाली जगह पर फसलें सूख गईं, इसके बाद पानी गिरा तो फसल की जड़ें पूरा भोजन नहीं ले पाई।
फली में दाना बड़ा नहीं हो पाया –
नगदी फसल के रूप में जिले के किसान सोयाबीन को प्राथमिकता देते रहे हैं। इस बार जिले में तो केवल सोयाबीन ही बोई गई है। जबकि मक्का व अन्य खरीफ फसलों का अनुपात इस तुलना में बेहद कम है। कई किसानों ने फसल सूखने के साथ ही कटाई भी शुरू कर दी।शासन की इस योजना का लाभ उठाने से वंचित बने हुए हैं। किसानों बताया कि हल्का न. 18 के किसान फसल बीमा से वंचित रह गए हैं पालसोड़ा किसानों बताया कि उन्हें शीघ्र ही फसल बीमा, सोयाबीन फसल रोग आने व बारिश होने कारण जो नुकसान हुआ उसका मुआवजा दिया जाना चाहिए ।
सोयाबीन कटाई दौर के समय आफत बनकर हुई बारिश –
पालसोड़ा क्षेत्र में गुरुवार को सुबह से दोपहर तक मौसम साफ रहा व तेज धूप निकली। किसानों ने अपनी अगली फसल तैयार करने लिए सोयाबीन फसल की कटाई करना शुरू कर दी, किन्तु गुरुवार को दोपहर बाद अचानक मौसम परिवर्तन हुआ और पालसोडा क्षेत्र में तेज बारिश हुई, बारिश का दौर घंटों तक जारी रहा। सोयबीन फसल की कटाई दौरान बारिश ने किसानों की परेशानी और बढ़ा दी। खेतों में सोयाबीन की फसल कहीं कट रही थी, तो कहीं कटने को तैयार थी, ऐसे में बारिश ने हालात बिगाड दिये। पिछले कई सालों से प्राकृतिक मार ने किसानों को बर्बाद कर दिया है। किसानों ने इस वर्ष भी कर्ज लेकर खेती की थी, बारिश ने तो सोयाबीन फसल को नष्ट कर दिया है और फसल कटाई के दौरान हुई बारिश ने किसानों के अरमानों को चूर-चूर कर दिया है। किसानों का दर्द सुनने वाला कोई नहीं है और सरकार फसलों को लेकर कुछ निर्णय नहीं ले पा रही है।